छत्तीसगढ़

नारायणपुर-गिरते भू-जल स्तर पर नियंत्रण के लिए जल संवर्धन

नारायणपुर-गिरते भू-जल स्तर पर नियंत्रण के लिए जल संवर्धन

नारायणपुर सबका संदेस न्यूज़ छत्तीसगढ़– दुर्भभ वस्तु की सुलभ प्राप्ति और सुलभ वस्तु की दुर्लभ प्राप्ति ही वस्तु का मूल्य तय करती है। यह युक्ति पानी पर बिलकुल सही बैठती है । आज हम इसे सुलभ समझकर जिस तरह इसका दुरूपयोग-दोहन कर रहे है, जब जल हमें इतनी सुलभता से नहीं मिलेगा तब शायद इसकी अहमियत का पता चलेगा। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने पानी की दुर्लभ प्राप्ति को समय रहते जान लिया। इसके लिए उन्होंने छत्तीसगढ़ के चार चिन्हारी नरवा, गरवा, घुरूवा एवं बाड़ी जैसी महात्वांकाक्षी योजना लागू की। इससे ग्रामीणों की आर्थिक-सामाजिक स्थिति में पहले से सुधार हो रहा है। जिले में गिरते भू-जल स्तर हेतु जल संवर्धन का काम तेजी से हो रहा है। जिले में गौठानों की संख्या में भी बढौत्तरी हुई । वहीं 10 नालों के बंधान की जगह 20 का लक्ष्य रखा गया है।

नारायणपुर जिले के नक्सल हिंसा ग्रस्त ग्राम नेलवाड़ पंचायत के छोटेसुहनार गांव और टिमनार के ग्रामीणों की जरूरत करे देखते हुए प्रशासन द्वारा नाला बंधान का काम शुरू कर दिया गया है। सरकारी इमारतों में रेनहार्वेस्ंिटग सिस्टम लगाये गये है। जहां जल संवर्धन में बारिश के जल को धरती के अन्दर सुरक्षित स्टोर रखने में मदद मिलेगी । गांवों में नाले के पानी के रूकने से ग्रामीणों की जरूरत का पानी और मवेशियों के लिए भी पानी की व्यवस्था हुई है। वहीं नाला बंधान से पानी ठहरने के कारण गांव के कुओं और हैंडपंपों का जल स्तर भी बढ़ गया है।
जिले में योजना के तहत 20 नालों का चयन कर कार्य संचालित किया जा रहा है। कार्य युद्धस्तर पर जारी है। जिले में उपलब्ध जल संसाधन की दृष्टि से आंकलन करें तो यह बात सामने आती है कि प्रति व्यक्ति को औसत पानी से भी कम पानी यहां उपलब्ध है। जिले में कोई बड़ी नदी-तालाब, या बड़ा जलाशय नहीं होने के कारण सिंचित सिचाई रकबा भी बहुत कम है। जिले के स्कूलों में भी बच्चों को पानी की उपयोगिता और उसके संरक्षण की जानकारी दी जा रही है ।
प्रशासन द्वारा सामुहिक खेती पर जोर दिया जा रहा है। इसके साथ ही कम पानी की फसल लेने पर भी बल दिया जा रहा है। दूरस्थ वनाचंल के लोग पेयजल के लिए हैण्डपम्प, टयूबवैल, छोटे ताल-तललियों का सहारा लेते है। सरकार इनके लिए शुद्ध पेयजल पहुचाने का का भरपूर प्रयास कर रही है। लेकिन नक्सल समस्या से प्रभावित क्षेत्र, विषम व दुर्गम प्राकृतिक-भौगोलिक परिस्थितयों के कारण हर घर तक शुद्ध पेयजल पहुचाने हर तरह के उपाय पर विचार कर रहा है। हमारी भी जिम्मेदारी बनती है कि हम जल का उपयोग किस तरह करें, भविष्य में कैसे करना है तथा जल संकट हेतु क्या कदम उठायें ।

 

 

 

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