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केन्द्र से राहत पैकेज के लिए कैट और कई व्यापारिक संगठनों ने विडिओ कांफ्रेंस से डाँ.रमन सिंह से की बात

दुर्ग। कॉनफेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी, प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष मगेलाल मालू, प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष विक्रम सिंहदेव, प्रदेश महामंत्री जितेन्द्र दोशी, प्रदेश कार्यकारी महामंत्री परमानंद जैन, प्रदेश कोषाध्यक्ष अजय अग्रवाल एवं प्रदेश प्रवक्ता राजकुमार राठी एवं कैट के प्रदेश मिडिया प्रभारी संजय चौबे ने बताया कि आज कैट द्वारा आयोजित पूर्व मुख्यमंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी के उपाध्यक्ष डाँ. रमन सिंह के साथ  विडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से छत्तीसगढ के विभिन्न संगठन के पदाधिकारीयों के साथ चर्चा की। श्री पारवानी ने सर्वप्रथम करोना वायरस के कारण देश में उत्पन्न विनाशकारी स्थिति से निपटने के लिए माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व सामाज के विभिन्न वर्गों के हितार्थ उठाये जा रहे राहत एवं प्रोत्साहन पैकेज के घोषणाओं के लिए आभार प्रगट किया। साथ ही साथ वित्त मंत्रालय द्वारा उठाये गए कदमों की सराहना की । उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इन सहायक उपायों से व्यापार के विश्वास को बनाये रखने में मदद मिलेगी और इन कठिन परिस्थिति से लडनें में भी व्यापार एवं उद्योंगों को सहायता मिलेगी । उन्होंने चर्चा के दौरान आगे बताया कि करोना वायरस के वर्तमान प्रकोप ने संघर्षरत अर्थव्यवस्था की परेशानी को और भी बढ़ा दिया है इस समय सभी व्यवसाय भारी तरलता की कमी और लाकडाउन का सामना कर रहे हैं । भारत सरकार एवं विभिन्न राज्य सरकारों ने अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों के लिए अलग अलग राहत पैकेज दिए हैं  इस बार एम एस एम ई के लिए एक मजबूत प्रोत्साहन. पैकेज की आवश्यकता है जो सरकारी खजाने में राजस्व का प्रमुख हिस्सा है और अर्थव्यवस्था की रीढ़ भी हैं । उन्होंने चर्चा के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री वर्तमान परिस्थितियों के संदर्भ में विस्तृत चर्चा करते हुए राज्य की स्थिति से अवगत कराया एवं कुछ सुझाव सुझाते हुए अनुरोध किया कि इन सुझावों को अपने सकारात्मक टिप्पणीयों के साथ माननीय प्रधानमंत्री जी एवं माननीय वित्त मंत्री के संज्ञान में लाते हुए उद्योग एवं व्यापार के लिए राहत पैकेज जारी करने का अनुरोध किया । श्री पारवानी ने विशेषत: ईएमआई को तीन महीने के लिए टालने के साथ साथ लाकडाउन के दौरान के समस्त प्रकार के लोन पर ब्याज के बोझ को माफ करने के लिए सुझाव दिया।
चूंकि इस लाकडाउन के दौरान किसी भी प्रकार की रेवेन्यू प्राप्त नहीं हो रही है  इसलिए कर्मचारी के वेतन का आधा  हिस्सा सरकार द्वारा वहन किया जा सकता है । केंद्र और राज्य सरकार किसी भी प्रकार  के सभी करों और शुल्क को केंद्र और राज्य सरकार द्वारा प्रभावी अवधि (लॉक डाउन पीरियड) के दौरान माफ किया जाना चाहिए, क्योंकि इस अवधि में व्यापार और उद्योगों को शून्य राजस्व प्राप्त होगा। इसी तारतम्य में पारवानी ने कहा की जबकि लाक डाउन में व्यपार एवं उधोग बंद है तो राज्य विद्युत कंपनी को वास्तविक इकाइयों की खपत के आधार पर बिजली शुल्क एकत्र करना चाहिए, और लॉक डाउन अवधि के लिए राज्य के सभी व्यापार और उद्योगों से सभी निर्धारित मांग शुल्क माफ करना चाहिए। कुछ राज्य गुजरात, महाराष्ट्र, यूपी  ने पहले ही अपने राज्य में इस आशय की घोषणा कर चुकी है !
