क्या एसी और कूलर से हो सकता है कोरोना वायरस का खतरा? | Know if air conditioner and coolers are mediums to spread corona virus | knowledge – News in Hindi


घरों में एसी के इस्तेमाल का मौसम करीब है. फाइल फोटो.
लखनऊ में प्रैक्टिस करने वाले डॉ. स्कंद शुक्ला कोरोना वायरस के खतरे को लेकर सोशल मीडिया के ज़रिए लगातार जागरूकता फैलाने और लोगों की समझ बढ़ाने का काम कर रहे हैं. उनकी ताज़ा पोस्ट आगामी दिनों में एसी और कूलर के उपयोग और उससे जुड़े संभावित खतरों के बारे में बेहद उपयोगी है.
क्या आपको घरों में कूलर और एसी (Air Conditioner) का इस्तेमाल करना चाहिए? खासकर कोरोना वायरस के संक्रमण (Covid 19) के इस दौर में क्या यह खतरनाक हो सकता है? क्या ऐसे ठंडक देने वाले यंत्रों के कारण वायरस (Virus) फैल सकता है? इन तमाम सवालों के जवाब देते हुए जानकारी से भरपूर एक पोस्ट डॉ. स्कंद शुक्ला ने फेसबुक (Facebook) के ज़रिए साझा की है, जो वायरल होने लगी है. इस पोस्ट को ध्यान से पढ़कर एसी और कूलर के इस्तेमाल के बारे में सजग होइए.
एसी से कैसे फैल सकता है वायरस?
“कोविड-19 के सम्बन्ध में जितना लोग गरमी से आशा लगाये हैं, उतना ही एसी व कूलर-जैसे शीतल उपकरणों के प्रयोग को लेकर सशंकित हैं.घरों में लगे निजी एसी व कूलरों से कारण कोविड-19 का कोई अतिरिक्त ख़तरा विशेषज्ञों के अनुसार नहीं है, किन्तु सार्वजनिक स्थलों पर इस्तेमाल किये जा रहे सेंट्रली एयरकंडीशनिंग यूनिटों से यह विषाणु फैल सकता है. अगर उनकी परिधि में कोई कोविड-19-संक्रमित व्यक्ति मौजूद हो. भारत में लॉकडाउन के बावजूद बैंक व अनेक सरकारी संस्थान काम कर रहे हैं, वहां यह बात बड़े महत्त्व की हो जाती है.
विषाणु खाँसने-छींकने-थूकने-बोलने के कारण निकली नन्ही बूँदों से सीधे एक व्यक्ति से दूसरे में फैल सकता है या आसपास के सामानों पर जमा होने के बाद उन्हें छूने से भी. ऐसे में सेंट्रली एयरकंडीशनिंग सिस्टम में पुनर्चक्रित (रीसायकिल) हो रही हवा में यदि किसी रोगी के विषाणु-कण पहुँच गये, तब संक्रमण दूसरे स्वस्थ लोगों में फैल सकता है.

डॉ. स्कंद शुक्ला की फेसबुक पोस्ट.
लॉकडाउन किए गए जहाज़ के सबक
यद्यपि एयर-कंडीशनर व सार्स-सीओवी 2 विषाणु-प्रसार पर और शोध की आवश्यकता है, यह भी सच है. इस बाबत 3700 यात्रियों से भरे हुए डायमंड प्रिंसेस नामक यात्री-क्रूज़ से सीखे गये सबक महत्त्वपूर्ण हैं, जिसे जापान के योकोहामा शहर के तट पर लॉकडाउन में डाला गया था. इस क्रूज़ से एक व्यक्ति हांगकां में उतरने के बाद कोविड-पॉजिटव पाया गया था. अमेरिका की संस्था सेंटर्स फ़ॉर डिज़ीज़ कंट्रोल एन्ड प्रिवेंशन (सीडीसी) के अनुसार इस जहाज़ के 46.5 प्रतिशत लोग टेस्टिंग के दौरान पॉज़िटिव पाये गये थे. क्रूज़ के भीतर अनेक सतहों पर उसे खाली करा लेने के बाद भी लगभग सत्रह दिन बाद तक विषाणु-कणों की उपस्थिति पायी गयी थी.
वैज्ञानिकों का यह भी मानना रहा कि इस क्रूज़ का एयर-कंडीशनिंग-तन्त्र इस प्रकार का नहीं था कि वह विषाणु-कणों को फ़िल्टर कर पाये और इस कारण यह बीमारी जहाज़ के भीतर सभी केबिनों में फैल गयी. एयर-कंडीशनिंग के दौरान बाहर से वायुमण्डल की कुछ हवा लेकर उसके साथ भीतर की कुछ हवा मिलायी जाती है. इस तरह से किन्तु 5000 नैनोमीटर से छोटे कणों को छानकर अलग नहीं किया जा सकता. इन विषाणुओं का आकार लगभग 120 नैनोमीटर है; इन्हें फ़िल्टर करना इन एयर-कंडीशनिंग-तन्त्रों द्वारा असम्भव रहा होगा. हवाई जहाज़ों के एसी तन्त्र के साथ भी यही स्थिति लागू होती है.
स्प्लिट एसी से खतरे की आशंका नहीं
अब-तक प्राप्त जानकारियों के अनुसार घरों के विंडो या स्प्लिट एसी का प्रयोग किया जा सकता है. घरों के निजी वॉटर-कूलरों के साथ कोई समस्या नहीं होनी चाहिए. किन्तु सेंट्रल एयरकंडीशनिंग के विषय में अधिक सावधानी रखने की ज़रूरत है. भारत में अभी तक तो लॉकडाउन के कारण अधिकांश ऐसे संस्थान बन्द हैं, जहां इस तरह के एसी का प्रयोग होता है, किन्तु बैंकों व अन्य दफ़्तरों को, जहां बाहर से लगातार लोगों का आना-जाना लगा रहता है, यथासम्भव एसी-इंजीनियरों से इस विषय पर अपने-अपने संस्थान के अनुसार चर्चा कर लेनी चाहिए.”
(फेसबुक पर डॉ. स्कंद शुक्ला की वॉल से साभार)
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First published: April 10, 2020, 2:37 PM IST