पहले चरण में कमेटी ने 313 आदिवासियों को रिहा करने की अनुशंसा की थी, जिसे सरकार ने दी मंजूरी

सबका संदेस न्यूज़ छत्तीसगढ़ जगदलपुर- सालों से जेलों में बंद निर्दोष आदिवासियों की रिहाई की प्रक्रिया एक कदम और आगे बढ़ गई है। अब इन आदिवासियाें की रिहाई के दस्तावेज न्यायालय तक पहुंच गए हैं। सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज ऐके पटनायक के नेतृत्व में बनी कमेटी ने 313 आदिवासियों को रिहा करने की अनुशंसा की थी। इसे राज्य सरकार ने मान लिया था और 313 आदिवासियों के मामलों की समीक्षा कर अब उनकी रिहाई के लिए कागजात अलग-अलग न्यायालयों में भेज दिए गए हैं। अब इन आदिवासियों के खिलाफ चल रहे प्रकरण न्यायालय के जरिए वापस होंगे।
न्यायालय तक दस्तावेज पहुंचने के बाद ऐसा माना जा रहा है कि फरवरी के पहले पखवाड़े या अंत तक इनकी रिहाई हो जाएगी। प्रदेश में यह पहला मौका है जब सरकार एक साथ इतने आदिवासियों को रिहा कर रही है। अभी तक सिर्फ आबकारी एक्ट के तहत जेलों में बंद किए गए आदिवासियों को रिहा किया जाता रहा है। कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव के दौरान वादा किया था कि जेलों में बंद निर्दोष आदिवासियों को जल्द रिहा करेगी। इसके बाद एक कमेटी का गठन भी किया गया जो लगातार जेलों में बंद आदिवासियों के मामलों की समीक्षा कर रही है।
कोर्ट को सौंप दी गई है 313 लोगों की लिस्ट
आईजी पी. सुंदरराज ने बताया कि जिन 313 आदिवासियों को रिहा करना था उनकी लिस्ट न्यायालय को सौंप दी गई है और अब सभी के मामले सीधे न्यायालय से खत्म होंगे।
दूसरे चरण में नक्सली और गंभीर धाराओं के मुकदमों की समीक्षा
सूत्रों के अनुसार पहले चरण में 313 आदिवासियों की रिहाई की प्रक्रिया के बीच दूसरे चरण की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है। इसमें नक्सल और अन्य गंभीर धाराओं में जेलों में बंद निर्दोष आदिवासियों के मामलों की समीक्षा शुरू की जाएगी। ऐसा माना जा रहा है कि दूसरे चरण में बस्तर की सात जिलों के पांच सौ से ज्यादा निर्दोष आदिवासियों की रिहाई होगी। हालांकि, इसे बारे में शासन से अधिकृत जानकारी उपलब्ध नहीं करवाई गई है।
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