गौरव पथ निर्माण: भ्रष्टाचार और पर्यावरण दोहन के आरोपों के बीच सवालों के घेरे में नगर पालिका..

गौरव पथ निर्माण: भ्रष्टाचार और पर्यावरण दोहन के आरोपों के बीच सवालों के घेरे में नगर पालिका..
(मनीष नामदेव )मुंगेली नगर पालिका द्वारा शहर के सौंदर्यीकरण और गौरव पथ निर्माण के नाम पर लगभग पाँच करोड़ रुपए की लागत से बन रही योजना अब विवादों में घिर गई है। इस योजना को नगर की पहचान और विकास का प्रतीक बताया जा रहा था, लेकिन अब यह भ्रष्टाचार, अव्यवस्था और पर्यावरण दोहन का प्रतीक बनती नजर आ रही है।
पेड़ों की बलि और हंगामा
गौरव पथ के डिवाइडर में लगे हरे-भरे पेड़ इस परियोजना की सबसे बड़ी कीमत चुका रहे हैं। नगर पालिका उपाध्यक्ष जयप्रकाश मिश्रा ने कहा था कि 5 करोड़ रुपए की लागत से गौरवपथ 800 मीटर डिवाइडर और बी.टी रोड निर्माण किया जा रहा है, जिसमें मुंगेली शहर की दशा और दिशा सुधारेंगे और जों डिवाइडर में लगे पेड़ पौधे को यहां से उखाड़ कर दूसरी जगह सवारंगे लेकिन पेड़ों को सुरक्षित निकालने और प्रत्यारोपित करने के दावे पर अमल नहीं हुआ। जों रातों रात काटकर फेक दिया गया ।पालिका के जो जनप्रतिनिधि पहले बने डिवाडर को तुडवा कर अपनी पीठ थपथपा रहे थे वही अब गुणवत्ताहिन निर्माण को लेकर जनप्रतिनिधि बुत बने नजर आ रहे है।
आम जनता का आक्रोश
आम जनता का कहना है कि पाँच करोड़ की लागत से हो रहे इस काम का औचित्य ही क्या है? जब सड़क और डिवाइडर की स्थिति पहले से ठीक थी तो नए निर्माण की आवश्यकता क्यों पड़ी? पेड़ों को सुरक्षित निकालने और प्रत्यारोपित करने के दावे पर अमल क्यों नहीं हुआ?

नगर पालिका का पक्ष
नगर पालिका इंजीनियर नेमी चंद वर्मा ने कहा कि जितने पेड़ निकाले गए हैं, उतने ही वापस लगाए जाएंगे। कुछ को रेहूटा में लगाया गया है, तो कुछ पेंडाराकापा भेजे गए हैं। वहीं मुख्य नगरपालिका अधिकारी होरी सिंह ने बताया कि गौरव पथ को तोड़कर नया बनाया जा रहा है। कुछ पौधों को शिफ्ट किया गया है, लेकिन पालिका के पास इतनी आधुनिक मशीनें नहीं हैं कि सभी पेड़ों को सुरक्षित उखाड़कर दूसरी जगह लगाया जा सके।
संयोजक – स्टार्स ऑफ टुमॉरो वेलफेयर सोसायटी मुंगेली रामपाल सिंह ने कहा कि हमारी संस्था द्वारा गौरव पथ डिवाइडर नवनिर्माण के दौरान पौधों को हो रही क्षति के संदर्भ में माननीय कलेक्टर महोदय को आवेदन प्रस्तुत किया गया था। इस पर उन्होंने त्वरित संज्ञान लेते हुए नगर पालिका सीएमओ को आवश्यक कार्यवाही हेतु निर्देशित किया। लेकिन वर्तमान में जिस प्रकार पेड़ों को काटा जा रहा है, वह न केवल पूर्व आश्वासनों के विपरीत है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से भी अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है।