जीवन की क्षति की पूर्ति किसी भी रूप में नहीं की जा सकती किन्तु आर्थिक क्षतिपूर्ति से परिवार को काफी राहत मिल सकती है

जीवन की क्षति की पूर्ति किसी भी रूप में नहीं की जा सकती किन्तु आर्थिक क्षतिपूर्ति से परिवार को काफी राहत मिल सकती है
कवर्धा, अप्रैल। पीड़ित क्षतिपूर्ति योजनाः- किसी अपराध की घटना से पीड़ित व्यक्ति व परिवार को हुई क्षति की भरपाई के उद्देष्य से पीड़ित क्षतिपूर्ति योजना 2011 लागू की गई है। विषेशकर उन घटनाओं में जहां अपराध की घटना से पीड़ित परिवार के समक्ष उत्पन्न मानसिक, षारीरिक एवं आर्थिक समस्याओं में राषि की आवष्यकता होती है, पीड़ित के पुनर्वास की आवष्यकता होती है। अपराध की घटना में जीवन रक्षण हेतु पीड़ित को आर्थिक भार पड़ता है, उसे उपचार कराना पड़ता है जिसमें परिवार पर आर्थिक व्ययभार पड़ता है। परिवार के एकमात्र कमाने वाले सदस्य के साथ अगर कोई अपराधिक घटना होती है तो पीड़ित परिवार के समक्ष रोजी रोटी की समस्या उत्पन्न हो जाती है पीड़ित परिवार के मुखिया की मृत्यु हो या अपंगता से परिवार की आय में कमी होती है या आय गम्भीर रूप से प्रभावित होती है, जिसका परिवार के प्रत्येक सदस्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। ऐसी स्थिति में पीड़ित क्षतिपूर्ति योजना के लाभ से पीड़ित परिवार को काफी राहत मिलती है। जीवन की क्षति की पूर्ति किसी भी रूप में संभव नहीं है परन्तु आर्थिक क्षतिपूर्ति से परिवार को बिखरने से रोका जा सकता है।
प्रायः देखा जाता था कि अपराध की घटना से अपराधी या हानि पहुंचाने वाले को सजा मिल जाये या वह छूट जाये किन्तु पीड़ित को हुई क्षति के लिए कोई ठोस योजना नहीं थी। समय-समय पर यह मांग उठती भी थी की पीड़ित की वेदना को समझ कर उसे न्यायोचित प्रतिकर दिलायी जा सके। द.प्र.सं. 1973 के अंतर्गत घारा 357क में इसके लिए प्रावधान किये गये हैं। इसके लिए राज्यों को पृथक से पीड़ित क्षतिपूर्ति योजना तैयार कर उसे कार्यान्वित करने हेतु सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्देषित किया गया। प्रत्येक राज्य इसके लिए ‘‘पीड़ित प्रतिकर निधि’’ बनाकर उस निधि से जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा पीड़ित पक्ष को भुगतान किया जावेगा।
पीड़ित क्षतिपूर्ति योजना 2011 में समय-समय पर संषोधन भी किए गए है जिसमें पीड़ित या उसके उत्तरजीवियों/परिजनों/संरक्षकों को मिलने वाली राषि जो कि अपराध की गंभीरता एवं पीड़ित पक्षकार की स्थिति के अनुसार अलग-अलग हो सकते हैं।
माननीय न्यायालय भी आपेरा से जुर्माना के तौर पर प्रतिकर हासिल कर सकते हैः-
माननीय न्यायालय अपने अधिकारिता अनुसार चोट या हानि पहुंचाने वाले जिम्मेदार व्यक्ति से भी जुर्माने के माध्यम से पीड़िता को प्रतिकर राषि का भुगतान अपने निर्णय आदेष में करते हैं जिसे ‘‘पीड़ित क्षतिपूर्ति निधि’’ में जमा करना होता है यदि पीड़ित पक्षकार को कोई भुगतान हुआ है तो यह राषि उसमें समायोजित की जावेगी।
राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नई दिल्ली (नालसा) महिलाओं के प्रति यौन उत्पीड़न व अन्य अपराधों पीड़िता/उत्तरजीविता को प्रतिकर योजना 2018ः- जैसा कि नाम से ही प्रतीत हो रहा है कि महिलाआें के प्रति होने वाले यौन अपराधों जिसमें पीड़ित या उनके वैध पालक/संरक्षक को अपराध की गम्भीरता के आधार पर प्रतिकर की राषि क्षतिपूर्ति के रूप में प्रदान की जाती है जो कि अन्तरिम या अन्तिम राषि के रूप में हो सकती है जो कि न्यूनतम 1.75 लाख से 7.00 लाख तक हो सकती है।
अपराध की गम्भीरता के अनुसार अलग-अलग अपराध में हुए मानसिक, षारीरिक एवं आर्थिक हानि की प्रतिपूर्ति समय समय पर हुए पीड़ित क्षतिपूर्ति योजना में हुए संषोधन अनुसार धारा 357 क की अनुसूची में बदलाव किये गये हैं वर्श 2011 के बाद 2013, 2014, 2016, 2018 एवं 2019 में स्कीम में संषोधन किये गये हैं। जिसमें 2013 में एसिड अटैक से पीड़ित को प्रतिकर राषि में प्रदान किये जाने एवं 2014 में उसमें प्रदान की जाने वाली राषि में बढ़ोत्तरी की गई है। वहीं 2016 में रेप पीड़ितों को मिलने वाली अधिकतम राषि 50,000 हजार से बढ़ाकर 3.लाख व न्यूनतम राषि 25000/- को बढ़ाकर 1.00 लाख किया गया। वहीं एसिड अटैक से पीड़ित पक्षकार को प्रतिकर राषि को बढ़ाया गया है जो कि षारीरिक क्षति के प्रतिषत के मान से निर्धारित किया गया है। नालसा द्वारा पृथक से महिलाओं एवं अन्य के लिए पीड़ित क्षतिपूर्ति योजना 2018 लागू की गई है।
