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यहां न्याय से लेकर सब कुछ रामभरोसे-रवि श्रीवास्तव

कहानी संग्रह रिश्तों की बुनियाद का हुआ विमोचन

दुर्ग। दुर्ग जिला हिन्दी साहित्य समिति के बेनर तले नगर के प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. संजय दानी के द्वितीय कहानी संग्रह रिश्तों की बुनियाद का विमोचन रविवार 20 जनवरी को मुख्य अतिथि  इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष, नगर के सुप्रसिद्ध कहानीकार  गुलबीर सिंह भाटिया,प्रो. जय प्रकाश साव, वरिष्ठ साहित्यकार रवि श्रीवास्तव, श्रीमती सरला शर्मा, अरूण निगम ने किया। इस अवसर पर कहानीकार डॉ. संजय दानी मुख्य रूप से उपस्थित थे। इस अवसर पर डॉ.ममता दानी एवं  दुर्ग जिला हिन्दी साहित्य समिति के अध्यक्ष अरूण निगम ने स्वागत भाषण दिया। वहीं प्रसिद्ध साहित्यकार रवि श्रीवास्तव एवं श्रीमती सरला शर्मा ने कहानियों की समीक्षा की।

कार्यक्रम के अध्यक्ष वरिष्ठ साहित्यकार व गुलबीर सिंह भाटिया ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि साहित्य की विधा सबसे कठिन विधा है। डॉ. दानी इसे सरल न समझे। कहानी उपन्यास का एक छोटा रूप है। कहानी लिखते समय सबसे पहले उसके अंत मे बारे में सोचना चाहिए उसके बाद वापस आते हए शुरूआत की जो ऐसा करता है वही सफल कहानीकार है। कहानी में एक अवधारणा है रोचकता, ताकि लोगों में जिज्ञासा रहे। डॉ. संजय दानी की रचनाओं मे पठनीयता की दृष्टिकोण से बहुत अच्छा होता है।

वहीं देश के जाने माने साहित्यकार रवि श्रीवास्वत ने अपने समीक्षात्मक संबोधन में अपने व्यंगात्मक शैली में कहा कि रिश्तों की बुनियाद के लेखक डॉ. दानी रिश्तो को बनाने में विश्वास रखते हैं। इनके एक कहानी में रामभरोसे पात्र है,इस पात्र के नाम से ही समझ में आ जाता है कि यहां सब रामभरोसे चल रहा है यहां तक कि न्याय भी रामभरोसे ही है। इनके इस कहानी में निगम व हाउसिंग बोर्ड एक किसान रामभरोसे की जमीन अधिग्रहित करता है, और उसको मुआवजा नही मिलने से वह न्यायालय का दरवाजा खटखटाता है, लेकिन अंत तक उसको न्याय नही मिल पाता है। इसके अलावा श्री श्रीवास्तव ने उनके कहानी रिश्तो की बुनियाद सहित अन्य कहानियों की भी समीक्षा की।

वरिष्ठ साहित्यकार श्रीमती सरला शर्मा ने रिश्तों की बुनियाद की कहानियों की समीक्षा करते हुए कहा कि आज के इस मशीनी जिंदगी में हम अपने घर आस पास के रहने वालों को नही पहचानते। इस तरह आज हम जी रहे हैं। आज संयुक्त परिवार टूटने लगा है। हम अपने बच्चों को समय नही दे पा रहे हैं उनके हाथ में मोबाईल पकडा दे रहे है, लोग सोशल मीडिया में लगे हुए है, इसके कारण संयुक्त परिवार टूटते जा रहा है। ऐसे समय में डॉ. संजय दानी की कहानी संग्रह रिश्तों की बुनियाद काफी हद तक सफल सिद्ध होगा।

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि जय प्रकाश साव ने इस अवसर पर संबोधित करते हुए कहा कि कहानी भारतीय विधा नही है। वह अंग्रेजी से ही आई है। कहानी और उपन्यास लेखन जो हमने सीखा वह अंग्रेजो से सीखा। लेकिन प्रेमचंद के उपन्यास ने इसे भारतीय बनाया। प्रेमचंद ही एक ऐसे उपन्यासकार है जो उपन्यास को भारतीयकरण किया। उनकी कई कहानियां विश्व स्तरीय है।

कार्यक्रम का संचालन इस्राईल शाद बिलासपुरी एवं दुर्ग जिला हिन्दी साहित्य समिति के सचिव नवीन तिवारी ने एवं  आभार व्यक्त वरिष्ठ शायर मुकुंद कौशल ने किया।

इस अवसर पर हल्काए अदब के अध्यक्ष हनीफ भिण्डरसरा, डा.एम के सर्राफ के डॉ एम के सर्राफ, रविन्द्र चौबे रविवार 20 जनवरी को धमधा नाका ओव्हर ब्रिज के पास स्थित आईएमए भवन में अपरान्ह साढे 3 बजे करेंगे। इस अवसर पर इस अवसर पर एम्स हॉस्पिटल रायपुर के डायरेक्टर अजय दानी, आलइंडिया कांग्रेस कमेटी के दीपक दुबे, रऊफ कुरैशी, हल्काए अदब के अध्यक्ष हनीफ भिण्डरसरा, मुमताज भाई, लोक बाबू, श्रीमती संतोष झांजी, शमशीर सिवानी, आलोक नारंग, डीएन शर्मा, श्रीमती निलम जयसवाल, प्रदीप भट्टाचार्य, नरेश विश्वकर्मा, प्रदीप वर्मा, साकेत रंजन, प्रशांत कानस्कार, अजहर कुरेैशी, डॉ. नौशाद सिद्दिकी, ओप्रकाश शर्मा, ओमप्रकाश जायसवाल, उमेश दीक्षित, रूचि क्षतिय, डॉ. निर्माण तिवारी, अरूण कसार,आर सी मुदलियार सहित दुर्ग भिलाई के सभी साहित्यकार उपस्थित थे।

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