बीएसपी ने अपने श्रमिकों की मांग पर फिर पुराना शिफ्ट चलने का निकाला सर्कुलर
भिलाई। बीएसपी प्रबंधन ने शिफ्ट ड्यूटी को एक बार फिर परिवर्तित कर दिया है। ए-शिफ्ट को सुबह सात बजे से दोपहर 3 बजे और बी-शिफ्ट को दोपहर 3 से रात 11 बजे किया गया है। सी-शिफ्ट को 11 बजे से सुबह 7 बजे कर दिया गया था। इसे लेकर बीएसपी के कर्मचारियों में काफी आक्रोश था, जिसकी शिकायत स्टील इम्प्लाइज यूनियन इंटक के पास की गई। इस पर शनिवार को इंटक के महासचिव ने विरोध जताया। वापस पुराने शिफ्ट के अनुसार समय को लागू करने चर्चा की। इस पर प्रबंधन ने भिलाई इस्पात संयंत्र के कर्मचारियों की मांग को ध्यान में रखते हुए वापस पुराने समय के अनुसार शिफ्ट चलने का सर्कुलर निकाला गया।
इंटक की मांग पर भिलाई इस्पात संयंत्र में कार्यरत सभी दिव्यांग कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम किया गया। यूनियन ने यह भी मांग की कि संयंत्र के अंदर बड़े बड़े विभाग में कैंटीन को चालू किया जाए और उसमें स्वच्छता की व्यवस्था किया जाए। अति संवेदनशील और अति महत्वपूर्ण सेवा में कार्यरत कर्मचारियों का 50 लाख का बीमा किया जाए। स्पेशल अलाउंस दें। ज्यादा से ज्यादा कर्मचारियों को रोस्टर बनाकर वर्क फ्रॉम होम दिया जाए, जिससे कि भिलाई इस्पात संयंत्र के कर्मचारी सुरक्षित रहें। संयंत्र भी सुरक्षित रहे। संयंत्र के सभी विभागों के पुलपिट, ऑपरेटर केबिन, कंट्रोल रूम, रेस्ट रूम, शिफ्ट रूम एवं मशीनों को सेनिटाइजिंग किया जाए। सभी विभागों में साबुन एवं सेनिटाइजर और मास्क की व्यवस्था की जाए, जिससे विपरीत परिस्थिति पर कार्य करने वाले कर्मचारी सुरक्षित तरीके से कार्य कर सकें।
शिफ्ट के टाइम को लेकर सीटू ने जताई आपत्ति
कोरोना संकट को देखते हुए भिलाई इस्पात प्रबंधन द्वारा न्यूनतम कर्मियों से काम लेने के साथ ही नए शिफ्ट में उन्हें बुलाया जा रहा है। इसमें विसंगतियों पर ध्यान दिलाते हुए सीटू ने प्रबंधन से पुरानी व्यवस्था लागू करने की मांग की है। प्रबंधन एवं सीटू के बीच हुई बातचीत में यह बात उभर कर आई थी केंन्द्रीय गृह सचिव के द्वारा जारी किया गया दिशा निर्देश के अनुसार निरंतर प्रक्रिया वाले विभागों को संचालन करने के लिए न्यूनतम से न्यूनतम कर्मचारियों को काम पर रखा जाना है। इसके लिए यूनियन ने कैंटीन बंद होने के मद्देनजर उन कर्मचारियों के लिए भोजन व्यवस्था की बात उठाई। इस पर प्रबंधन ने घर से ही भोजन व्यवस्था कर कराने की बात कहकर बैठक के बाद पाली की समय व्यवस्था को बदल दिया। जब यह बात यूनियन के संज्ञान में आई एवं उसका अध्ययन किया गया तो पाया कि सामान्यता कर्मी घर पहुंच कर नहा धोकर भोजन करना पसंद करते हैं। इस नई व्यवस्था में कर्मी प्रथम पाली में चार बजे तक एवं दूसरी पाली में रात्रि 12 बजे तक घर पहुंच कर भोजन करेंगे, जो कि और ज्यादा मुश्किलों को पैदा करेगा। इसीलिए सीटू ने तुरंत ईडी पीएंडए को पत्र देकर ड्यूटी व्यवस्था को पुराने जैसे ही बहाल करने की मांग की।
सीटू के कार्यकारी अध्यक्ष अशोक खातरकर का कहना है कि उच्च प्रबंधन के साथ हुई बैठक में निर्णय के अनुसार संयंत्र में कार्य करने वाले स्थाई एवं ठेका पद्ति के महिला कर्मियों को संयंत्र में आने पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है। साथ ही संकट के समय में नियमानुसार सभी को हाजिरी देने की बात भी स्पष्ट कर दी है। बावजूद इसके शनिवार को संयंत्र के कुछ विभागों में स्थाई कर्मी और ठेका कर्मी नजर आए, जिसकी जानकारी तत्काल उच्च प्रबंधन को दे दी गई। उच्च प्रबंधन ने तत्काल प्रभाव से इस पर संज्ञान लेते हुए आवश्यक कार्यवाही करने की बात कही।
शनिवार को सिंटर प्लांट-2 के कर्मी जब वहां के प्रमुख अधिकारी से यह पूछे कि इस संकट में सिंटर प्लांट-2 के कर्मियों के लिए किस तरह की व्यवस्था की गई है। विभाग प्रमुख ने मैनेजमेंट पर डालते हुए किसी भी व्यवस्था की स्पष्ट रूप से जानकारी नहीं दी। कर्मी नाराज होकर घर जाने के लिए तैयार हो गए, तब प्रबंधन ने भी इस विषय पर दखल दिया। पूरे कर्मियों को दो हिस्से में बांट कर आधे कर्मियों को एक सप्ताह तथा बचे आधे कर्मियों को दूसरे सप्ताह ड्यूटी करने की व्यवस्था लागू की। साथ ही सैनिटाइजर मास्क गमछा आदि का भी इंतजाम करवाया।