छत्तीसगढ़

जनजातीय समाज के अधिकारों की पैरवी में सक्रिय हुए केन्द्रीय राज्य मंत्री तोखन साहू

जनजातीय समाज के अधिकारों की पैरवी में सक्रिय हुए केन्द्रीय राज्य मंत्री तोखन साहू

छत्तीसगढ़ बिलासपुर भूपेंद्र साहू ब्यूरो रिपोर्ट। छत्तीसगढ़ राज्य के वंचित जनजातीय समाजों को उनका संवैधानिक अधिकार दिलाने हेतु केन्द्रीय आवासन एवं शहरी कार्य राज्य मंत्री एवं बिलासपुर लोकसभा सांसद तोखन साहू ने एक बार फिर निर्णायक पहल करते हुए माननीय केंद्रीय मंत्री दुर्गादास उइके, जुएल उरांव, डॉ. वीरेंद्र कुमार तथा डॉ. मनसुख मांडविया से भेंट कर संबंधित जनजातीय समूहों को अनुसूचित जनजाति एवं अनुसूचित जाति की मान्यता प्रदान करने के विषय में गंभीर चर्चा की।

श्री साहू ने उन्हें अवगत कराया कि छत्तीसगढ़ के जशपुर, सूरजपुर, बलरामपुर एवं सरगुजा जिलों के वनांचलों में निवासरत डिहारी कोरवा, बघेल क्षत्री, संसारी/सन्सारी/सनसारी उरांव, खेरवार/खरवार जैसे समुदाय लंबे समय से अनुसूचित जनजाति की श्रेणी में आते हैं, वहीं डोमरा एवं चिक समुदाय को अनुसूचित जाति के रूप में दर्ज किया गया है।

किन्तु जाति नामों में मात्रात्मक त्रुटियों के कारण ये समुदाय विगत दो दशकों से अपने संवैधानिक अधिकारों और आरक्षण सहित अन्य कल्याणकारी योजनाओं से वंचित हैं। परिणामस्वरूप, वे आर्थिक, सामाजिक और शैक्षणिक रूप से अत्यंत पिछड़े रह गए हैं।

श्री साहू ने बताया कि इन समुदायों को अनुसूचित जाति/जनजाति की सूची में यथोचित स्थान देने के लिए जनजातीय अनुसंधान संस्थान (TRI) द्वारा सर्वेक्षण एवं अनुशंसा की जा चुकी है। संबंधित प्रस्ताव सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार को भेजा गया है, और गृह मंत्रालय के अधीन भारत के महापंजीयक (आरजीआई), दिल्ली कार्यालय में प्रक्रियाधीन है।

श्री साहू ने माननीय मंत्रियों से आग्रह किया कि समाज की जमीनी स्थिति और ऐतिहासिक उपेक्षा को देखते हुए गृह मंत्रालय से आवश्यक मंजूरी दिलाने की दिशा में त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित की जाए, जिससे इन समुदायों का समावेशी विकास और न्यायोचित अधिकार संरक्षण सुनिश्चित हो सके।

Related Articles

Back to top button