पीड़ित क्षतिपूर्ति निधिः- पीड़ित क्षतिपूर्ति का भुगतान राज्यों द्वारा किया जाता है अतः प्रत्येक राज्य इसके लिए एक ‘‘पीड़ित क्षतिपूर्ति निधि’’ के नाम से बैंक में खाता खोलकर रखते हैं।
आवेदनः- पीड़ित क्षतिपूर्ति योजना का लाभ लेने हेतु आवेदक एफआईआर की छायाप्रति सहित निर्धारित प्रपत्र में या साधारण आवेदन पत्र प्रस्तुत कर सकते हैं।
क्षतिपूर्ति की प्रक्रियाः-
आवेदक से या थाने से आवेदन पत्र प्राप्त कर उसका पंजीयन रजिस्टर में कर संबंधित क्षेत्र के पुलिस अधीक्षक (जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सामान्य सभा के पदेन सदस्य होते हैं) से अपराध की घटना के संबंध में सम्पूर्ण अभियोग पत्र व दस्तावेज मंगाये जाते हैं साथ ही पीड़ित को क्षतिपूर्ति प्रदान करने हेतु परामर्ष/अनुषंसा प्राप्त किया जाता है वहीं पीड़ित पक्षकार पीड़िता/आवेदक/संरक्षक माता/पिता का बयान दर्ज कराया जाता है पष्चात् अर्द्धन्यायिक निर्णय आदेष पारित किया जाता है। आदेष पारित करने से पूर्व पुलिस अधीक्षक कार्यालय को पत्र जारी करने के साथ ही संबधित जिला के जिलाधीष जो जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सामान्य सभा के पदेन सदस्य होते हैं के कार्यालय में भी पत्र प्रेशित कर संबंधित अपराध की घटना के संबंध में षासन की किसी योजना अंतर्गत कोई अनुग्रह राषि /प्रतिकर/मुआवजा/सहानुभूति राषि प्रदान की गई हो तो उक्त जानकारी का प्रतिवेदन आहूत किया जाकर जानकारी ली जाती है। यदि पीड़ित को उक्त अपराध की घटना अंतर्गत षासन की किसी योजना से यथा बीमा, अनुग्रह, प्रतिकर, मुआवजा मिलता हो तो उसे प्राधिकरण द्वारा समायोजित की जाती है।
पीड़ित क्षतिपूर्ति का आधारः- अपराध की घटना के कारण पीड़ित या उसके परिवार के आय में कमी हुई हो या आय प्रभावित हो या पीड़ित के पुनर्वास की आवष्यकता दर्षित हो । अपराध की घटना से हुई क्षति का आकलन तीन तरह से किया जाता है प्रथम मानसिक क्षति, षारीरिक क्षति एवं आर्थिक क्षति।
क्षतिपूर्ति आदेष देने या आवेदन खारिज करने का अधिकार सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कोः-
राज्य विधिक सेवा प्राधिकण द्वारा क्षतिपूर्ति आदेष देने या आवेदन खारिज करने का अधिकार सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को दिया गया है। प्रस्तुत पीड़ित क्षतिपूर्ति प्रकरण अनुसार आवेदन व घटना के सम्पूर्ण तथ्यों एवं पीड़ित पक्षकारों के बयान व चिकित्सा प्रपत्रों के भलीभांति अवलोकन उपरांत यदि सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण आष्वस्त हैं कि घटना में पीड़ित पक्षकारों को क्षतिपूर्ति राषि प्रदान किया जाना न्यायोचित प्रतीत है अन्यथा वे आवेदन अस्वीकृत कर प्रकरण नस्तीबद्ध कर सकते हैं। निर्णय आदेष में यह उल्लेखित करना होता है पक्षकार यदि निर्णय आदेष से असन्तुश्ट हैं तो वे 90 दिवस के भीतर प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीष के समक्ष विधिवत् अपील प्रस्तुत कर सकते हैं।
पीड़ित क्षतिपूर्ति राशि वितरणः- जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कबीरधाम (कवर्धा) द्वारा वित्तीय वर्ष 2024-2025 में कुल 283 आवेदनों को निराकृत करते हुए राशि रू. 2,25,82,000/- (दो करोड़ पच्चीस लाख ब्यासी हजार रू. मात्र) वितरित किये गये हैं। जिसमें अप्रेल, 2024 में 6 आवेदन प्राप्त होने पर 2 आवेदन निराकृत किये गये, मई-2024 मे 10 आवेदन निराकृत कर रू. 22,25,000/-, जून-2024 में 34 आवेदन निराकृत कर रू. 8,42,000/-, जुलाई-2024 24 अवेदन निराकृत कर 32,00,000/- अगस्त में 17 आवेदन निराकृत कर 21,20,000/- सितम्बर, 2024 में 44 आवेदन निराकृत कर कुल 25,20,000/-, अक्टूबर, 2024 में 26 आवेदन निराकृत कर रू. 29,45,000/-, नवम्बर-2024 में 28 आवेदन निराकृत कर 28,75,000/-, दिसम्बर-2024 में 26 आवेदन निराकृत कर कुल 13,75,000/-, जनवरी-2025 में 38 आवेदन निराकृत कर कुल 18,55,000/- फरवरी-2025 में कुल 7 आवेदन निराकृत, इसी तरह मार्च में कुल 27 आवेदन निराकृत कर 26,25,000/- निर्णय आदेश पारित किये गये।