छत्तीसगढ़

थाना कोनी/आज के एक अख़बार में प्रकाशित समाचार में यह उल्लेख किया गया है कि गुरु घासीदास विश्वविद्यालय (GGU) में छात्र अर्सलान अंसारी की मृत्यु के मामले की जांच एक अनुभवहीन अधिकारी प्रधान आरक्षक रमेश पटनायक द्वारा की जा रही है। इस संबंध में वस्तुस्थिति स्पष्ट करना आवश्यक है।

थाना कोनी/आज के एक अख़बार में प्रकाशित समाचार में यह उल्लेख किया गया है कि गुरु घासीदास विश्वविद्यालय (GGU) में छात्र अर्सलान अंसारी की मृत्यु के मामले की जांच एक अनुभवहीन अधिकारी प्रधान आरक्षक रमेश पटनायक द्वारा की जा रही है। इस संबंध में वस्तुस्थिति स्पष्ट करना आवश्यक है।

छात्तिसगढ बिलासपुर भूपेंद्र साहू ब्यूरो रिपोर्ट/दिनांक – 31/10/2025/वास्तव में, यह सामान्य प्रक्रिया है कि मृत्यु के मामलों में प्रारंभिक कार्यवाही जैसे मर्ग पंचनामा (Inquest) थाना स्तर पर प्रधान आरक्षक या सहायक उपनिरीक्षक (ASI/HC) स्तर के अधिकारी द्वारा की जाती है। यह केवल प्रारंभिक औपचारिक जांच होती है।
परंतु, थाना कोनी के मर्ग क्रमांक 81/2025 में मृतक अर्सलान अंसारी, छात्र – गुरु घासीदास विश्वविद्यालय की मृत्यु पानी में डूबने से होने एवं मृत्यु संदेहास्पद पाए जाने पर,
श्रीमान पुलिस अधीक्षक, बिलासपुर द्वारा इस प्रकरण की जांच हेतु एक पाँच सदस्यीय विशेष जांच टीम (SIT) गठित की गई है,जिसका नेतृत्व श्री गगन कुमार (भा.पु.से.), नगर पुलिस अधीक्षक, सिटी कोतवाली बिलासपुर द्वारा किया जा रहा है।

इस SIT में थाना कोनी के थाना प्रभारी निरीक्षक (TI) अनंत कुमार,साथ ही साइबर सेल एवं तकनीकी सेल के अधिकारी सम्मिलित हैं।टीम के गठन के पश्चात् मर्ग की संपूर्ण जांच संगठित एवं वैज्ञानिक पद्धति से की जा रही है।

यह उल्लेखनीय है कि थाना कोनी में TI अनंत द्वारा चार्ज ग्रहण करने से पूर्व,उक्त मर्ग की प्रारंभिक कार्यवाही प्रधान आरक्षक रमेश पटनायक द्वारा की गई थी,जो नियमानुसार है। SIT गठित होने के उपरांत,
जांच टीम के प्रत्येक अधिकारी-कर्मचारी को उनकी भूमिका स्पष्ट रूप से निर्धारित की गई है,
और दस्तावेज़ों में संबंधित अधिकारी अपने कार्यक्षेत्र के अनुसार हस्ताक्षर करते हैं।

अतः यह कहना कि पूरी जांच केवल एक प्रधान आरक्षक द्वारा की जा रही है,पूरी तरह भ्रमित करने वाला एवं तथ्यहीन है।
वर्तमान में यह जांच SIT टीम द्वारा CSP गगन कुमार (IPS) के निर्देशन में पारदर्शी, निष्पक्ष एवं विधिसम्मत ढंग से की जा रही है।

बिलासपुर पुलिस जनता एवं मीडिया से निवेदन करती है कि ऐसी संवेदनशील जांच से संबंधित समाचार प्रकाशित करने से पूर्व सत्यापन अवश्य करें, ताकि किसी प्रकार की भ्रामक जानकारी से जांच प्रक्रिया या जनता की धारणा प्रभावित न हो।आज के एक अख़बार में प्रकाशित समाचार में यह उल्लेख किया गया है कि गुरु घासीदास विश्वविद्यालय (GGU) में छात्र अर्सलान अंसारी की मृत्यु के मामले की जांच एक अनुभवहीन अधिकारी प्रधान आरक्षक रमेश पटनायक द्वारा की जा रही है। इस संबंध में वस्तुस्थिति स्पष्ट करना आवश्यक है।

वास्तव में, यह सामान्य प्रक्रिया है कि मृत्यु के मामलों में प्रारंभिक कार्यवाही जैसे मर्ग पंचनामा (Inquest) थाना स्तर पर प्रधान आरक्षक या सहायक उपनिरीक्षक (ASI/HC) स्तर के अधिकारी द्वारा की जाती है। यह केवल प्रारंभिक औपचारिक जांच होती है।
परंतु, थाना कोनी के मर्ग क्रमांक 81/2025 में मृतक अर्सलान अंसारी, छात्र – गुरु घासीदास विश्वविद्यालय की मृत्यु पानी में डूबने से होने एवं मृत्यु संदेहास्पद पाए जाने पर,
श्रीमान पुलिस अधीक्षक, बिलासपुर द्वारा इस प्रकरण की जांच हेतु एक पाँच सदस्यीय विशेष जांच टीम (SIT) गठित की गई है,जिसका नेतृत्व गगन कुमार (भा.पु.से.), नगर पुलिस अधीक्षक, सिटी कोतवाली बिलासपुर द्वारा किया जा रहा है।

इस SIT में थाना कोनी के थाना प्रभारी निरीक्षक (TI) अनंत कुमार,साथ ही साइबर सेल एवं तकनीकी सेल के अधिकारी सम्मिलित हैं।टीम के गठन के पश्चात् मर्ग की संपूर्ण जांच संगठित एवं वैज्ञानिक पद्धति से की जा रही है।

यह उल्लेखनीय है कि थाना कोनी में TI अनंत द्वारा चार्ज ग्रहण करने से पूर्व,उक्त मर्ग की प्रारंभिक कार्यवाही प्रधान आरक्षक रमेश पटनायक द्वारा की गई थी,जो नियमानुसार है। SIT गठित होने के उपरांत,
जांच टीम के प्रत्येक अधिकारी-कर्मचारी को उनकी भूमिका स्पष्ट रूप से निर्धारित की गई है,
और दस्तावेज़ों में संबंधित अधिकारी अपने कार्यक्षेत्र के अनुसार हस्ताक्षर करते हैं।

अतः यह कहना कि पूरी जांच केवल एक प्रधान आरक्षक द्वारा की जा रही है,पूरी तरह भ्रमित करने वाला एवं तथ्यहीन है।
वर्तमान में यह जांच SIT टीम द्वारा CSP गगन कुमार (IPS) के निर्देशन में पारदर्शी, निष्पक्ष एवं विधिसम्मत ढंग से की जा रही है।

बिलासपुर पुलिस जनता एवं मीडिया से निवेदन करती है कि ऐसी संवेदनशील जांच से संबंधित समाचार प्रकाशित करने से पूर्व सत्यापन अवश्य करें, ताकि किसी प्रकार की भ्रामक जानकारी से जांच प्रक्रिया या जनता की धारणा प्रभावित न हो।

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