ब्रायलर मुर्गी फार्मर एवं व्यावसायियो को परिवहन में आ रही दिक्कत, कृषि मंत्री चौबे से मिले छग ब्रायलर फार्मस एसो. के लोग
दुर्ग। छत्तीसगढ़ ब्रायलर फार्मर्स एसोसिएशन द्वारा गत 7 मार्च को कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे को सौपे गए ज्ञापन में सोशल मीडिया में ब्रायलर मुर्गा-मुर्गी में कोरोना वायरस होने की भ्रामक एवं गलत अफवाह से हो रहे नुकसान से आगाह कराया गया था। फरवरी एवं मार्च माह में पोल्ट्री व्यवसाय खासकर ब्रायलर मुर्गा-मुर्गी व्यवसाय को बहुत ही विषम परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा था जिसका मुख्य कारण सोशल मीडिया में गलत अफवाह थी। छत्तीसगढ़ प्रदेश में लगभग 15000 (पंद्रह हजार) ब्रायलर फार्मर एवं 7500 ट्रेडर्स एवं चिल्हर विक्रेता, मक्का किसान, सोया किसान, कनकी चावल विक्रेता, धान का भूंसा, वेटरनरी दवाई आदि को भी भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा था एवं वर्तमान समय में भी ऐसी ही स्थिति है। लगभग 5 लाख लोग प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रुप से इस व्यवसाय से जुड़े हैं। वर्तमान समय में भी प्रतिदिन लगभग करोड़ो रुपये का नुकसान हो रहा है।
ब्रायलर फार्मरो द्वारा कई जगह मुर्गी-मुर्गा फ्री में भी बंाटा गया एवं कई फार्मरों ने मजबूरीवश मुर्गियों को दाना नहीं दे पाने के कारण दफना दिया था। ब्रायलर फार्मर अपनी जीवनभर की जमापूंजी गवा चुके हैं। इस नुकसान की भरपाई ब्रायलर फार्मर कैसे करेगा ये हम बता नहीं सकते। इसके अलावा बैंक से लिए हुए कर्ज की भी भरपाई फार्मर कैसे करेगा। प्रतिस्पर्धा में बड़ी कंपनियां आने के कारण फार्मर अपने लगत मूल्य से भी कम में कई दफा बेचने पर मजबूर रहता है। चूँकि आज स्थिति थोड़ी बहुत सामान्य हुई है किन्तु बहुत अच्छी नहीं कह सकते और जनता यह जान चुकी है कि वह अफवाह झूठी और भ्रामक थी और कम मूल्य में उन्हें बेस्ट प्रोटीन ब्रायलर मुर्गे से ही मिल सकता है। जोकि रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक होता है। अब ब्रायलर किसानों में एक उम्मीद जागी है फरवरी एवं मार्च माह के ब्रायलर फसल में हो चुके भरी नुकसान के बाद कुछ फार्मर के पास अब नए चूजे जो बड़े हो रहे हैं एवं बिक्री के लिए तैयार है, उनमे फार्मर कम से कम आधी लागत मूल्य तो निकाल सके और अपने नुकसान को कम कर सके। प्रदेश एवं देश में लॉक-डाउन होने के कारण हालांकि शासन ने ब्रायलर मुर्गे, चूजे एवं उससे सम्बंधित परिवहन एवं बिक्री को आवश्यक वास्तु के अंतर्गत रखा है किन्तु संशय की स्थिति होने के कारण अभी भी कई जगह ब्रायलर मुर्गे एवं उसके सामान के सप्लाई सुचारू रूप से नहीं हो पा रही है। कुछ जगह ब्रायलर परिवहन गाड़ी रोक दी जाती है आगे जाने नहीं दी जाती है जिससे चिल्हर व्यवसाई के पास सामान पहुँचने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। वर्तमान में ब्रायलर व्यवसाय ओडिशा से डिमांड में है किन्तु अंतर्राज्य परिवहन में संशय होने के कारण पर्याप्त मात्रा में फार्म से माल की डिलीवरी नहीं हो पा रही है।
छत्तीसगढ़ ब्रायलर फार्मर्स एसोसिएशन शासन-प्रशासन से आग्रह करता है कि ऐसी विषम परिस्थिती में कड़ी कारवाही करना जरूरी है किन्तु ब्रायलर फार्मर एवं छोटे व्यावसायियो को ध्यान में रखते हुए ब्रायलर मुर्गा-मुर्गी सप्लाई वाली गाडी को न रोककर उनका नुकसान होने से बचाएं। कई जगह खास कर बेमेतरा और जिले से लगे हिस्से में चिल्हर मुर्गी व्यवसाई को अपनी दुकाने खोलने नहीं दिया जा रहा हैं।
एसोसिएशन इस विज्ञप्ति द्वारा मुख्यमंत्री से आग्रह करती है कि हमारी समस्या को ध्यान में रखते हुए पोल्ट्री व्यवसाय में हो रहे नुकसान से बचने के लिए गाडि?ों के अंतर जिला एवं अंतर्राज्य आवाजाही में रोक एवं व्यवसायियो के दुकान खोलने हेतु दिशा निर्देश तैयार कर हमारी मदद करेंगे एवं बिजली बिल पर सब्सिडी दिलाने एवं अन्य राहत पैकेज एवं बैंक लोन रि-शेड्यूल करवाने में मदद करें।
उक्ताशय की मांग करने वालों में एम. आसिम बेग, प्रदेश अध्यक्ष छत्तीसगढ़ ब्रायलर फार्मर्स एसोसिएशन के साथ कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. हरपाल सिंग एवं अखिलेश लाल, उपाध्यक्ष रवि चन्द्राकर, पंचदेव ठाकुर, सचिव मिलाप देशमुख एवं अन्य पदाधिकारी डब्बू चन्द्राकर, पप्पु चन्द्राकर, यशवंत चंद्राकर, उत्तम जयसवाल, कमलेश चंद्राकर, राजेश ठाकुर, संजय शर्मा, नविन शर्मा, मयुरेश साहू, अशरफ भाई, दीपक देवांगन, राजेश अग्रवाल, विक्की भाटिया, एन.के. वर्मा, खेमलाल, मूसा भाई, विनोद, पोषण, गुलाब, सीटू, विष्णु, शेखर, अनिल कामरानी, कमलेश वर्मा, विष्णु चंद्राकर, बीजू चंद्राकर और सुलेमान भाई आदि शामिल हैं।