सैकड़ो आवासीय परिसर में संचालित हो रहा है दुकान, जगह जगह अवैध कब्जा का है भरमार
तीन माह में प्रशासन करे कार्यवाही, जिला दण्डाधिकारी को हाईकोर्ट का आया आदेश
भिलाई। नगर के एक प्रतिष्ठित व्यक्ति श्रीनिवास खेडिय़ा ने एक पत्रकारवर्ता में बताया कि साडा द्वारा सन 1980 और 81 के दौरान सभी वर्गो के लोगों के हिसाब से प्लॉट काटकर सुव्यवस्थित रूप से कालोनी बसाया गया था, यहां निगम द्वारा सुव्यवस्थित कमर्शियल कॉम्पलेक्स के अलावा पार्किंग की भी व्यवस्था की गई थी, लेकिन आज कई वर्षों से पुरे नेहरू नगर के अलावा पूरे शहर में अतिक्रमण की बाढ आ गई है। जगह जगह अवासीय मकान आज कमर्शियल रूप ले लिया है, और आज यहां कोचिंग, अस्पताल, बैंक सहित और कई अन्य प्रतिबंधित व्यापार भी निगम अधिकारियों के संरक्षण में धड़ल्ले से किया जा रहा है। आज यहां सड़क किनारे दुकाने लग गई है, और कई दुकानो द्वारा अतिक्रमण कर सड़क तक बढ़ गये है, इन दुकानदारों के कारण आज कमर्शियल काम्पलेक्स के दुकाने बंद के बराबर हो गई है,आबंटन के समय पचास गुना अधिक हमसे दर लिया गया था आज यहां कोई ग्राहक नही आताा। हमारा निगम से अनुरोध है कि या तो सड़क किनारे लगे दुकानों और आवासीय परिसर में चल रहे दुकानों को बंद कराये या नही तो कर्मिशयल कॉम्पलेक्स की हमारी दुकाने वर्तमान दर पर निगम स्वयं लें ले। ऐसी स्थिति के कारण आज नेहरू नगर के आधा लोग यहां से छोड़कर जा चुके है, और उनका मकान खाली पड़ा है। आज नेहरू नगर की सूरत अतिक्रमण के कारण पूरी तरह बदल कर बदसूरत हो गई है, जगह जगह कोचिंग, आरबीआई के गाईड के अनुरूप ऐसे जगहों पर बैंक नही खोला जा सकता लेकिन यहां मुख्य सड़क किनारे बैंक भी खुल गई है, और इन बैंकों में पार्किँग की व्यवस्था भी नही है। नेहरू नगर में ही दो सौ से ही अधिक आवासीय में दुकान संचालित हो रहे है, नेहरू नगर का कोई भी ऐसा रोड नही बचा है, जिससे ट्राफिक की समस्या उत्पन्न हो ही रही है, इसके कारण यहां असामाजिकतत्वों का जमावड़ा लगा रहता है, इसके कारण खासतौर से महिलाओं, बच्चों का यहां से आना जाना दूभर हो गया है। आज अवैध कब्जा अपने चरमसीमा पर है, चाहे वह निगम क्षेत्र हो या टाउनशिप का एरिया हो। उन्होंने आवासीय परिसरों में दुकान खोलने और सडक किनारे दुकान खोलने तथा जगह जगह अतिक्रमण की शिकायत निगम से लेकर कलेक्टर तक शिकायत कई बार कर चुका लेकिन जब कोई कार्यवाही नही हुई तो मुझे जनहित के लिए हाईकोर्ट जाना पड़ा। हाईकोर्ट को भी निगम के अधिकारी हमेशा गलत जानकारी देते रहे, जब मेरे द्वारा न्यायालय को कहा गया कि निगम द्वारा इस मामले में कोई कार्यवाही नही की है, और इसके लिए मैं शपथ भी आपको देने के लिए तैयार हूं, लेकिन शपथपत्र देने की मुझे आवश्यकता नही पड़ी और मेरी याचिका पर न्यायालय ने गंभीरता से लेते हुए (एनेक्स्चर पी-3) में उल्लेखित सभी शिकातयों को तीन माह में निराकरण करने के लिए जिला दण्डाधिकारी को निर्देर्शित किया है और इसके साथ ही न्यायालय को सूचित करने कहा है। यह आदेश गत 17 फरवरी को कलेक्टर को दिया गया है। वहीं मेेरे द्वारा भी गत 24 फरवरी को कलेक्टर कार्यालय में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर हाईकोर्ट की इस याचिका और कार्यवाही के लिए न्यायायल से मिले प्रति को उपलब्ध कराया हूं।
बिना परमीशन के पांच और छ: मंजिले मकान का कर लिया गया निर्माण, हो रही निजता भंग
इस दौरान श्रीनिवास खेडिय़ा ने आगे बताया कि पहले मकान या दुकान बनाने के लिए भवन अनुज्ञा देने के बाद निगम के अधिकारी तीन चार बार निरीक्षण करते थे लेकिन आज सब मिलीभगत के कारण भवन अनुज्ञा देने के बाद निगम के अधिकारी वहां झांकने तक नही आते है, नियम: तीन मंजिला तक ही भवन अनुज्ञा का परमीशन दिया जाता है, लेकिन आज यहां पंाच छ: मंजिला यहां इमारत बन गई है, इसके कारण जिसका मकान दो मंजिला तीन मंजिला है, उसकी निजता भंग हो रही है।
पहले कलेक्टर और आयुक्त का जनदर्शन होता था जिससे लोग मिलकर उनको अपनी समस्याएं बताते थे, लेकिन आज कई माह हो गये जनदर्शन बंद हो जाने से लोगों को बड़ी दिक्कत हो रही हेै, कलेक्टर और आयुक्त से लोग मिलने के लिए चक्कर पे चक्कर लगा रहे है, मुलाकात नही हो रही है, और शिकायतों पर अब कार्यवाही भी नही हो रही है, ये लोकतंत्र के लिए खतरा है। पत्रकारवार्ता में व्यापारी संघ नेहरू नगर एम डी अग्रवाल, रामकुमार गुप्ता, हुडको व्यापारी संघ से वंृदावन पंडा, सेक्टर दस से ज्ञानचंद जैन, जगदीश आहूजा उपस्थित थे। श्री खेडिय़ा ने बताया कि ये सभी व्यापारी भी इसी मामले के लोकरहाईकोर्ट गये थे, वहां जाने पर मुझे पता चला तो इनसे संपर्क कर हमलोगों ने अब ये सोचा है कि अब साथ मिलकर इस मामले को लड़ेंगे।