हजारों की संख्या में जुटे आदिवासियों ने मनाया भूमकाल दिवस, कहा जल जंगल जमीन के हक की लड़ाई जारी रहेगी
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कोण्डागांव । ग्राम बेचा के बंगलापारा में मनाया गया भूमकाल दिवस। इस कार्यक्रम में हजारों की संख्या में नजर आए आदिवासी ग्रामीणजन। महान भूमकाल दिवस पर ग्राम बेचा के बंगलापारा में हजारों की संख्या में महिला-पुरुष आदिवासी लोगों ने अपनी-अपनी उपस्थिति देकर महान शहीद क्रांतिकारियों को श्रद्धा सुमन अर्पित कर श्रद्धांजली देने के साथ ही महान शहीद क्रांतिकारियों के दिखाए गए मार्ग पर चलने की शपथ ली। भूमकाल दिवस पर सर्व आदिवासी समाज के लोगों ने ऐसे सभी क्रांतिकारी शहीदों को याद किया जिन्होंने अपने सहित आमजनता पर होने वाले अन्याय, अत्याचार और शोषण के खिलाफ न केवल आवाज बुलंद किया बल्कि आमजनों को न्याय दिलाने हेतु निरंतर संघर्ष करते हुए, हंसते-हंसते अपना बलिदान दे दिया। कांतिकारी शहीदों के द्वारा आदिवासी समाज के हित में किए गए कामों को याद करते हुए लोगों को एक जुट होकर आदिवासी बाहुल्य बस्तर में आदिकाल से निवासरत जनों के हित में संगठित होकर काम करने की बात कही।
इस दौरान कार्यक्रम में पहुंचे सामाजिक नेताओं ने नारा लगाया कि जल, जंगल, जमीन पर पहला अधिकार आदिवासी जनों का है और अपने अधिकार के लिए आंदोलन करना पडे तो भी हमें पीछे नहीं हटना है और हमें अपना अधिकार पाने, अपनी धरोहर व संस्कृति को बचाए रखने हेतु महान भूमकाल शहीद क्रांतिकारियों द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलने से भी पीछे नहीं हटना है। भूमकाल दिवस केवल शहीद क्रांतिकारियों को याद करके केवल उन्हें श्रद्धांजली देने हेतु नहीं मनाया जाता, बल्कि शहीदों की तर्ज पर अपने जल, जंगल, जमीन पर हक की लड़ाई लड़नी होगी, तभी हमें अपना हक मिलेगा। आज जल, जंगल, जमीन पर आदिवासियों का हक होते हुए भी हमारा हक सरकार द्वारा छीना जा रहा है, जबकि बस्तर क्षेत्र में पांचवीं अनसूचि, पेशा कानून की व्यवस्था होते हुए भी बिना ग्राम सभा प्रस्ताव के सारे काम हो रहे हैं और प्राइवेट कंपनियों को आदिवासी बाहुल्य बस्तर संभाग की खनिज संपदा दोहन का ठेका दिया जा रहा है और इस तरह से हमारी संस्कृति, धरोहर को नष्ट करने की साजिश रची जा रही है। हमको हमारे हक की लड़ाई लड़नी होगी, जल जंगल जमीन के लिए आंदोलन चलाना होगा तब कहीं हम अपनी धरोहर को बचा पाएंगे।
भूमकाल दिवस के अवसर पर ग्राम बेचा में न केवल आसपास के गांवों से बल्कि कोण्डागांव, बीजापुर, दंतेवाडा, नारायणपुर अबुझमाड सहित गढ़चिरोली तक के आदिवासी जन भारी संख्या में पहुंचे नजर आए।