छत्तीसगढ़दुर्ग भिलाई

रेलवे आवास किराये पर देने वाले कर्मचारियों पर रेलवे करेगी कार्यवाही

रेलमंत्री के पत्र से किराया में देने वालों में मचा हडकंप

अब किरायेदार को खाली कराकर कार्यवाही से बचने के फिराक में है कर्मचारी

भिलाई । रेल मंत्री पियुष गोयल के एक पत्र से दुर्ग जिले में भी उन रेलवे के अधिकारियों व कर्मचारियों में हंडकंप मच गया है जो रेलवे से आबंटित अपने मकान को किराया देकर रूपये वसूल रहे है। दुर्ग, भिलाई तीन-चरोदा में बडीं संख्या में रेलवे के कर्मचारी अपने नाम पर मकान आबंटित करवा कर किराये में दिये हुए है। रेल मंत्री ने देश के सभी रेलवे जोनों में पत्र लिखकर ऐसे रेलवे अधिकारियोंं व कर्मचारियों पर कार्यवाही करने का निर्देश दिया है। इस आशय का पत्र बिलासपुर जोन में मिलने से रायपुर मंडल के अधिकारी भी अब कार्यवाही के लिए सक्रिय हो गये है।  में भी पहुंचा है। अब इकी जानकारी मिलते ही जो लोग अपने मकान को किराया में देकर रखे हैं, अब उसे खाली करवाकर रेलवे द्वारा होने वाले कार्यवाही से बचने के फिराक में है।

रेलवे प्रशासन एक बार फिर अपने कर्मचारियों के लिए आबंटित आवासों का सत्यापन कराने का निर्णय लिया है। ऐसा रेल मंत्री पीयूष गोयल के निर्देश पर होने वाला है। रेल मंत्री ने देश भर के सभी जोन के जीएम को इस संबंध में पत्र लिखा है। बिलासपुर रेलवे जोन को भी ऐसा पत्र मिल चुका है। इस पत्र का मजलूम रेलवे आवासों को किराये पर देेने वालों की पहचान कर विभागीय कार्यवाही करने का है। इस पत्र के आधार पर रायपुर रेल मंडल ने भी रेलवे आवासों के सत्यापन को लेकर अदंरुनी तैयारी शुरू कर दिया है। गौरतलब रहे कि जिला मुख्यालय दुर्ग के स्टेशन से लगी हुई रेलवे की कई आवासें है। इसके अलावा भिलाई-3 व चरोदा में रेलवे कालोनी काफी विस्तृत है। नियमत: इन आवासों में रेलवे के कर्मचारी अपनी केेटेगरी के अनुसार निवासरत रह सकते हैं। बाकायदा इसके लिए आबंटन की प्रक्रिया अपना जाती है। लेकिन समय-समय पर इन रेलवे आवासों में गैर रेल कर्मचारियों के निवास करने की जानकारी मिलती रहती है। ऐसे ज्यादातर मामलों पर रेलवे आवास में रहने वालों की पहचान किरायेदार के रूप में होती है।

बताया जाता है कि दुर्ग सहित भिलाई-3 व चरोदा में रेलवे आवासों का निर्माण काफी पहल कराया गया है। खासकर भिलाई-3 व चरोदा में भिलाई इस्पात संयंत्र निर्माण के लिए रेलवे यार्ड सहित अन्य इकाईयों के स्थापना के चलते कर्मचारियों की हुई वृद्धि से उन्हें आवासीय सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से हजारों आवास बनाए गए हैं। यहां पर यह बताना भी लाजिमी होगा कि भिलाई इस्पात संयंत्र के निर्माण काल के दौरान ही अस्तित्व में आई भिलाई-चरोदा रेलवे क्षेत्र में सेवा देने दीगर प्रदेशों से काफी संख्या में लोगों का आना हुआ था। ऐसे रेल कर्मचारियों के लिए आवास उपलब्ध कराना एक तरह से जरुरी था। लेकिन अब स्थितिया काफी बदल गई है। दूसरे प्रदेश से रेलवे की नौकरी करने आये लोगों की सेवानिवृत्ति हो चुकी है। ऐसे कर्मचारियों ने सेवानिवृत्ति के बाद स्थानीय नवविकसित कालोनियों में निजी आवास का निर्माण कर लिया है। ऐसे सेवानिवृत्त कर्मचारियों की दूसरी पीढ़ी रेलवे में नौकरी करने के बाद भी अपने निजी आवास को प्राथमिकता दे रही है। दूसरे प्रदेशों से आ रहे रेल कर्मी भी आबंटित रेलवे आवासों के बजाए निजी आवासो को प्राथमिकता दे रहे हैं। इस वजह से अनेक कर्मचारियों द्वारा रेलवे आवासों को अपने नाम से आबंटित कराने के बाद किराये पर दिए जाने की चर्चा गाहे बगाए चलती रहती है दुर्ग व भिलाई चरोदा की रेलवे कालोनियां शहर के व्यस्ततम व सविधायुक्त जगहों पर है। इसी वजह से इस आवासों को किराये पर लेेेने के लिए जरुरतमंद गैर रेल कर्र्मचारियों में होड़ सी मची रहती है।

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