छत्तीसगढ़

20 मजदूरों की बहाली के लिए संघर्ष पर किताब छप जानी चाहिए

20 मजदूरों की बहाली के लिए संघर्ष पर किताब छप जानी चाहिए

विश्वनाथ प्रसाद साहू सबका संदेस न्यूज़ छत्तीसगढ़-सरकार बदली पर कम्पनी की बदनियत और रौब पहले जैसा वर्तमान सरकार तो प्लांट के 10 वर्षों में विपक्ष में रही मजदूरों का साथ दिया पर सरकार आने के बाद कोई रूचि नही

के एस के महानदी पावर कम्पनी 2008 में इस क्षेत्र में जमीन खरीदना शुरू किया यह प्लांट प्रारम्भ काल से विवादित रहा है क्योंकि पहले मजदूरों की जमीन को 1 लाख रूपये प्रति एकड़ के दर से ख़रीदना प्रारम्भ किया था जो 23 लाख रूपये तक गया इसके अलावा कुछ प्रभावशाली लोगो की जमीन 30 लाख रूपये एकड़ तक में खरीदी गई है कंपनी ने जो वादे जनसुनवाई के समय किया उसका कभी पालन नही किया यहाँ भुविस्थापितो की संख्या तकरीबन 1800 सौ के आस पास है जो प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित है इस प्लांट का विवादों से हमेशा नाता रहा है इस प्लांट ने नियम कानूनों की धज्जियाँ उड़ाते हुए रोगदा बाँध को प्रारंभकाल ही में पाट दिया जिसका विवाद बहुत दिन तक चला पर शासन प्रशासन की मेहरबानी से रोगदा बाँध के अस्तित्व का पता नही चला विवादित प्लांट धीरे धीरे उत्पादन के चरण में पहुँचा बहुत सारे जन आंदोलन को कुचल कर कई बड़े जन आंदोलन हुए वादाखिलाफी के खिलाफ महिलाओं बुजुर्गों सबको दौड़ा कर पीटा गया लगातार किसानों की गिरफ्तारी हुई लाठी के दम पर प्लांट का निर्माण हुआ और 2014 में पहली 600 मेगावाट की इकाई का उत्पादन शुरू हो गया लगभग 1000 मजदूरों को पहले प्रोजेक्ट में ठेकेदारी में नौकरी मिला सरकार के न्यूनतम दर पर जो उत्पादन शुरू होने तक जारी रहा है धीरे धीरे मजदूर लामबंद हुए यूनियनों का निर्माण हुआ फिर छ ग पावर मजदूर संघ(एच एम एस) ने लगातार ठेका मजदूरी के खिलाफ आवाज उठायी अनेक आंदोलन हुए सालो तक जिला प्रशासन के साथ बैठक हुई अंत में संघ ने सफलता पायी लगभग 850 मजदूर नियमित हुए जो अपने आप में बहुत बड़ी कामयाबी थी जिसके बाद एच एम एस यूनियन ने मजदूरों की स्थिति सुधारने और कंपनी के वादे और सी एस आर के मुद्दे को उठाना शुरू किया इसके बाद असली खेल शुरू हुआ जो कंपनी प्रबन्धन प्रारम्भ से करते आयी है जब संघ ने मजदूरों को एकजुट करके कंपनी प्रबन्धन से बैठक करके 17 हजार रूपये न्यूनतम वेतन और 1 अनिवार्य प्रमोशन के लिए सहमत कर लिया लेकिन यूनियन कंपनी प्रबन्धन के कूटरचित योजना को समझ नही पाया कंपनी प्रबन्धन ने समझौते के बाद प्लांट में अपने लोगो से विवाद करवा दिया और जितने मजदूर नेता थे जो मजदूर हित की लड़ाई अच्छे से लड़ रहे थे झूठी रिपोर्ट करके नौकरी से बाहर कर दिया कंपनी ने स्थानीय जिला