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जिस भीलवाड़ा मॉडल की हो रही तारीफ,वहां की नर्स ने बताया किस तरह लड़ी कोरोना से | Diary of a Bhilwara nurse How she fought and recovered from COVID 19 | bhilwara – News in Hindi

जिस भीलवाड़ा मॉडल की हो रही तारीफ, वहां की नर्स ने बताया किस तरह लड़ी कोरोना से

भीलवाड़ा की नर्स का कोरोना से संघर्ष

COVID-19: भीलवाड़ा जिले की एक नर्स की कोरोना (CoronaVirus) से संघर्ष की कहानी- अस्‍पताल प्रबंधन ने नर्सिंग कर्मचारियों से सक्रिय उपाय के लिए परीक्षण कराने को कहा. उन्‍हें कुछ नर्सों में शुरुआती लक्षण दिख रहे थे.

नई दिल्‍ली. कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में भीलवाड़ा मॉडल की तारीफ हर जगह हो रही है. राजस्‍थान के भीलवाड़ा जिले की एक नर्स ने बताया है कि उसने किस तरह कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई लड़ी. नर्स ने कहा- अस्पताल में मेरे सहयोगियों के बीच बुखार और खांसी आम बात हो गई थी. हमें दिन भर ऐसी ही चीजें फेस करनी पड़ती थी. इसके बावजूद, हमने मरीजों की देखभाल करना जारी रखा और हम वहां डेली बेसिस पर मरीजों की जांच करते रहे.

मुझमें बुखार और अन्‍य कोई लक्षण नहीं था. हालांकि अस्‍पताल प्रबंधन ने नर्सिंग कर्मचारियों से सक्रिय उपाय के लिए परीक्षण कराने को कहा. उन्‍हें कुछ नर्सों में शुरुआती लक्षण दिख रहे थे. 12-13 मार्च के आस-पास परीक्षण शुरू हुए. पहली बार जब मेरा परीक्षण किया गया, तो परिणाम निगेटिव आया. इसके बाद मैं पारिवारिक विवाह समारोह में शामिल होने के लिए 17 और 18 मार्च को छुट्टी पर चली गई. जब 19 तारीख को मैंने लौटकर काम शुरू किया, तो शहर में कोरोना वायरस का एक पॉजिटिव केस मिला. वहीं मेरे कुछ अन्‍य सहयोगियों का भी कोरोना टेस्‍ट पॉजिटिव आया. उस समय की जांच के बाद हमें पता चला कि कोई भी लक्षण न होने पर भी कोरोना पॉजिटिव हो सकता है. क्‍योंकि ऐसा ही एक केस मिला था. इसके बाद प्रशासन तुरंत हरकत में आया. जनता कर्फ्यू से 3-4 दिन पहले पूरे शहर को तुरंत सील कर दिया गया.

मैं चिकित्‍सा क्षेत्र से ही थी, इसलिए पूरी स्थिति को अच्‍छे से समझ रही थी. इसलिए, मुझे अन्‍य मरीजों के जितना तनाव नहीं था. हमें तत्काल प्रभाव से आइसोलेशन वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया. वहां रहकर हम ‘आइसोलेशन’ शब्‍द की गंभीरता समझ पाए. हम अपने परिवार और परिजनों को याद कर रहे थे और एक दूसरे को सपोर्ट कर रहे थे. हम जल्‍द ही परीक्षण और उपचार को लेकर आभारी थे. हम एक दूसरे को हिम्‍मत बंधा रहे थे, ये बता रहे थे कि हम सभी जल्‍द ठीक होकर घर लौट जाएंगे.

डॉक्टर बेहद मददगार थे. उन्होंने हमें सुरक्षित और आरामदायक महसूस कराया. उनके शब्दों ने मुझे भरोसा दिलाया. उन्होंने मुझे बताया कि मैं बहुत जल्द ठीक हो जाऊंगी और अपने घर लौट जाऊंगी. मुझे लग रहा था कि दवाओं के अलावा मेरे चारों ओर सकारात्मकता थी जो मुझे घर लौटने की हिम्‍मत दे रही थी.जयपुर के डॉक्‍टरों ने इटली के रोगियों को ठीक करने के लिए जिन दवाओं से उनका सफलतापूर्वक इलाज किया, हमारे डॉक्‍टर भी वही इस्‍तेमाल कर रहे थे. हमारी अच्‍छी तरह से देखभाल की गई. हमें खाना, दवाइयां, पानी और अन्‍य आवश्‍यक चीजें सबकुछ समय पर दिया जा रहा था. आखिरकार मैं ठीक हो गई. उस वक्‍त हमें मालूम हुआ कि देश की स्थिति कितनी ज्‍यादा खराब है. खासकर भीलवाड़ा की. मैं काफी अचंभित थी. 3 अप्रैल को मैं घर वापस लौटा आई. मैं फिर से अपने परिवार के पास पहुंचकर अपने पति, ससुराल वाले और अपनी डेढ़ साल की बेटी से मिलकर काफी खुश थी.

मैंने अपने घर में एक अलग कमरे में खुद को आइसोलेट किया हुआ है. मैं अपने परिवार को सुरक्षित रखने के लिए कई तरह की सावधानी बरत रही हूं. पूरी तरह से फिट और स्‍वस्‍थ्‍य महसूस करने के बावजूद मैं सतर्क हूं. मैं अपनी बेटी से मिलने का, उसके साथ खेलने का फिर इंतजार नहीं कर सकती.

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First published: April 11, 2020, 12:41 AM IST



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