स्नेह संपदा विद्यालय में संचालिका के पुत्र द्वारा नशे की हालत में आये दिन दिव्यांग बच्चों से की जाती है मारपीट
शिकायत करने वालों की दी जाती है कि जान से मारने की धमकी
भिलाई। पालक संघ द्वारा संचालित एवं राष्ट्रीय न्यास नई दिल्ली से संबद्ध नगर के सेक्टर 8 में स्थित स्नेह संपदा विद्यालय जहां मानसिक रूप से कमजोर बच्चों को शिक्षा दिये जाने एवं वहां दव्यांगों के रहने के लिए छात्रावास है में इन दिनों यहां रहने वालें मानसिक रूप से विक्षिप्त एवं दिव्यांग बच्चों को जमकर मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताडि़त किया जा रहा है। संचालिका पुष्पा शिरके के पुत्र दिन रात इसी कैम्पस में रहते है और बिना कारण आये दिन नशे की हालत में यहां रहने वाले दिव्यांगों के साथ जमकर मारपीट करते हैं तथा यहां रहने वाले दिव्यांग बच्चों के परिजनो द्वारा जब इसकी शिकायत लेकर संचालिता श्रीमती शिरके के पास जाते है तो उनके द्वारा कही भी इस मामले की शिकायत नही करने के लिए जमकर धमकाया जाता है और कहा जाता है कि यदि आप कहीं भी इसकी शिकायत किये तो इसका अंजाम बहुत ही बुरा होगा और देख लेने तथा जान से मारने जैसे बात कही जाती है। इसी प्रकार का एक मामला गत 21 फरवरी को सामने आया जिसमें दुर्ग आदर्श निगर निवासी 28 वर्षीय महादेव सिंह के साथ यहां की संचालिका पुष्पा शिरके के पुत्र शिशिर सिरके उर्फ मोंटी शिरके ने दोपहर 12 बजे जमकर मारपीट की गई अत्यधिक पिटाई खाने के कारण महादेव की तबियत बिगड़ गई और उसे उल्टी होने लगी तथा तेज बुखार आ गया तो उसको अस्तपाल ले जाने के बजाय उसको चार घंटे बाद महादेव के बड़े भाई को सूचना दी गई कि अपके भाई की तबियत बहुत खराब है, जबकि महादेव के परिजन उसदिन महाशिवरात्रि होने के कारण दुर्ग से बाहर थे, तब तक महादेव को वहीं मरने के लिए इसलिए छोड़ दिया गया कि उसे इलाज के लिए अस्पताल में भरती कराने पर कहीं पुलिस जांच न हो जाये और उसके ईलाज का खर्चा स्नेह संपदा को जमा करना न पड़ जाये। रात्रि साढें 9 बजे जब पीडि़त महादेव के भाई स्नेह संपदा पहुंचे तो देखा कि उनके भाई की स्थिति बहुत ही खराब है, और उल्टी कर रहा है, तथा तेज बुखार में तप रहा है, उसके बाद महादेव के भाई संतोष सिंह ने उसे दुर्ग केलाबाड़ी स्थित सांई हॉस्पिटल में भर्ती कराया जहां डॉक्टरों ने चेकअप करते ही महादेव के भाई संतोष सिंह को बताया कि महादेव को रॉड या डंडे जैसे वस्तु से उसकी जमकर पिटाई की गई है, इसी के कारण उसकी ये स्थिति हुई है और अंदरूनी चोटे आई है जब संतोष सिंह सुबह अपनी मोटरसायकल लेने स्नेह संपदा विद्यालय पहुंचा और अपने भाइे से हुई मारपीट के बारे में जब जानकारी ली तो वहां रहने वाले छात्र और छात्राओं तथा कर्मचारियों ने बताया कि संचालिका के पुत्र मोंटी शिरके ने महादेव की जमकर बेरहमी से पिटाई की है। इस प्रकार की घटना मोंटी नशे की हालत में आये दिन यहां रहने वाले दिव्यांग बच्चों के साथ करता रहता है। जब इसकी शिकायत करने संतोष सिंह ने संस्था की संचालिता पुष्पा शिरके के पास पहुंचा तो उल्टा चोर कोतवाल को डांटे वाली कहावत को चरितार्थ करते हुए अपने पुत्र की बचाव में आक्रोशित होकर संतोश सिंह को ही धमकी देने लगी। जब हमारे प्रतिनिधि को इसकी जानकारी मिली तो तुरंत वहां अपने दल के साथ वहां पहुंचे और जानकारी प्राप्त की तो पता चला कि स्नेह संपदा में केवल मारपीट की घटना ही नही होती है, बल्कि यहां और बहुत कुछ घालमेल है।
इस प्रकार यहां की जाती है चार सौ बीसी:-
यहां अंधा बांटे रेवड़ी और आपन आपन को देय वाली कहावत भी चरितार्थ होती है, क्योंकि यहां एक ही परिवार के तीन सदस्य संचालिका पुष्पा शिरके, पुत्र शिशिर सिरके और पुत्रवधु श्रेया शिरके
स्नेह संपदा विद्यालय में कार्यरत है, शासन से मिलने वाली वेतन का लाभ उठा रहे हैं, जबकि संचालिका की पुत्रवुध श्रीमती श्रेया शिरके का केवल यहां रजिस्टर में लेक्चरर का नाम चल रहा है, उनका वेतन यहां से आहरण तो होता ही है जबकि वे भिलाई नायर समाजम में वो लेक्चरर का कार्य करती है और वहां ड्यूटी बजाती है, और हजारों रूपये वहां सेे वेतन प्राप्त करती है जबकि स्नेह संपदा और भिलाई नायर समाजम शासन से शासन से अनुदान प्राप्त है। इस प्रकार से यहां की राशि में घालमेल की जा रही है। यह एक बहुत ही बड़ा प्रश्र है कि ऐसी स्थिति में एक ही व्यक्ति द्वारा एक ही समय पर दो स्थानों पर ड्यूटी कैसे कर सकता है, लेकिन संईया भये कोतवाल तो डर काहे का वाली स्थिति में संचालिता श्रीमती शिरके के पुत्र और पुत्रवधु दोनो के साथ है।
