छत्तीसगढ़
स्वीकृति का सूर्य

. स्वीकृति का सूर्य
बंद करो तुम कोसना प्रारब्ध को
हम जानते है, श्रापित हुआ यह नेह है…!
नियति की यह देन है स्वीकार कर लो।
है यही क्षण स्वत्त्व का दीदार कर लो।।
अध्यारोपित में सदा निष्टूरता दिखती रहेगी।
मिथ्यापोषित में कहां?स्थिरता दिखती रहेगी।।
चित्त का स्वधर्म है, हर आयाम में घूमती मिलेगी।
होगा ऐसा मर्म जो, शिव ध्यान में रमति दिखेगी।।
मांग समय की समझ, भूमि बनाओ पुण्य की।
पूर्वाभास मजबूत करदे , दक्षता नैपुण्य की।।
बंद करो अब कोसना प्रारब्ध को
हम जानते है त्रासित हुआ यह मेह है…..!
ऋचा चंद्राकर (महासमुंद)