छत्तीसगढ़

जनजातीय समाज के अधिकारों की पैरवी: ‘संसारी उरांव’ को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने हेतु तोखन साहू एवं प्रतिनिधिमंडल ने डॉ. मनसुख मांडविया से की भेंट

जनजातीय समाज के अधिकारों की पैरवी: ‘संसारी उरांव’ को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने हेतु तोखन साहू एवं प्रतिनिधिमंडल ने डॉ. मनसुख मांडविया से की भेंट

छत्तीसगढ़ राज्य के जशपुर जिले सहित सरगुजा, बलरामपुर और रायगढ़ में निवासरत उरांव समाज के प्रतिनिधिमंडल ने आज केंद्रीय श्रम एवं रोजगार तथा युवा कार्य एवं खेल मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया से नई दिल्ली में भेंट की। इस अवसर पर प्रतिनिधिमंडल ने छत्तीसगढ़ राज्य की अनुसूचित जनजातियों की सूची में ‘संसारी उरांव’, ‘सन्सारी उरांव’ एवं ‘सनसारी उरांव’ नामों को शामिल किए जाने की पुरज़ोर माँग रखी।

यह महत्वपूर्ण बैठक केंद्रीय आवासन एवं शहरी कार्य राज्य मंत्री तथा बिलासपुर से लोकसभा सांसद तोखन साहू की सक्रिय पहल पर आयोजित की गई। श्री साहू ने स्वयं इस माँग को गंभीर सामाजिक विषय बताते हुए केंद्रीय मंत्री के समक्ष प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि केवल नामों की वर्तनी में त्रुटि के कारण अनुसूचित जनजाति समाज के हज़ारों लोगों को उनके संवैधानिक अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकता।

प्रतिनिधिमंडल ने बताया कि यह समुदाय उरांव समाज का अभिन्न हिस्सा है, जिनकी संस्कृति, परंपरा, सामाजिक संबंध, भाषा एवं जीवनशैली मूल उरांव समाज के समान है। समाज के लोग वर्षों से एक-दूसरे से विवाह-संबंध, धार्मिक मान्यताएँ एवं सामाजिक आयोजनों में सहभागी होते आए हैं। फिर भी, मात्र लिखावटी विविधता के कारण जाति प्रमाण-पत्र मिलने में अड़चन आ रही है।

जनजातीय अनुसंधान संस्थान (टीआरआई), छत्तीसगढ़ द्वारा इस संदर्भ में सर्वेक्षण किया जा चुका है और विषय गृह मंत्रालय के अधीन भारत के महापंजीयक (आरजीआई) के पास विचाराधीन है।

केंद्रीय मंत्री डॉ. मांडविया ने प्रतिनिधिमंडल की बातों को गंभीरता से सुनते हुए कहा कि यह एक संवेदनशील सामाजिक विषय है, और वे इसे गृह मंत्रालय तथा अन्य संबंधित विभागों के समक्ष शीघ्रता से रखने हेतु आवश्यक कदम उठाएँगे।

प्रतिनिधिमंडल में प्रमुख रूप से नयूराम मगत (अध्यक्ष), कुबर राम भगत (कार्यकारी अध्यक्ष), रामवृक्ष भगत (सचिव), जगन राम भगत (उपाध्यक्ष) एवं अन्य सदस्य उपस्थित थे।

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