दिव्यांग लोगों रखने के लिए पालक से लिया जाता है हर माह लगभग 7 हजार रूपये
इस विद्यालय में मानसिक रूप से कमजोर एवं दिव्यांग बच्चों के शिक्षा एवं सेवा के लिए संचालित स्नेह संपदा विद्यालय को भिलाई इस्पात संयंत्र जैसे कई संस्थाओं से सीएसआर मद के तहत बड़ी मात्रा में राशि आती है, इसके बावजूद भी यहां दिव्यांग बच्चों को रहने के लिए दिव्यंाग बच्चों के परिजनों से हर माह सात हजार रूपये लिया जाता है, इसके अलावा परिजनों द्वारा अपने बच्चों को दवा भी हर महिनों हजारों रूपये का दिया जाता है, इसके साथ ही बच्चों को खाना छोड़कर अन्य आवश्यकता की सभी चीजें भी दिव्यांगों के परिजनों को ही देना पड़ता है, इसके बावजूद भी स्नेह संपदा द्वारा यहां रहने वाले बच्चों को सही ढंग से देखरेख नही की जा रही है, और उनके देखरेख के नाम पर संचालिका ने अपने ही नशेड़ी पुत्र को रख दिया है जो आये दिनों नशे की हालत में यहां के दिव्यांगों से मारपीट किया जाता है। जबकि ऐसे संस्थानों में बहुत ही सहनशील और धैर्यवान व्यक्ति को मानसिक रूप से कमजोर बच्चों के लिए रखने का नियम हेै,लेकिन श्रीमती पुष्पा शिरके अपने पुत्र मोह में अपने पुत्र को यहां केयरटेकर के रूप में रखी हुई है।
समाज कल्याण विभाग के निर्देशों की जमकर उड़ाई जा रही है धज्जियंा:-
समाज कल्याण विभाग से हुए अनुबंध के अनुसार विभिन्न कडिय़ों में दिये गये निर्देशों की भी जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही है। इस विद्यालय में गत 21 फरवरी को हुई इस घटना के बारे में भी समाज कल्याण विभाग को अंधेरे में रखा गया जो कि समाज कल्याण के अनुबंध की कंडिया नंबर तीन का उल्लंघन किया गया। इसके अलावा अनुबंध की कंण्डिका 6 के अनुसार समाज कल्याण विभाग को इन नियमों के उल्लंधन किये जाने पर संस्था का मान्यता समाप्त की जा सकती है।
स्वीकृत अनुदान का दुरूपयोग करने पर हो सकती है संस्था की मान्यता समाप्त-
समाज कल्याण विभाग के अनुबंध के नियमानुसार कण्डिका 14 में उल्लेख के अनुसार स्वीकृत अनुदान का दुरूपयोग या वित्तीय अनियमितता पाये जाने पर मान्यता समाप्त करने की कार्यवाही करने का प्रावधान है, साथ ही वित्तीय अनियमितता पाये जाने पर संस्था के जिम्मेदार लोगों से वसूली किये जाने का भी प्रावधान है, और वसूली नही होने की स्थिति में संस्था की प्रापर्टी शासन द्वारा राजसात की जा सकती है, जो कि संचालिका श्रीमती शिरके की पुत्रवधु के मामले में यहां डयूटी नही किये जाने और दूसरे स्कूल में डयूटी करने के बाद भी दोनों संस्था से श्रीमती श्रेया को वेतन लेना वित्तीय अनियमितता और समाज कल्याण विभाग को धोखे में रखने के कारण समाज कल्याण के अधिकारी इसकी मान्यता समाप्त करने व अनुदान रोकने तथा वसूली करने की कार्यवाही कर सकते हैं।
जिले में कई कई घटनाएं होने के बाद भी शासन नही दे रही है ऐसे संस्थानों पर ध्यान
समाज कल्याण विभाग द्वारा जनसमस्या शिविरो में दिव्यांग लोगों को मात्र ट्रायसिकल एवं श्रवणयंत्र बांटकर स्वयं ही अपनी पीठ थपथपाया जा रहा है, और ऐसे संस्थानों के प्रति ध्यान नही दिया जा रहा है, जबकि दुर्ग में अनाथ आश्रम में यहां रहने वाले बच्चों के साथ वहां के संचालक द्वारा अप्राकृतिक कार्य करने सहित अन्य कई प्रकार की प्रताडऩा की जाती रही है, इसके अलावा यहां बालिका छात्रावास में भी वहां की संचालिका द्वारा यहां रहने वाली छात्राओं के साथ प्रताडऩा से लेकर कई प्रकार की घटनाएं घट चुकी है, और प्रदेश के कई ऐसे स्थानों पर नाबालिग बच्चियोंं की प्रेग्नेंसी तक के मामले सामने आ चुके हैं। इसके बावजूद भी ऐसे संस्थानों पर नजर रखने वाले सरकारी नुमाइंदे इस ओर ध्यान नही दे रहे है, और ऐसे संस्थानों की जांच नही कर रहे हैं जिसके कारण इस प्रकार की घटनाओं में इजाफा हो रहा है। ऐसा लग रहा है कि सरकारी विभाग इस विद्याालय में भी कोई बंड़ी गंभीर घटना होने के इंतजार में है।