Uncategorized

बतंगड़ः ‘आधे मोर्चे’ पर फतह पाना असली चुनौती

Batangad

-सौरभ तिवारी

पहलगाम हमले के बाद सोशलमीडिया में पाकिस्तान को धुआं-धुआं कर देने के लिए हुआं-हुआं की आवाज गूंजने लगी है। ट्वीटरवीर ‘दूध मांगोगे तो खीर देंगे, कश्मीर मांगोगे तो चीर देंगे’ जैसे जोशीले नारों के साथ पाकिस्तान को ललकार रहे हैं। व्हाट्सअप खोलते ही पाकिस्तान का नामोनिशान मिटा दिए जाने की हुंकार सुनाई देती है। फेसबुकिया वीर ताने मार रहे हैं कि राफेल क्या नींबू-मिर्च टांगने के लिए मंगाए गए हैं? इंस्टाग्रामीय ज्ञानचंदों की राय में पीओके को अपने कब्जे में लेने का माकूल वक्त आ चुका है।

इधर हिंदुओं के खिलाफ होने वाली हर घटना के बाद इंची टेप लेकर प्रधानमंत्री मोदी का सीना नापने वाले कट्टर टाइप हिंदूवादी नेता एक बार फिर उनका सीना नापने को बेताब हुए जा रहे हैं। दुश्मनों को कैसे नेस्तानाबूद किया जाता है इसके लिए मोदी को इजरायल से सबक सीखते हुए पाकिस्तान का गाजा के समान बाजा बजा देने की नसीहत दी जा रही है। भारत को इजरायल बनने के लिए उकसाने वाले ये तमाम सोशलमीडियाई शूरवीर ये भूल जाते हैं कि भारत के लिए इजरायल बनना आसान नहीं है। क्योंकि इजरायल में भारत के समान सर्जिकल स्ट्राइक का सबूत मांगने वाले धूर्त नेताओं की बिरादरी नहीं है। क्योंकि इजरायल में भारत के समान इजरायल तेरे टुकड़े होंगे इंशाअल्लाह की कामना करने वाले टुकड़े-टुकड़े गैंग के गुर्गे नहीं हैं। क्योंकि इजरायल में अपनी सेना को बलात्कारी कहने वाले विदेशी फंडिग पर पल रहे एनजीओ के एक्टिविस्ट नहीं हैं। क्योंकि इजरायल में सेना प्रमुख को सड़क छाप गुंडा कहने की हिमाकत करने वाले नेता नहीं है। क्योंकि इजरायल में जातीय जनगणना के नाम पर देश को बांट कर अपनी सियासी दुकान चलाने को चलाने का मंसूबा पालने वाले नेता नहीं है। क्योंकि इजरायल में हमास के हमले के पीछे येतनयाहू का ही हाथ होने की शातिर शंका जाहिर करने वाले खुरापातियों की जमात नहीं है। क्योंकि इजरायल में डीप स्टेट की ओर से प्रायोजित नैरेटिव को गढ़ने वाले कन्वर्टेड यू ट्यूबरों की भरमार नहीं है। क्योंकि इजरायल में देश से पहले मजहब को रखने वाले बाशिंदे नहीं हैं। और सबसे बड़ी बात ये कि इजरायल को भारत के समान ‘ढाई मोर्चे’ पर युद्ध नहीं लड़ना पड़ रहा है।

भारत के सामने सबसे बड़ी चुनौती इस ‘ढाई मोर्चा’ के आधे मोर्चे से पार पाना है। दिवंगत चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ जनरल बिपिन रावत ने अपनी ‘ढाई मोर्चे’ की थ्योरी के जरिए भारत के सम्मुख मौजूद सैन्य चुनौती को व्याख्यायित किया था। उन्होंने पाकिस्तान और चीन को दो मोर्चे के तौर पर जबकि विदेशी वित्तपोषित वैचारिक समूह को ‘आधा मोर्चा’ के रूप में परिभाषित करते हुए इसे एक बड़ी चुनौती बताया था। सीमा पार रची जा रही साजिशों की शिनाख्ती से ज्यादा बड़ी चुनौती देश में रिक्रूट आधा मोर्चे के इन रंगरूटों से निपटना है। इन रंगरूटों के विविध रूप हैं। ये जरूरत के मुताबिक अलग-अलग मोर्चे पर अपनी भूमिका का निर्वहन करते हैं। जिनमें सबसे प्रमुख मोर्चा ‘नैरेटिव’ का है। नैरेटिव गढ़ने में इनकी मास्टरी है। धरनास्थल से लेकर बौद्धिक प्रतिष्ठानों तक और सत्ता के गलियारों तक में इनकी प्रभावी घुसपैठ है। सरकार किसी की भी हो सिस्टम इन्हीं का रहता है। इसलिए बाकी के दो मोर्चे के खिलाफ युद्ध का ऐलान करने से पहले देश के अंदर मौजूद ‘आधे मोर्चे’ पर फतह पाना सरकार की असली चुनौती है।

यकीन मानिए कि आज जो सरकार को जंग का बिगुल बजाने के लिए उकसा रहे हैं, युद्ध छिड़ने पर यही लोग शांति की बांसूरी बजाते नजर आएंगे। आज युद्ध के पक्ष में दलील देने वाले यही लोग युद्ध छिड़ने पर शांति के फायदे गिनाते दिखाई देंगे। वैचारिक शीघ्रस्खलन का शिकार इन लोगों के मिजाज से सरकार बखूबी वाकिफ है। इसलिए वो उकसावे में आकर युद्ध छेड़ने की बजाए सिलसिलेवार तरीके से युद्ध के ऐलान की ओर बढ़ रही है। प्रधानमंत्री मोदी की ओर से आतंकियों को दी गई सख्त चेतावनी और उनके तेवर को देखते हुए ये तय है कि इस बार सरकार बालाकोट और उरी पर हुए हमले का ‘अल्ट्रा प्रो मैक्स वर्जन’ पेश करेगी। ये ‘अल्ट्रा प्रो मैक्स वर्जन’ सामरिक के अलावा आर्थिक और राजनयिक भी हो सकता है। मकसद पाकिस्तान को बर्बाद करना है। इसलिए जरिया चाहे युद्ध हो या फिर कूटनीतिक घेराबंदी, पाकिस्तान की बर्बादी तो तय है। इसी रणनीति के तहत सरकार ने सर्जिकल स्ट्राइक से पहले डिप्लोमेटिक स्ट्राइक की है।

कुल मिलाकर पाकिस्तान को इस दफा उसकी असली औकात दिखाई जाएगी। ये कैसे और कब होगा, इसका सबूत तो आने वाले चंद दिनों में मिल ही जाएगा। लेकिन सेना को एक सुझाव जरूर है कि इस बार वो सर्जिकल स्ट्राइक करने से पहले इश्तहार जारी करके सबूत मांगने वाले गैंग से उनके प्रतिनिधियों के नाम जरूर मांग ले। ताकि सर्जिकल स्ट्राइक का सबूत दिखाने के लिए एयरफोर्स के जवान उन्हें अपने साथ मिसाइल में बांधकर ले जा सकें।

~ सौरभ तिवारी
(लेखक IBC24 में डिप्टी एडिटर हैं)

#बतंगड़ #Batangad

Disclaimer: आलेख में व्यक्त विचारों से IBC24 अथवा SBMMPL का कोई संबंध नहीं है। हर तरह के वाद, विवाद के लिए लेखक व्यक्तिगत तौर से जिम्मेदार हैं।

Related Articles

Back to top button