भाजपा मंडल अध्यक्ष महेश पांडेय ने नगर के विकास से संबंधित 6 सूत्रीय मांग पत्र केंद्रीय इस्पात मंत्री को सौपा

रमेश मित्तल /दल्लीराजहरा /
दल्लीराजहरा जिसकी जनसंख्या पूर्व में लगभग एक लाख से अधिक थी वह निरंतर घटते हुए 45000 पर आ गई है दल्लीराजहरा शहर को बचाए रखने के लिए निम्नलिखित मांगों पर पूर्ण करने की कृपा करें।
1- दल्ली राजहरा में 600 करोड रुपए की लागत से प्रस्तावित पैलेट प्लांट की मंजूरी सेल बोर्ड में लंबित है इसे अतिशीघ्र स्वीकृत किया जावे कराया जिससे हितकसा डेम में जमा स्लाइम का उपयोग हो सकेगा और पर्यावरण की रक्षा भी हो सकेगी दल्ली राजहरा में रोजगार की संभावना बढ़ जाएगी भिलाई इस्पात संयंत्र को इससे पैलेट के रूप में उपयोगी अयस्क की आपूर्ति होती रहेगी जिससे भिलाई इस्पात को हो रही लौह अयस्क की कमी को भी पूरा किया जा सकेगा ।
2 – दल्ली राजहरा मे बीएसपी की 130 एकड़ भूमि में बसे पिछले 40 – 50 वर्षों से निवासरत लोगों को भूस्वामी का अधिकार प्रदान किया जाए जिसका सर्वे राज्य शासन द्वारा कराया जा चुका है लेकिन अभी तक 130 एकड़ भूमि को राज्य शासन को हस्तांतरित नहीं किया गया है इसे शीघ्र ही राजस्व विभाग को हस्तांतरित किया जाए।
3 – दल्लीराजहरा सहित आस पास में लौह अयस्क की कई माइंस होने के कारण बड़ी गाड़ियों का आवागमन बड़ गया है जिससे आम जनता को परेशानी का सामना करना पड़ता है। वही। आए दिन सड़क दुर्घटनाओ में लोग बेमौत मर रहे है इसके लिए डी एम एफ मद से बाईपास रोड का निर्माण कराया जाए और शहर के नागरिकों को जान माल से होने वाली दुर्घटनाओं से बचाया जाए।
4 – दल्लीराजहरा की खदान से समाप्त हो रहे लौह अयस्क को देखते हुए रावघाट परियोजना में आने वाली वैधानिक बाधा को जल्द दूर कर रावघाटमें खनन का कार्य प्रारंभ किया जाए ताकि भिलाई इस्पात संयंत्र को निरंतर लोह अयस्क की अपूर्ति होती रहे ।
5 – डी एम एफ फंड में बी एस पी के द्वारा लगभग 100 करोड रुपए प्रतिवर्ष बालोद जिले को रॉयल्टी की राशि प्रदान की जाती है जिसमें से 10% राशि भी दल्लीराजहरा में खर्च नहीं किया जा रहा है जबकि सबसे ज्यादा रायल्टी देने वाले इस नगर को कम से कम 50% की राशि दल्ली राजहरा के विकास के लिए खर्च किया जाए।
6 – वही बालोद जिला अंतर्गत दल्ली राजहरा में पूर्व से प्रस्तावित केंद्रीय विद्यालय को अति शीघ्र दल्लीराजहरा में प्रारंभ किया जाए इसलिए कि पूरे बालोद जिले में केंद्रीय कर्मचारियों की संख्या सबसे ज्यादा है एवं आदिवासी बहुल होने के कारण इस ट्राइबल क्षेत्र के लोगों को इसका लाभ प्राप्त हो सकेगा वही। उजड़ते हुए शहर को संजीवनी प्राप्त हो सकेगी।