वेतन के लिए हमें सांकेतिक प्रदर्शन करना पड़ रहा है। मात्र तीन दिन हुआ वेतन मिलने में विलंब तो निगम कर्मचारियों का धरना प्रदर्शन जारी

भिलाई। नगर नगम भिलाई के सभी जोन के कर्मचारियों द्वारा आज निगम के मुख्य द्वार के समझ स्वायत्तशासी कर्मचारी महासंघ के बेनर तले एक दिवसीय सांकेतिक धरना प्रदर्शन किया गया, जिसमें कर्मचारी नेताओं सहित महिला कर्मचारी ने वेतन भुगतान नही होने के लिए सीधे तौर पर आयुक्त को जिम्मेदार ठहराया। राज्यशासन की ओर से प्रत्येक माह के 7 तारीख तक वेतन मिल जाता है लेकिन आज 11 तारीख हो जाने के बाद भी जब वेतन कर्मचारियों और अधिकारियों को नही मिला तब जाकर एक दिवसीय प्रदर्शन करना पड़ा। कर्मचारी नेता शरद दुबे, विष्णुचंद्राकर, वकील अहमद, नीरा सिंह सहित अन्य लोगों ने कहा कि हमने महापौर और उपायुक्त को वेतन भुगतान संबंधित एक ज्ञापन 10 तारीख को सौंपा था, जिसमें हमने बताया कि निगम की आर्थिक स्थिति कठिन दौर से गुजर रही है, निगम द्वारा जनहित में सम्पत्तिकर की राशि पचास प्रतिशत कटौती कर दी गई। बाजार वसूली शासन द्वारा रोकी गई। नामांतरण राशि न्यायालय द्वारा रोका गया। लायसेंस की राशि, भवनों के नियमितिकरण की राशि राज्य शासन के मद में जमा की जा रही है, श््राासन द्वारा निगम को दिये जाने वाले चुंगी क्षतिपूर्ति की राशि में कटौती कर दिया गया है। हम सभी लोगों को प्रतिमाह नियमित वेतन मिलना चाहिए। निगम को आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए अनुदान प्राप्त कर हमें शीघ्र वेतन भुगतान किया जाये। साथ ही निगम की संपत्तिकर में किये गये पचास प्रतिशत कटौती को लिया जाये। आज के इस प्रदर्शन में अधिकारी की संख्या ना के बराबर दिखी और जो दिखे भी वे बिखरे नजर आये। अपने संबोधन में सभी लोगों ने एक स्वर में कहा कि जनप्रतिनिधि पांच साल के लिए आयुक्त तीन साल के लिए इस निगम में आते है, लेकिन हम कर्मचारी 60 साल की उम्र तक सेवा देते हैं, लेकिन निगम के इतिहास में यह पहली बार
ठप्प रहा निगम में कामकाज
अधिकारी-कर्मचारियों के हड़ताल में चले जाने से नगर निगम में आज कामकाज ठप्प रहा। सफाई व जलापूर्ति जैसी आवश्यक सेवाओं पर हड़ताल का कोई असर नहीं रहा। लेकिन कार्यालयीन कामकाज नहीं होने से लोगों को दिक्कत हुई. निगम में जन्म मृत्यु प्रमा पत्र, भवन अनुज्ञा, भवन पूर्णता प्रमाण पत्र जैसे कार्य के लिए पहुंचे आवेदकों को टेबल पर जिम्मेदार कर्मचारी नहीं होने के चलते बैरंग वापस लौटना पड़ा। अधिकारी-कर्मचारी रोज की तरह कार्यालय पहुंचे और हाजिली लगाने के बाद मुख्यालय के बाहर गेट के पास धरने पर बैठ गए।