छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ का यह गांव है अनमोल, हर कोई है अपने पैरों पर खड़ा, घर बैठे छापते हैं नोट

जांजगीर चांपा: सक्ती जिले के मालखरौदा ब्लॉक के बंदोरा गांव के ग्रामीणों ने स्वालंबन की मिसाल पेश की है. दशकों से पैरा से रस्सी बनाकर अपना जीवन यापन कर रहे हैं और इससे घर बैठे उन्हें रोजगार मिल जाता है. साथ ही, अच्छी आमदनी अर्जित कर रहे हैं. इस गांव में अधिकांश लोग पैरा से रस्सी बनाने का ही काम करते हैं. खास बात यह है कि गांव में ही रोजगार मिलने से लोगों को पलायन करना नहीं पड़ता है, क्योंकि लोगों ने घर पर ही रोजगार की व्यवस्था बना रखी है. ऐसे में छग और जिले में बंदोरा गांव की अलग पहचान है.इस गांव में बच्चों से लेकर महिला, पुरुष, बुजुर्ग अपने घर में पैरा से रस्सी बनाने का काम करते हैं. ग्रामीण पुष्पा बाई, ललिता बाई ने बताया कि पैरा से रस्सी बनाने का काम उनके पूर्वजों के जमाने से चली आ रही है. यहां के ग्रामीण एक परिवार में प्रतिदिन 150 से 200 तक पैरा से रस्सी बनाने का काम करते हैं, जिसकी कीमत 1 रुपये है, याने 100 रुपए का सैकड़ा बिकता है. सबसे खास बात पहले लोग कावड़ में रस्सी बेचने जाते थे और अब वाहनों के माध्यम से छग के कोने-कोने तक यह रस्सी को पहुंचाया जा रहा है. वहीं छत्तीसगढ़ के साथ ही अन्य राज्य ओड़िसा राज्य में भी इसकी सप्लाई की जाती है.यहां के ग्रामीण बरसात के मौसम समाप्त होते ही फसल तैयार होने से पहले पैरा से रस्सी बनाने का काम प्रारंभ कर देते हैं और निरंतर अपने काम में लगे रहते हैं. पैरा से रस्सी बनाने का काम बंदोरा के ग्रामीणों के लिए वरदान साबित हो रहा है. यह गांव स्वावलंबन की मिसाल है और गांव में रोजगार मिलने से लोगों को पलायन भी नहीं करना पड़ता है. खास कर पैरा से बने इस रस्सी को खरीदने के लिए व्यापारी खुद गांव तक पहुंच जाते हैं और रस्सी खरीदी करते हैं.

Related Articles

Back to top button