छत्तीसगढ़दुर्ग भिलाई

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पाटन में आपातकालीन प्रसव की बेहतर सुविधाएं उपलब्ध होने से बढ़ रहा है ग्रामीणों का विश्वास दक्ष डॉक्टरों की टीम ने इमरजेंसी में किए 3 सी सेक्शन ऑपरेशन, सूझ बुझ से बचाई तीन बच्चों और उनकी माताओं की जान

दुर्ग। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पाटन में अब आपातकालीन प्रसव की सुविधा उपलब्ध होने से ग्रामीणों का विश्वास बढ़ गया है। माह जुलाई 2019 से यहाँ पर सी सेक्शन की सुविधा उपलब्ध हो गई है। बीएमओ डॉ आशीष शर्मा ने बताया कि पाटन में आपातकालीन सुविधाओं को दुरुस्त करने के लिए राज्य शासन और हमारे डॉक्टर द्वारा पूरे समर्पण के साथ  कार्य किया जा रहा है। कलेक्टर श्री अंकित आनंद के निर्देश पर मुख्य चिकित्सा और स्वास्थ्य अधिकारी डॉ गंभीर सिंह ठाकुर ने सी सेक्शन ऑपरेशन के लिए पीजी डिग्री धारी विशेषज्ञ डॉक्टर डॉ कृष्ण कुमार डहरिया की ड्यूटी पाटन में लगाई गई जिसके कारण अब तक 26 सी सेक्शन ऑपरेशन किए जा चुके हैं। उनके साथ एनिस्थिसियोलॉजिस्ट डॉ अजय ठाकुर, शिव कुमारी दुबे, लैब टीम, ओटी टीम, नर्सिंग टीम भी पूरी टीम भावना से काम कर रही है। जिसके कारण हम लोगों के विश्वास में खरे उतर पाए। ग्रामीणों का विश्वास जीतने के बाद हमारे डॉक्टर आत्मविश्वास से लबरेज है।उन्होंने बताया कि सीएचसी पाटन शासन की यूनिवर्सल हेल्थ केयर स्कीम का पायलट ब्लॉक भी है।

केस स्टडी-1

चीचा की श्रीमती ममता को नाजुक स्थिति में लाया गया अस्पताल 29 फरवरी को सुबह 9.27 बजे इमरजेंसी सी सेक्शन से दिया बालक को जन्म- बीएमओ ने बताया कि 29 फरवरी को भी डॉक्टर कृष्णकुमार डहरिया द्वारा एक और इमरजेंसी सी सेक्शन किया गया है।उन्होंने बताया कि ग्राम चीचा की श्रीमती ममता को सुबह अचानक प्रसव पीड़ा हुई। घरवालों ने मितानिन से संपर्क किया और मितानिन ने इसकी जानकारी सीएचसी में दी। इसके बाद महतारी 102 एक्सप्रेस के माध्यम से श्रीमती ममता को सुबह करीब 8:30 बजे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पाटन लाया गया। मामले की नजाकत को देखते हुए हमारे डॉक्टरों ने मुस्तैदी का परिचय देते हुए ऑपरेशन थिएटर तैयार किया।श्रीमती ममता ने सुबह 9.27 बजे ऑपरेशन के बाद स्वस्थ बालक को जन्म दिया। अभी दोनों वार्ड में स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं। ममता के परिवार वालों ने डॉक्टरों के प्रति आभार भी व्यक्त किया है जिन्होंने उनके घर के चिराग की जान बचाई और अद्भुत संयोग के दिन 29 फरवरी को बालक का जन्म हुआ। ऑपरेशन के बाद सभी माताओं को दवाइयां और भोजन मुफ्त में उपलब्ध करवाया जाता है। यह पूरी सुविधा डॉ खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता योजना के तहत दी जा रही है।

