अजब गजब

कैलकुलेटर से भी तेज़ हो जाएगा दिमाग, बस अपनाएं बघेलखंड के ये देसी नुस्खे, बच्चे हर इग्जाम में करेंगे टॉप

सतना. आज की डिजिटल रफ्तार में हर माता पिता यही चाहते हैं कि उनका बच्चा कंप्यूटर की तरह तेज दिमाग वाला बने, लेकिन क्या सिर्फ मोबाइल, लैपटॉप और ऑनलाइन लर्निंग से बुद्धि तेज़ हो सकती है? शायद नहीं! बघेलखंड की आयुर्वेदिक परंपराओं में आज भी ऐसे प्राकृतिक उपाय मौजूद हैं जो मस्तिष्क की क्षमता को बढ़ाने में मदद करते हैं. अर्जुन, पीपल और बरगद जैसे पेड़ों के औषधीय गुणों को यहां के ग्रामीण आज भी अपनाते हैं. प्राचीन मान्यताओं के अनुसार ये तीनों पेड़ न केवल मानसिक शांति प्रदान करते हैं बल्कि मस्तिष्क को सक्रिय, शांत और केंद्रित बनाने में अहम भूमिका निभाते हैं.

बघेलखंड की परंपरा में छिपा दिमाग़ तेज़ करने का रहस्य
सामाजिक वानिकी वृत्त रीवा के रामटेकरी स्थित  , पीपल और अर्जुन के पेड़ अपने औषधीय गुणों के कारण आज भी ग्रामीण जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं. इन पेड़ों की पत्तियां, फल, छाल और जड़ें सभी किसी न किसी रूप में शरीर और मन के संतुलन के लिए उपयोगी होती हैं. पुराने जमाने में लोग इनकी छाल का चूर्ण बनाकर दूध के साथ सेवन करते थे जिससे मानसिक थकान और तनाव दोनों दूर हो जाते थे.

बरगद का पेड़: एकाग्रता और मानसिक स्थिरता का प्रतीक
बरगद का विशाल वृक्ष न केवल छाया प्रदान करता है बल्कि यह सदियों से ध्यान और चिंतन का केंद्र माना गया है. ऋषि-मुनि बरगद के नीचे बैठकर साधना करते थे क्योंकि इसका वातावरण मस्तिष्क को शांत और केंद्रित करता है. इसकी पत्तियों और जड़ों से बने औषधीय मिश्रण पाचन सुधारने, रक्त शुद्ध करने और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करते हैं. वही इसके पत्तों को चबाने से याद करने की क्षमता भी बढ़ती है. यही कारण है कि ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी बरगद को शांति का पेड़ कहा जाता है.

पीपल का पेड़: प्राकृतिक ऑक्सीजन मशीन और मस्तिष्क का पोषक
पीपल का पेड़ हमारी सांसों के लिए बहुत उपयोगी है क्योंकि यह 24 घंटे ऑक्सीजन छोड़ता है. इससे वातावरण शुद्ध रहता है और ब्रेन को पर्याप्त ऑक्सीजन मिलती है. यह मानसिक सतर्कता और एकाग्रता को बढ़ाता है. आयुर्वेद में पीपल के पत्तों और छाल का प्रयोग हृदय रोग, दमा और रक्त विकारों के उपचार में किया जाता है. स्थानीय मान्यताओं के अनुसार पीपल के नीचे समय बिताने वाले लोग अधिक बुद्धिमान और निरोगी माने जाते हैं.

अर्जुन का पेड़: मजबूत हृदय, मजबूत मस्तिष्क
अर्जुन की छाल को प्राचीन काल से हृदय रोगों के इलाज में उपयोग किया जाता रहा है. एक हेल्थी हार्ट ब्रेन को ज़्यादा ब्लड और ऑक्सीजन पहुंचाता है जिससे सोचने समझने की क्षमता बढ़ती है. साथ ही अर्जुन तनाव और चिंता को कम करता है जिससे व्यक्ति का ध्यान अधिक केंद्रित होता है. यही वजह है कि आयुर्वेद में अर्जुन को मस्तिष्क और हृदय दोनों का रक्षक कहा गया है.देसी पेड़ों में छिपा है बुद्धि बढ़ाने का विज्ञान
बघेलखंड की परंपराओं में अर्जुन, पीपल और बरगद का महत्व सिर्फ धार्मिक नहीं बल्कि वैज्ञानिक भी है. आधुनिक जीवन की भागदौड़ में अगर इन प्राकृतिक नुस्खों को अपनाया जाए तो दिमाग़ को कैल्कुलेटर से भी तेज़ बनाया जा सकता है, वो भी पूरी तरह देसी और सुरक्षित तरीके से बिना किसी साइड इफेक्ट के.

Disclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें.  सबका संदेश डॉट कॉम किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.

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