इसी प्रकार लॉकडाउन अवधि के दौरान कर्मचारियों के वेतन का भुगतान ईएसआईसी के प्रावधानों के अनुसार इएसआईसी द्वारा किया जाना चाहिए । इस लाकडाउन के दौरान की अनुपस्थिति को चिकित्सीय अनुपस्थिति मानते हुए कर्मचारियों को अनुपस्थिति अवधि का वेतन प्रदान किया जाना चाहिए ।  केंद्र सरकार को व्यपारियों एवं लघु उधमियों के लॉकडाउन अवधि के लिए ब्याज, टीडीएस,  आयकर पर जुर्माना और माफ किया जाय हालांकि  जीएसटी, मार्च, अप्रैल और मई के लिए जीएसटी रिटन डेट 3 महीने के लिए बढ़ा दी गई है, लेकिन यह ब्याज 12 प्रतिशत. रहेगा इसे भी माफ करें लॉकडाउन अवधि के लिए ब्याज, टीडीएस का गैर-भुगतान भुगतान 9 प्रतिशत. ब्याज रहेगा जो की न्यायउचित नहीं है इस  ब्याज को भी माफ किया जाना चाहिए एवं  पीएफ कंट्रीब्यूशन डेट के लिए एक्सटेंशन की मांग की साथ ही पारवानी ने कहा की हमारे राज्य में सभी आवश्यक वस्तुओं के सप्लाई वाले व्यापार और उद्योग राज्य पर अपनी सेवाएं लगातार इस कठिन परिस्थिति में दे रहे हैं इसके लिए राज्य में सेवाओं को सुचारू बनाने के लिए कामगारों को उनके काम में भाग लेने के लिए उनके लिए आवश्यक आदेश दिए जाने  के साथ साथ एैसे सेवा में लगे थोक एवं खुदरा व्यापारियों एवं कामगारों के लिए 50 लाख रूप्यों के बीमा किए जाने का प्रस्ताव दिया । साथ ही इस विषम परिस्थिति में एवं एमएसएमई के लिए सभी भुगतान 45 दिनों के भीतर  मानदंडों के अनुसार बनाए रखे जाने चाहिए साथ ही बहुत से निर्यातकों के लिए ड्यूटी ड्रॉ बैक को लंबे समय से सीमा शुल्क द्वारा रोक दिया गया है इसे तत्काल जारी की जानी चाहिए । वेतन के समान, आवासीय और वाणिज्यिक किराए को इस अवधि के दौरान 25 प्रतिशत. कैपिंग किया जा सकता है। सबसे बढी बात है की राज्य में यह सब्जियों की कटाई का मौसम है और बुवाई के लिए खेतों को तैयार करने का समय है अत: खेतीहरों को खेत में काम करने के लिए सोशल डिस्टन्सिंग को ध्यान में रखते हुए आदेश पारित किया जाना चाहिए ,वस्तुओं के बाजार को साफ करना बहुत महत्वपूर्ण है जैसेरू – डुमरतराई, सब्जियां, फल, चिकित्सा आदि थोक बाजार जहां ट्रक देश भर से आ रहे हैं और ग्राहकों के प्रवाह में बहुत अधिक हैं।
इसी तारतम्य में छत्तीसगढ़ स्पंज आयरन एसोसिएसन के अघ्यक्ष रमेश अग्रवाल ने कहा कि इंडस्ट्री को चालू होने में समय लगता है इस दौरान उद्योगों को प्रदेश से बाहर माल भेजने हेतु राहत देना चाहिए । इसी बीच उरला ईडस्ट्रीज एसोसिएसन के अघ्यक्ष श्री अश्विन गर्ग ने कहा कि कर्मचारियों के लिए वेतन देने का प्रकल्प ईएसआईसी  के माध्यम से लाकडाउन अवधि के दौरान वेतन का भुगतान ईएसआईसी के प्रावधानों के अनुसार होना चाहिए । इसी दौरान आनंद सिंघानिया ने कहा की प्रधान मंत्री आवास योजना के तहत अगर किसी का मकान गांब में है लेकिन वह अपना मकान शहर में भी बनाना चाहे तो उसे प्रधान मंत्री आवास योजना का लाभ मिलना चाहिए एवं राइस मिल संघ के अध्यक्ष कैलाश रुंगटा ने कहा की राइस मिल हेतु लॉकडाउन अवधि के लिए सभी करों और लेवी और शिकायतों का निलंबन किया जाना चाहिए केंद्र और राज्य सरकार किसी भी प्रकार  के सभी करों और शुल्क को केंद्र और राज्य सरकार द्वारा प्रभावी अवधि (लॉक डाउन पीरियड) के दौरान माफ कर सकती है, क्योंकि इस अवधि में व्यापार और उद्योगों को शून्य राजस्व प्राप्त होगा।

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