प्रशासन को ऐसा कहानी सुनाया कि मजदूर नेता हमारे अधिकारियो को गन पॉइंट में सारे समझौते कराया है और वास्तविक घटना यह है कि पुलिस प्रशासन के बड़े अधिकारियो की उपस्थिति में मिनिमम वेज तय हुआ था जिसमे sdop और 3 थाने के प्रभारी भी मौजूद थे और 17 हजार रूपये न्यूनतम वेतन एवं 1 अनिवार्य प्रमोशन का घोषणा 500 मजदूरों के बीच में तत्कालीन प्लांट हेड वी के सिन्हा ने किया था जिसका वीडियो रिकॉर्डिंग हुआ है जो सभी मजदूरों के पास है कंपनी प्रबन्धन ने बड़ी प्लानिंग करके 17 सितम्बर 2019 को नाटकीय रूप से प्लांट को तालाबंदी कर दिया जिसके बाद मजदूर संघ ने फिर आवाज उठायी तत्कालीन श्रम सचिव सुबोध सिंह ने जांजगीर चाम्पा कलेक्टर को पत्र लिखा और कम्पनी प्रबन्धन को कारण बताओ नोटिस जारी किया तब आनन फानन में कलेक्टर जे पी पाठक के द्वारा 18 सितम्बर 2019 को अतिरिक्त कलेक्टर की अध्यक्षता में कम्पनी प्रबन्धन और यूनियन के बीच कमेटी बना कर बैठक कराया गया जिसमे तय हुआ कि निकट भविष्य में प्लांट में विवाद किसी भी यूनियन के द्वारा नही किया जायेगा और सबके सहयोग से शांतिपूर्ण तरीके से प्लांट का संचालन 3 से 5 दिन में कर दिया जाएगा जब 25 सितम्बर 2019 को तालाबंदी समाप्त की गयी तो अप्रत्याशित तरीके से मजदूर नेताओ को प्लांट में प्रवेश नही दिया गया जिसके बाद फिर बड़े स्तर पर चरण बद्ध आंदोलन शुरू हो गया इसी दौरान 17 अक्टूबर 2019 को मजदूरों के द्वारा आमरण अनशन शुरू किया गया फिर 18 अक्टूबर 2019 को मध्यरात्रि में सो रहे 67 मजदूरों को उठाकर जेल में डाल दिया गया 3 मजदूर नेताओ को अगले दिन घर से उठाकर उन्हें भी जेल में डाल दिया अनशन को लाठी के दम पर प्रशासन ने बन्द करा दिया फिर भी इनकी बहाली नही हो सकी इनके पुनः धरना प्रारम्भ किया गया जो 23 दिसम्बर से लेकर 19 मार्च को लगातार 87 दिन धरना देने के बाद स्थगित इसलिए हुआ क्योकि पुरे देश में कोरोना का संकट आ गया और ये सब न्याय के लिए वंचित और बेबस हो गए इससे पहले इनके द्वारा 800 मजदूरों के साथ मुख्यमंत्री से मिलने के लिए रायपुर कुछ किया गया वहाँ पहुँचने के बाद पहले दिन मुलाकात नही हुआ फिर दूसरे दिन जैसे तैसे इनका मुलाकात हेलीपेड में उनसे हुआ उनके द्वारा आश्वाशन दिया गया सभी मंत्री राज्यपाल सबसे मिलने के बाद आज भी 20 भुविस्थापित मजदूर नौकरी के लिए संघर्ष कर रहे है 20 मजदूरों की बहाली की मांग कोई बड़ी मांग नही है पर इतने छोटे मुद्दे के लिए इतना लंबा संघर्ष से आम इंसानों को शासन प्रशासन से भरोसा उठने जैसा है।
उक्त जानकरी संघ के अध्यक्ष विश्वनाथ प्रसाद साहू द्वारा दी गयी।

 

 

 

विज्ञापन समाचार के लिए सपर्क करे-9425569117/7580804100

Related Articles

Back to top button