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ऑक्सीजन सिलेंडर न दिए जाने से हुई नवजात शिशु की मौत ।

मऊरानीपुर के सामुदायिक स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही ,

डॉ केशव आचार्य गोस्वामी की रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश / झांसी / एक ओर जहां कोरोना की महामारी को देखते हुए प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाएं सुधारी जा रही है । तो वही मऊरानीपुर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की हालत दिनों दिन बहुत खराब होते जा रही हैं जहाँ हाल ही में जन्मे नवजात शिशु की ऑक्सीजन न मिलने की वजह से मौत हो गयी । परिजनों ने उच्चाधिकारी से शिकायत कर कार्यवाही की मांग की ।

दरअसल पूरा मामला कुछ इस तरह से था कि ग्राम इटायल निवासी रोहित अपनी माँ के साथ पत्नी को लेकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र प्रसव के लाया था । जहां पर उपस्थित स्टाफ नर्स के द्वारा जच्चा बच्चा की सकुशल डिलेवरी की गई सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर तैनात महिला चिकित्सक द्वारा डिलेवरी कराने के अपने कार्य में रुचि नहीं दिखाई । जिसके चलते नवजात शिशु  की हालत लगातार बिगड़ने लगी, महिला चिकित्सक के नदारद होने के चलते नर्स के द्वारा ऑक्सीजन में बच्चे को रखने की सलाह दी । लेकिन  सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ने गरीब समझकर बच्चे को ऑक्सीजन नही दिया गया । जिसके चलते नवजात शिशु की मौत हो गयी ।

दरअसल पूरा मामला कुछ इस तरह से था कि ग्राम इटायल निवासी रोहित अपनी माँ के साथ पत्नी को लेकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र प्रसव के लाया था । जहां पर उपस्थित स्टाफ नर्स के द्वारा जच्चा बच्चा की सकुशल डिलेवरी की गई सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर तैनात महिला चिकित्सक द्वारा डिलेवरी कराने के अपने कार्य में रुचि नहीं दिखाई दिखाई । नवजात शिशु  की हालत में बिगड़ने लगी   सुधार न होने की वजह व ड्यूटी पर तैनात महिला चिकित्सक के नदारद होने के चलते नर्स के द्वारा ऑक्सीजन में बच्चे को रखने की सलाह दी गयी । लेकिन  सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रशासन द्वारा गरीब समझ कर बच्चे को ऑक्सीजन नही दिया गया । जिसके चलते नवजात शिशु की मौत हो गयी । जिसकी शिकायत परिजनों ने स्वास्थ्य विभाग के उच्चाधिकारियों और जिले के अधिकारियों से की। आपको बता दे कि मऊरानीपुर सामुदायिक स्वास्थ्य के प्रसव वार्ड रात्रि में स्टाफ नर्स के सहारे चलता है । जहां पर मोटी वेतन पाने वाली महिला चिकित्सक सिर्फ कागजो में ही ड्यूटी होती है, जयादातर नदारद ही रहती है । जिसका खामियाजा ग्रामीण क्षेत्र के लोगो के साथ नवजात बच्चों को अपनी जान देकर भुगतना पड़ रहा है । अब देखने वाली बात यह होगी कि झाँसी जिले के तेज तर्राक जिलाधिकारी इस मामले को संज्ञान में लेकर क्या कार्यवाही करते है । महिला चिकित्सक पिछले बीस वर्षों से भी अधिक समय से एक ही जमी हुई है, अधीक्षक अपनी कुर्सी बचाने के चक्कर में महिला चिकित्सक से पंगा लेने से घबराते है जबकि महिला चिकित्सक समामुदायिक केंद्र के सामने अपना निजी नर्सिंग होम भी चालाती है जो मरीज अपने निजी नर्सिंग होम में देखती है उन्ही को स्वास्थ्य केंद्र के रजिस्टर में दर्ज कर खाना पूर्ति कर देती है इसकी जानकारी जिला प्रशासन को पूरी तरह से है !

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