छत्तीसगढ़

गरीबों को सहायता क्या लाकडॉउन् के बाद मिलेगी या पहले, करोड़ो रूपये दान आने के बाद भी गरीब एक एक रुपये के लिए मोहताज

गरीबों को सहायता क्या लाकडॉउन् के बाद मिलेगी या पहले, करोड़ो रूपये दान आने के बाद भी गरीब एक एक रुपये के लिए मोहताज

डोंगरगढ- देवेन्द्र गोरले सबका संदेस न्यूज़ छत्तीसगढ़-कोरोना महामारी को फैलने से रोकने के लिए देश के

 

 

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 22 मार्च रविवार को एक दिन का जनता कर्फ्यू का आव्हान किया था जिसका देश की जनता ने खुलकर समर्थन किया लेकिन अगले ही दिन छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 31 मार्च तक का लाकडॉउन् घोषित कर दिया और इसी बीच देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पूरे देश में 21 दिनों का कर्फ्यू लगा दिया और

 

देशवासी उनके इस फैसले का स्वागत करते हैं क्योंकि यह कोरोना महामारी को खत्म करने के लिए जरूरी था लेकिन ना तो छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने और ना ही देश के प्रधानमंत्री श्री मोदी ने एक बार भी यह नहीं सोचा कि ऐसा करने से महामारी तो खत्म हो जायेगी लेकिन उन गरीब परिवारों का क्या होगा जो रोज कमाते हैं और रोज खाते हैं उन परिवारों का क्या होगा जो मध्यम वर्गीय

 

 

परिवार है जो अपने मान सम्मान को ठेंस पहुंचाये बिना सामान्य जीवन जीना पसंद करते हैं लेकिन इस कर्फ्यू ने उनके मान सम्मान को ठेंस पहुंचाते हुए एक-एक दाने के लिए दूसरों के सामने झोली फैलाने पर मजबूर कर दिया है। प्रधानमंत्री मोदी से लेकर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री बघेल ने गरीब मजदूर परिवारों को हर सम्भव मदद करने का आश्वासन तो दिया लेकिन मदद करने के बहाने जहां एक तरफ देश के प्रधानमंत्री श्री मोदी ने देश के बड़े-बड़े उद्योगपतियों, कारोबारियों, जनप्रतिनिधियों, धार्मिक, समाजिक व समाजसेवी संस्थाओं से गरीब मजदूर परिवारों की सहायता के नाम पर दान मांगना प्रारंभ किया तो वहीं छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी कुछ ऐसा ही किया।ऐसा करने से प्रधानमंत्री सहायता कोष में लगभग 6 हजार करोड़ रुपये जमा हुए तो मुख्यमंत्री सहायता कोष में भी करोड़ो रूपये की सहायता राशि जमा हुई इसके बाद भी कुछ जनप्रतिनिधि, सामाजिक व धार्मिक संस्थाए गरीब मजदूर परिवारों की मजबूरियों का मजाक उड़ाने निकल पड़े और कोई सूखा राशन बांटकर तो कोई बना हुआ खाना बांटकर ढेरों फोटो खींचकर सोशल मीडिया और फेसबुक जैसी सोशल साइट्स पर डालकर उन गरीब मजदूर परिवारों की नीचा दिखाने का प्रयास किया जा रहा है।
अब तक जो जानकारी सामने आ रही है उसके मुताबिक 14 अप्रैल को लाकडॉउन् खत्म हो जायेगा यानी आज से ठीक 12 दिन बाद कर्फ्यू समाप्त हो जायेगा लेकिन अब तक किसी भी गरीब परिवार को आर्थिक सहायता नहीं दी गई। क्या यह मदद लाकडॉउन् के बाद मिलेगी जब लोग अपनी जरूरतों के लिए दर बदर हो जाएंगे और कुछ ईलाज व दवाइयों के अभाव में अपनी जान गंवा देंगे। क्योंकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा तीन माह का राशन व उज्ज्वला गैस धारकों को तीन माह की गैस निशुल्क देने की घोषणा की गई लेकिन जो सामान्य गैस कनेक्शन धारक है वो इस देश के नागरिक नहीं है और क्या केवल चांवल, गेंहू , शक्कर और मिट्टी तेल से ही इंसान का जीवन चलता है क्या इंसान की जरूरत यही तक सीमित है। क्या राशनकार्ड धारी ही देश का नागरिक हैं उन नागरिकों का क्या जिनके पास राशनकार्ड नहीं है उनकी जरूरतें कैसे पूरी होगी।

एक बात यह भी सोचने वाली है कि प्रधानमंत्री सहायता कोष में अब तक लगभग 6 हजार करोड़ रुपये जमा हो चुके हैं और हमारे देश की जनसंख्या जनगणना के अनुसार 1 अरब 25 करोड़ है और जिन लोगो का जनगणना में नहीं है यदि उन्हें भी शामिल किया जाये तो भी अधिक से अधिक 1 अरब 50 करोड़ होती है यानी 150 करोड़ और कोष में आये 6 हजार करोड़ रुपये तो अब सरकार किस बात की राह देख रही है कि लोग अपनी जरूरतों के लिए सड़कों पर निकले और कोरोना का शिकार हो फिर उनकी मौत का हर्जाना उनके परिवार वालों को देकर अपना पीछा छुड़ा ले। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा था कि काला धन देश में लाकर सभी गरीबों के खाते में 15-15 लाख रुपये डालेंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ बल्कि नोटबन्दी करके देश की महिलाओं का पैसा ही बाहर निकाल दिया। अब महामारी के दौर में गरीबों की सहायता के नाम पर सहायता कोष में इतना पैसा जमा हो गया कि 15 -15 लाख नहीं 15-15 करोड़ रुपये भी गरीबों के खाते में डालेंगे तो भी यह राशि खत्म नहीं होगी लेकिन उसके बावजूद 15 करोड़ तो दूर की बात 15-15 हजार रुपये भी अब तक गरीबों के खाते में नहीं आये यदि यह राशि गरीबों की खाते में आ जाती तो कोई भी गरीब अपनी जरूरतों के लिए घर से बाहर नहीं निकलेगा। इधर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल दो माह की राशन निशुल्क देने की घोषणा की लेकिन केवल चांवल निशुल्क दिया जा रहा है शक्कर, मिट्टी तेल निशुल्क नहीं दिया जा रहा वहीं मुख्यमंत्री सहायता कोष में करोड़ों रुपये जमा हो चुके लेकिन उसके बाद भी अब तक गरीब परिवारों को आर्थिक सहायता नहीं दी गई जबकि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने गरीबों की परेशानियों को समझकर प्रत्येक के खाते में 5-5 हजार रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की।

 

 

 

 

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