केस स्टडी -2

घबराए हुए परिजनों को समझा कर 27 जुलाई 2019 किया पहला सी सेक्शन-डॉ शर्मा ने पाटन में पहले सी सेक्शन ऑपरेशन के बारे में अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि जब पहली बार जब गोंड़पेंड्री की श्रीमती तीजन को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लाया गया तो सी सेक्शन का नाम सुनकर उनके परिजन काफी घबराए हुए थे। लेकिन  हमारे डॉक्टर द्वारा परिजनों को समझाया गया की जच्चा और बच्चा के लिए यह ऑपरेशन जरूरी है। परिजनों ने यह बात समझी और ऑपरेशन के लिए राजी हुए। उन्होंने बताया कि डॉक्टर द्वारा दी गई तिथि के मुताबिक श्रीमती तीजन काप्लांड सी सेक्शन ऑपरेशन 27 जुलाई 2019 को हुआ था। इसके बाद उन्होंने एक स्वस्थ बेटे को जन्म दिया। आज जच्चा बच्चा दोनों एकदम स्वस्थ हैं।

केस स्टडी -3

डॉक्टर की सूझबूझ से बची पहली बार माँ बन रही नूतन की बच्ची की जान

गर्भ के अंदर पी लिया था गंदा पानी और धीमी हो गई थी दिल की धड़कन

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पाटन में आपातकाल में किया गया दूसरा सी सेक्शन ऑपरेशन 12 फरवरी को हुआ। जिसमें ग्राम सांतारा की श्रीमती नूतन यदु ने प्रसव पीड़ा शुरू होने के 1 घंटे के भीतर ही सिजेरियन ऑपरेशन के माध्यम से बच्ची को जन्म दिया। इस प्रकरण में मितानिन ने सूझबूझ का परिचय देते हुए तत्काल महतारी एक्सप्रेस को बुलाया और महिला की नाजुक हालत के बारे में डॉक्टरों को फोन पर सूचित किया। बीएमओ डॉ आशीष शर्मा ने बताया कि 12 फरवरी को 23 वर्षीय श्रीमती नूतन यदु पति श्री विक्रांत यदु को 102 महतारी एम्बुलेंस से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पाटन लाया गयाथा। वह पहली बार गर्भवती थी। महिला दोपहर में करीब 12:30 बजे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पाटन पहुंची। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पाटन में स्त्री एवं प्रसूति रोग चिकित्सक डॉ कृष्ण कुमार डहरिया ने नूतन की जांच की तो पता लगा कि बच्चे ने गर्भ के अंदर गंदा पानी पी लिया है साथ ही गर्भस्थ शिशु की हृदय गति भी कम हो रही थी। अगर  तत्काल उसकी डिलीवरी नहीं कराई गई तो बच्चे को बचाना मुश्किल हो जाएगा। बिना देरी किए रिश्तेदारों को समझा कर उनकी सहमति लेकर  इमेरजेंसी  सीजर ऑपरेशन किया गया। ऑपरेशन के बाद दोपहर 1:24 को बच्ची जन्म हुआ। बच्ची की स्थिति बहुत नाजुक थी इसलिए डॉक्टर ने जीवन रक्षक उपाय अपनाए। रिससेटेशन (पुनर्जीवन) के तहत बच्ची के पेट में ट्यूब डालकर पेट से गंदा पानी निकाला गया इसके बाद ,उसकी हृदय गति वापिस लाने प्रयास किए गए। उन्होंने बताया कि आवश्यक इमेरजेंसी दवा प्रबंधन मेंफार्मासिस्ट श्री देशमुख, पोषण यादव और अभिषेक शुक्ला ने बहुत सहयोग सराहनीय रहा। डॉक्टरों और पूरे स्टाफ ने पूरी मुस्तैदी और टीम भावना से काम किया और उनकी कोशिश रंग लाई। इसके बाद एक हफ्ते तक नूतन और उनके नवजात शिशु को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पूरी देखभाल के साथ रखा गया। अभी नवजात बच्ची और माता  पूरी तरह स्वस्थ हैं।

 

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