वेज रिवीजन के लिए अधिकारियों कर्मचारियों सहित सभी को एकजुट होकर करना होगा संघर्ष-एचएमएस
भिलाई। भिलाई श्रमिक सभा एचएमएस की बोरिया गेट पर गेट मीटिंग हुई। गेट मीटिंग में कार्यवाहक अध्यक्ष प्रेम सिंह चंदेल ने कहा कि वर्तमान में भिलाई इस्पात संयंत्र के कर्मचारियों का प्रमुख मुद्दा वेज रिवीजन है इसके लिए सभी यूनियनों, कर्मचारियों व अधिकारियों को एकजुट होकर संघर्ष करना होगा। प्रबंधन कर्मियों को दिग्भ्रमित कर भ्रम फैलाने का प्रयास कर रहा है एनजेसीएस की बैठक बुलाकर पदनाम के लिए यूनियनों की राय ली जा रही है। मात्र ओपिनियन लेने के लिए बैठक बुलाना आवश्यक नहीं है। यूनियन की राय तो आज के कंप्यूटर युग में घर बैठे ली जा सकती थी यदि बैठक बुलाना है तो बैठक का निर्णय भी होना चाहिए।
महासचिव प्रमोद कुमार मिश्र ने कहा कि प्रबंधन को एनजेसीएस की बैठक बुलानी है तो प्रमोशन पॉलिसी के बदलाव के लिए बुलानी चाहिए। सारे बड़े सार्वजनिक एवं निजी उपक्रमों में तीन कैडर वर्कर, सुपरवाइजर एवं ऑफिसर हैं जबकि सेल में सिर्फ दो ही कैडर है जिसमें सुपरवाइजर कैडर है ही नहीं। सेल के भीतर जो कर्मचारी टेक्नीशियन ऑपरेटर में ज्वाइन करता है व सेवानिवृत्त होने तक टेक्नीशियन ऑपरेटर ही रह जाता है किसी भी प्रकार का कैरियर ग्रोथ नहीं है। सेल में सुपरवाइजरी कैडर नहीं होने के कारण लेबर कॉस्ट भी ज्यादा है प्रबंधन को टाटा स्टील से सबक लेते हुए इस दिशा में प्रयास करना चाहिए ।
उप महासचिव वजी अहमद ने कहा कि नए कर्मचारियों को छोटे और जर्जर आवास आवंटित किए गए हैं, सब्जेक्ट टू वैकेशन स्कीम पुन: शुरू किया जाना चाहिए ताकि नए कर्मचारियों को इसका लाभ मिल सके। सचिव एन के सिंह एवं आनंद सिंह ने सन 2008 में भर्ती हुए डिप्लोमा इंजीनियर, रेडियोलॉजी एवं फार्मेसी के कर्मचारियों का मुद्दा उठाते हुए कहा कि डिग्रेडेशन की शुरुआत इन्हीं कर्मचारियों से हुई थी इन कर्मचारियों के ट्रेनिंग पीरियड को उनके सेवा काल से अभी तक नहीं जोड़ा गया है इनके लिए यूनियन की ओर से प्रयास किया जाना चाहिए।
श्री देव सिंह एवं व्ही के सिंह ने कहा कि टाउनशिप की संपत्तियों को निजी हाथों में देने का षड्यंत्र किया जा रहा है इसे तत्काल रोका जाना चाहिए एवं टाउनशिप को स्टील सिटी का दर्जा दिया जाना चाहिए ।
श्री अशोक पंडा एवं त्रिलोक मिश्रा ने ठेका श्रमिकों के इलाज का मुद्दा उठाते हुए कहा कि संयंत्र के भीतर किसी भी प्रकार की दुर्घटना होने पर ठेका श्रमिकों का इलाज भिलाई इस्पात संयंत्र के हॉस्पिटल में किया जाना चाहिए अन्यथा ठेकेदार श्रमिकों के साथ अमानवीय व्यवहार करते हैंए निजी डिस्पेंसरी में ले जाते हैं जहां श्रमिकों का उचित इलाज नहीं हो पाता।