पानी से भी फैल सकता है कोरोना वायरस, क्या है वैज्ञानिकों का कहना coronavirus survives in contaminated water what science says | knowledge – News in Hindi
कोविड-19 का संक्रमण कम करने के लिए पानी का साफ होना बेहद जरूरी है.
वैज्ञानिकों के अनुसार कोविड-19 (Covid-19) का संक्रमण कम करने के लिए पानी का साफ (potable water) होना बेहद जरूरी है.
पानी में मिले वायरस के सबूत
बता दें कि World Health Organisation (WHO) ने मार्च में बताया था कि कोरोना वायरस पानी से नहीं फैलता बल्कि संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने पर या फिर उसकी छींक और खांसी से ही फैलता है. वहीं ऑनलाइन जर्नल केडब्लूआर (KWR) के 24 मार्च के अंक में नीदरलैंड के वैज्ञानिकों ने दावा किया कि उनके यहां वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में कोरोना वायरस के तीन सक्रिय जींस मिले हैं. इसी तरह से UK Centre For Ecology & Hydrology के अनुसार भी कोरोना वायरस मल या फिर गंदे पानी में भी कुछ वक्त तक सक्रिय रहता है. हालांकि ये कितनी देर पानी में सर्वाइव करता है, इसकी अभी कोई पुष्टि नहीं हो सकी है.
वायरस गंदे या अशुद्ध पानी में लंबे वक्त तक जिंदा रह सकते हैं
सार्स के दौरान भी यही देखा गया
Environmental Science: Water Research & Technology में भी इससे मिलते-जुलते आशय की रिपोर्ट प्रकाशित हुई है. University of California के वैज्ञानिकों समेत University of Salerno के शोधकर्ताओं की टीम ने इस स्टडी में हिस्सा लिया. इसका मकसद ये देखना था कि क्या पानी में भी SARS-CoV-19 वायरस जिंदा रहते हैं और रह पाते हैं तो कितनी देर रहते हैं. और इसका क्या असर पब्लिक हेल्थ पर पड़ता है. इसके तहत पाया गया कि साल 2002-03 में श्वसन की तंत्र की बीमारी सार्स के प्रकोप के दौरान भी पानी के पाइप में लीकेज होने पर पानी की बूंदें ऐरोसॉल के जरिए हवा में पहुंच गई थीं और इसकी वजह से मामले और भी तेजी से बढ़े. हांगकांग में हुई इस स्टडी में पानी और कोरोना वायरस के बीच सीधा संबंध दिखाया गया था.
आशंका जता रहे
हालांकि कोविड-19 के मामले में अब तक ऐसा कोई मामला सामने नहीं आया है लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि एक फैमिली के सारे पैथोजन एक ही तरह से प्रतिक्रिया करते हैं. ऐसे में यहां भी पानी के सीवेज या लीकेज से कोरोना संक्रमण बढ़ सकता है. वायरस पानी की फुहारों के जरिए हवा में फैल सकता है. इस प्रक्रिया को शॉवरहेड्स एयरोसोल ट्रांसमिशन (showerhead aerosol transmission) कहते हैं. अब तक बैक्टीरिया के मामले में पानी बीमारियां फैलाने का मुख्य जरिया रहा है लेकिन कोरोना वायरस भी पानी से फैल सकते हैं.
जहां कोरोना संक्रमण फैल रहा है, वहां पीने या फिर इस्तेमाल आने वाले पानी की व्यवस्था में सुधार होना चाहिए
कैसे हो सकता है बचाव
वाटर ट्रीटमेंट की मदद से पानी में इस पैथोजन से बचा जा सकता है. एक्सपर्ट्स के मुताबिक ज्यायदातर वाटर ट्रीटमेंट इस तरीके से बने हैं जो न केवल पीने के पानी, बल्कि गंदे पानी से भी कोरोना वायरस को खत्म कर देते हैं. केमिकल हाइपोक्लोरस एसिड या पैरासिटिक एसिड के साथ ऑक्सीकरण की प्रोसेस पानी को साफ करने का प्रचलित तरीका है. इसके अलावा क्लोरीन और यूवी किरणों की मदद से भी पानी शुद्ध किया जाता है. कारखानों, जहां wastewater treatment होता है, वहां पर मेम्ब्रेन बायोरिएक्टर का इस्तेमाल होता है ताकि ठोस अपशिष्ट को छानने के साथ ही साथ वायरस और बैक्टीरिया भी साफ हो जाएं.
वैज्ञानिकों का मानना है कि जहां-जहां कोरोना संक्रमण फैल रहा है, वहां पीने या फिर इस्तेमाल आने वाले पानी की व्यवस्था में सुधार होना चाहिए. खासकर कोरोना के हॉटस्पॉट वाली जगहों पर ये काम जरूर होना चाहिए. यहां पर अस्पतालों और नर्सिंग होम जैसी जगहों से नालों के जरिए कोरोना संक्रमित पानी दूसरे स्वस्थ लोगों तक पहुंचकर उन्हें भी बीमार कर सकता है. ऐसे में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में ज्यादा आधुनिक प्रणाली का उपयोग करके पानी को कोरोना मुक्त किया जा सकता है. अस्पताल, सामुदायिक क्लीनिक और नर्सिंग होम जैसे स्थानों से सीवेज के द्वारा कोरोनवायरस वाटर ट्रीटमेंट तक पहुंच सकता है
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First published: April 11, 2020, 6:04 PM IST