छत्तीसगढ़

जीवन क्या है-शशि गिरी गोस्वामी

 

सबका संदेस न्यूज़ छत्तीसगढ़ राजनांदगांव-जीवन क्या है–? ये समझने में जीवन भी कम है परंतु एक छोटा सा प्रयास है समझने का-शशि

हमारा जीवन एक भगवान का दिया गया अमूल्य उपहार है, जो हर किसी को सम्हालकर रखना चाहिए, जीवन में बदलाव जरुरी है, मगर एक अच्छी सोच के साथ हम अपने जीवन में कई प्रकार की सोच रखते हैं और उसे पूरा करने की कोशिश करते हैं। जीवन को एक लक्ष्य बनाकर जीवन जीना चाहिए। क्योंकि लक्ष्य के बिना जीवन संभव नहीं और वही व्यक्ति सफल होता है जिसका कोई एक लक्ष्य होता है और उसे पाने की कोशिश करते कुछ ऐसा करना चाहिए कि लोग उसे मृत्यु के बाद भी याद करें।
अगर आप में चाह है कि मैं कुछ अच्छा करूं तो जरुर करें, किसी गरीब को मदद, भूखे को रोटी और थोड़ा सा प्यार बस आपका जीवन ध्य करने के लिए काफी है। आज की इस भागदौड़ भरी जीवन में किसी को वक्त नहीं काम से मगर आप चाहें तो थोड़ा सा वक्त निकाल कर अपने जीवन को एक नया मोड़ दे सकते हैं, अगर कोई व्यक्ति मुसीबत में है और वह आपसे मदद मांगता है तो मना कभी मत करिये। जितना आपसे बन पड़ता है करिये, क्योंकि भगवान आपको कुछ अच्छा करने का मौका दे रहा है। आप जरुर करिये, अगर आपके घर कोई गाय रोज आती है और आप अगर रोटी खिलाते हैं तो वह बोल नहीं सकती है मगर अंदर से आपको ढेर सारा आशीर्वाद देती है। जो आपको दिखाई नहीं देता है, मगर आपकी कई मुसीबतों को दूर करते है। वैसे ही इंसान एक बार जन्म लेता है और अपने जीवन को सार्थक बनाना चाहता है तो एक छोटी सी सीख हमे जीवन जीने की प्रेरणा देती है। भगवान कृष्ण ने कहा है कि अगर प्यार से मुझे कच्ची खिचड़ी का भोग लगा दो तो भी मैं बड़े प्यार से खाता हूं और कोई भी छप्पन प्रकार का भोग लगाता है उसे भी स्वीकार करता हूं लेकिन भोग भगवान तक पहुंचता है यह सत्य है। मगर कई लोग इसे नहीं मानते।
यदि कोई व्यक्ति अपने जीवन में कभी अनाथ आश्रम या वृद्ध आश्रम गया है तो उसे व्यक्ति को वहां के लोग भगवान की तरह पूजते हैं। मगर उन लोगों के लिए वह व्यक्ति मदद करके भगवान जैसा बन गया।
उदाहरण – एक गांव में अकाल पड़ गया वहां के लोग भूख के मारे मर रहे थे तभी एक व्यक्ति राह चलने वाला वहां से गुजर रहा था इस गांव की हालात देखकर वहां रुका और एक किसान से पूछा : इस गांव के लोग इतनी गरीबी में क्यों जी रहे हैं। खाने तक का अनाज नहीं है। वह किसान बोला कि पहले ऐसा नहीं था। पानी समय में नहीं गिर रहा है। इसके कारण अनाज नहीं हुआ और कुए तालाब भी सूख गये। तब वह व्यक्ति बोला मैं आपकी कुछ मदद कर सकता हूं और कहा मेरे गांव में कुछ अनाज है उसे ले आओ ताकि आप कुछ दिन इसे खाकर अपना जीवन चला सको। इस प्रकार आप किसी की मदद कर सकते हैं तो हमेशा तत्पर रहिए। मगर कई लोग अपनी जिंदगी से हार मान लेते हैं और मरने की सोच लेते हैं। लेकिन मरना इसका हल नहीं। समस्या सभी को आती है। रामायण में भगवान राम को भी नहीं और समस्या से पीछे नहीं रहे। वे राज्य छोड़कर जंगल चले गये वो भी 14 वर्ष के लिए। अगर वे जंगल नहीं जाते तो राक्षसों को कैसे मारते। वैसे ही व्यक्ति में नहीं आता है उसे अच्छे बूरे की पहचान नहीं होती। आज संसार कई मुसीबतों से घिरा और घिरते चले जा रहा है। मगर वह हार नहीं मानते क्योंकि हर समस्या का हल होता है उतार चढ़ाव तो जीवन के दो पैर हैं। जिस प्रकार दोनों का चलना जरुरी है। अगर आप अपने जीवन में किसी को मीठा खिलाया है उतार चढ़ाव तो जीवन के दौर पैर है। जिस प्रकार दोनों का चलना जरुरी है।
अगर अपने जीवन में किसी को मीठा खिलाया है या दान कियै है तो आप का मुंह कभी भी कड़वा नहीं होगा या किसी को भोजन खिलाया है तो आप कभी भी भूखे नहीं रहोगा। किसी को गिरने से बचाया है तो आप कभी भी गड्ढे पर नहीं गिरोगे, लेकिन बहुत लोगों की सोच होती है कि मैं इसके मुसीबत में साथ दिया है तो ये भी देगा लेकिन जब हमने बचाया है इस संसार को तो हमारे पास मुसीबत क्या आएगी। यह सोच नहीं आती कि हमारे पास मुसीबत क्यों आएगी।
जीवन में सफलता एवं सुख शांति के लिए मन का एकाग्र रखना बहुत ही जरुरी है। यदि जीवन अपने वश में है तो? शत्रुओं की क्या मजाल की व्यक्ति को विचलित कर सके। जीवन में बुरे संगती का तो कभी अच्छा नहीं लेना चाहिए क्योंकि संगती से ही जीवन कष्टमय हो जाता है और आप कभी भी अच्छा नहीं कर सकते।
जैसा अन्य वैसा मन का संबंध। अन्य सूक्ष्म संस्कार मन का निर्माण करते हैं। अत: हम कैसे आहार ले रहे हैं। इस पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है। इसलिए सात्विक भोजन ही करना चाहिए। उससे अच्छी सोच आती है जिससे मनुष्य कुछ बुरा करने के बारे में नहीं सोचता है।
जीवन का लक्ष्य – मनोविग्रह में जीवन का उच्च महत्वपूर्ण रहता है। लक्ष्य जितना ऊचा होगा उतनी ही हमारी तन – मन की उर्जा उसमें नियोजित होती है। अत: हम हमेशा सच्चाई के मार्ग पर चलते हुए शुभ कर्म, पुण्य कर्म करते रहे। तभी हम प्रसन्न रह सकेंगे। आनंदित रह सकेंगे। क्योंकि कोई नहीं केवल और केवल हमारा कर्म ही हमारे जीवन को सुखी कर सकता है और आनंदित कर सकता है।

शशि गिरी गोस्वामी
राजनांदगांव (छ.ग.)

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