छत्तीसगढ़

बिजली बिल आधे किए, कोयला महंगा, इसलिए 8 फीसद महंगी होगी बिजली

रायगढ़ सबका संदेस न्यूज़ छत्तीसगढ़-सरकार की ओर से 400 यूनिट तक बिजली बिल में 50 फीसदी छूट देने और बाजार में कोयले की कीमत बढ़ने का असर बिजली की दरों पर दिखेगा। 1 अप्रैल से बिजली 8 फीसदी तक महंगी हो सकती है। नए वित्तीय वर्ष में टैरिफ बढ़ाने के लिए बिजली कंपनी ने तैयारी शुरू कर दी है। साल भर के आय व्यय का हिसाब कर प्रस्ताव नियामक आयोग को सौंप दिया है। आयोग ने बिजली कंपनी द्वारा दिए गए प्रस्ताव पर आपत्तियों का भी निराकरण कर लिया है। अब आयोग जनसुनवाई की तैयारी कर रहा है। इस जनसुनवाई में संभागवार घरेलू, व्यवसायिक, पंप और एचटी उपभोक्ता अपनी अनापत्तियां दर्ज करा सकेंगे।

उपभोक्ताओं की आपत्तियों के आधार पर नियामक आयोग 2019-20 के लिए नए दरों का निर्धारण करेगी। एक्सपर्ट के अनुसार चूंकि बीते साल की तुलना में इस साल बिजली उत्पादन, वितरण, डिस्ट्रीब्यूशन समेत सभी 8 ईकाईयों में खर्च ज्यादा है। इसलिए कुल व्यय राशि पर हर साल की तरफ सिर्फ 3 प्रतिशत प्रॉफिट के साथ बिजली कंपनी ने अपना प्रस्ताव नियामक आयोग को सौंपा है। उनका यह भी कहना है कि इस बार कोयले की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है। कर्मचारियों को 5 प्रतिशत डीए भी दिया गया है। इसकी वजह से प्रति यूनिट बिजली की दरों में बढ़ोतरी तय है।

घरेलू उपभोक्ताओं का टैरिफ वर्तमान दर  अनुमानित बढ़ोतरी के बाद
0 से 100 यूनिट तक 3.40 रु 3.70 रु. प्रति यूनिट चार्ज
101 से 200 यूनिट तक 3.60 रु 3.90 रु. प्रति यूनिट चार्ज
201 से 400 यूनिट तक 4.90 रु. 5.30 रु. प्रति यूनिट चार्ज
401 से 600 यूनिट तक 5.50 रु 5.70 रु. प्रति यूनिट चार्ज
600 से अधिक यूनिट पर 7.30 रु 7.50 रु. प्रति यूनिट चार्ज
व्यावसायिक कनेक्शन का टैरिफ
0 से 100 यूनिट तक 5.40 रु. 5.80 रु. प्रति यूनिट चार्ज
101 से 400 यूनिट तक 6.50 रु. 6.70 रु. प्रति यूनिट चार्ज
400 से अधिक यूनिट पर 7.90 रु. 8.20 रु. प्रति यूनिट चार्ज
थ्री फेज कनेक्शन पर 15 किलो वॉट तक
0 से 400 यूनिट तक 6.50 रु. 6.80रु. प्रति यूनिट चार्ज
401 से अधिक यूनिट पर 7.80 रु. 7.90 रु. प्रति यूनिट चार्ज
औद्योगिक इकाइयों का टैरिफ
25 एचपी तक के लिए 4.75 रु. 4.90 रु. प्रति यूनिट चार्ज
26 से 125 एचपी तक के लिए 5.50 रु 6.10 रु. प्रति यूनिट चार्ज

हर महीने साढ़े 6 करोड़ रुपए हो रहा माफ
फिलहाल राज्य सरकार प्रतिमाह 400 यूनिट कम बिजली खपत करने वालों को 50 प्रतिशत की छूट दे रही है। किसानों को भी पंप कनेक्शनों पर बिजली रियायती दरों पर दी जा रही है। इनके अंतर की राशि प्रति माह राज्य सरकार लगभग साढ़े 6 करोड़ अपनी जेब से दे रहा है। राज्य के 27 जिलों में हर महीने 162 और सालाना दो हजार करोड़ का अतिरिक्त व्यय राज्य सरकार पर है। चूंकि सीएसपीडीसीएल राज्य सरकार के अधीन है, इसलिए इसमें बढ़ोतरी लगभग तय है।

इसलिए औद्योगिक बिजली की दरों में राहत देता है आयोग
नियामक आयोग घरेलू और व्यवसायिक बिजली की दरों की तुलना में उद्योगों को राहत देती है। इसके पीछे वजह मंहगाई को नियंत्रण में रखना होता है। क्योंकि उद्योगों में बिजली की खपत ज्यादा होती है, ऐसे में यदि बिजली की कीमतों में वृद्धि की गई तो इसका असर उत्पादों के मूल्य पर पड़ेगा और बाजार का संतुलन बिगड़ेगा।

2019-20 चुनावी वर्ष इसलिए
5 फीसदी की राहत- 2019-20 वित्तीय वर्ष में विधानसभा, लोकसभा चुनाव होने थे। इसलिए बिजली की दरों में बढ़ोतरी की बजाए उपभोक्ताओं को राहत दी गई। 400 यूनिट तक बिजली खपत पर 5 प्रतिशत तक की कमी और इससे कम पर 4 से साढ़े 3 प्रतिशत की छूट दी गई थी। इसी व्यवसायिक और उद्योगिक दरों में भी बहुत ज्यादा छेड़छाड़ नहीं किया गया था।

इस साल बिजली दरें बढ़ेंगी

इस साल बिजली दरों में निश्चित रूप से बढ़ोतरी होगी। आयोग द्वारा दर निर्धारण में हुई त्रुटि के कारण इस वित्तीय वर्ष में कंपनी को डेढ़ हजार करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। कोयले की दरों में भी बढ़ोतरी हुई है। अगर आयोग की जनसुनवाई में ग्राहक सटीक तर्क के साथ अपनी बात रखें तो थोड़ी राहत जरूर मिल सकती है। 

पीएन सिंह, रिटायर्ड सचिव, नियामक आयोग

आपत्ति ज्यादा होने से राहत मिल सकती है

 

उपभोक्ताओं को छूट और कर्मचारियों को डीए की भरपाई किसी न किसी तरह तो करेगी, लेकिन यदि उपभोक्ता नियामक आयोग की जनसुनवाई में अपनी आपत्ति दर्ज कराएं तो इसे कम किया जा सकता है। ज्यादातर जनसुनवाई में घरेलू उपभोक्ताओं की आपत्तियां कम होती है, इसलिए राहत नहीं मिलती। जबकि उद्योगपतियों का दबाव ज्यादा होता है। इसलिए आयोग उन्हें हर साल थोड़ी राहत देती है।

एलपी कटकवार, सचिव, राष्ट्रीय बिजली कर्मचारी संघ
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