छत्तीसगढ़

युक्तियुक्तकरण नीति बनी ग्रामीण शिक्षा की रीढ़, विषय विशेषज्ञ शिक्षक पहुँचे दूरस्थ स्कूलों तक

युक्तियुक्तकरण नीति बनी ग्रामीण शिक्षा की रीढ़, विषय विशेषज्ञ शिक्षक पहुँचे दूरस्थ स्कूलों तक

गणित, जीवविज्ञान और अर्थशास्त्र जैसे प्रमुख विषयों में विशेषज्ञ शिक्षकों की नियुक्ति से विद्यार्थियों में बढ़ा आत्मविश्वास

कवर्धा 06 अगस्त 2025। छत्तीसगढ़ शासन द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में संतुलन, पारदर्शिता और परिणाममुखी व्यवस्था स्थापित करने की दिशा में लागू की गई युक्तियुक्तकरण नीति अब जिले के विद्यालयों में बदलाव की मिसाल बनकर उभर रही है। इस नीति के माध्यम से कबीरधाम जिले के ग्रामीण एवं दूरस्थ अंचलों में लंबे समय से चली आ रही विषय-विशेषज्ञ शिक्षकों की कमी को दूर किया गया है। खासतौर पर गणित, जीवविज्ञान और अर्थशास्त्र जैसे प्रमुख विषयों में शिक्षकों की नियुक्ति से न केवल छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध हो रही है, बल्कि उनकी शैक्षणिक प्रगति और प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता में भी अभूतपूर्व सुधार देखने को मिल रहा है। यह पहल विद्यार्थियों के भविष्य को सशक्त बनाने की दिशा में शासन की दूरदर्शी सोच और जनहितैषी दृष्टिकोण का प्रमाण है।
कबीरधाम जिले में गणित विषय के लिए शासकीय हाईस्कूल बोदा 03, शास. उ.मा.वि. झलमला, उडियाखुर्द, बा. चारभाठा और रवेली में शिक्षकों की तैनाती की गई है। गणित जैसे विषय में शिक्षक की अनुपलब्धता छात्रों के आत्मविश्वास और परिणामों पर सीधा असर डालती थी। अब विद्यार्थियों को वर्ग, त्रिकोणमिति, बीजगणित जैसे जटिल विषयों को समझने में आसानी हो रही है।
जीवविज्ञान विषय की बात करें तो शासकीय हाईस्कूल कोसमंदा, दशरंगपुर, कोडापुरी, सारंगपुर कला और मिनमिनिया जंगल में विशेषज्ञ शिक्षकों की नियुक्ति हुई है। ये स्कूल दूरस्थ और ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित हैं जहाँ जीवविज्ञान जैसे प्रयोगात्मक विषय के लिए प्रशिक्षित शिक्षकों की अत्यधिक आवश्यकता थी। अब इन विद्यालयों में विद्यार्थी प्रयोगशाला गतिविधियों के साथ गहन अध्ययन कर पा रहे हैं, जिससे उनका सैद्धांतिक और व्यावहारिक ज्ञान दोनों मजबूत हो रहा है।
अर्थशास्त्र विषय के लिए शास. उ.मा.वि. कुण्डा और दशरंगपुर में शिक्षकों की नियुक्ति हुई है। अर्थशास्त्र जैसे विषय में विशेषज्ञता के अभाव के कारण ग्रामीण छात्र पिछड़ रहे थे। लेकिन अब बाजार सिद्धांत, विकास की अवधारणाएँ और भारतीय अर्थव्यवस्था जैसे जटिल विषयों को समझना छात्रों के लिए सहज हो गया है।
युक्तियुक्तकरण नीति के चलते अब शिक्षकों का संतुलित वितरण हो रहा है और प्रत्येक विद्यालय में विषयानुसार पढ़ाई संभव हो रही है। यह केवल एक प्रशासनिक पहल नहीं, बल्कि यह शिक्षा के समान अधिकार और समावेशी विकास की दिशा में ठोस कदम है। इस नीति से जहाँ शहरी और ग्रामीण शिक्षा व्यवस्था में समानता आ रही है, वहीं छात्र-छात्राओं में प्रतिस्पर्धा और सीखने की ललक भी बढ़ रही है। शासन की यह दूरदर्शी पहल आने वाले समय में बोर्ड परीक्षा परिणामों से लेकर प्रतियोगी परीक्षाओं तक में जिले की छवि को ऊँचा उठाएगी। स्पष्ट है कि गणित, जीवविज्ञान और अर्थशास्त्र जैसे विषयों में विशेषज्ञ शिक्षकों की नियुक्ति केवल कक्षा की पढ़ाई ही नहीं सुधार रही, बल्कि यह विद्यार्थियों के जीवन और भविष्य को नई दिशा दे रही है।

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