छत्तीसगढ़

15 दिनों से बोर सूखा/टंकी में पानी नहीं/पलायन को मजबूर चनाडोंगरी के ग्रामीण /सरपंच ने बताया सुशासन तिहार के बाद भी नहीं आया पानी/ग्रामीणों ने खड़ी फसल को किया जानवरों के हवाले l

15 दिनों से बोर सूखा/टंकी में पानी नहीं/पलायन को मजबूर चनाडोंगरी के ग्रामीण /सरपंच ने बताया सुशासन तिहार के बाद भी नहीं आया पानी/
ग्रामीणों ने खड़ी फसल को किया जानवरों के हवाले l

बिलासपुर—तखतपुर विधानसभा/ग्राम पंचायत चनाडोंगरी / सुशासन तिहार बीत गया प्रशासन के सामने रिकार्ड तोड़ आवेदन का पहाड़ खड़ा हो गया। लेकिन तखतपुर ब्लाक के गांव चनाडोंगरी की पहाड़ बन चुकी पेयजल समस्या आज भी यथावत है। पिछले पन्द्रह दिनों से बन्द गांव का दो बोर अभी तक चालू नहीं हुआ है। गांव का पानी टंकी पिछले 15 दिनों से पानी की एक एक बूंद को तरस रहा है। गांव वाले तहां-तहां लिखा पढ़ी कर थक चुके हैं। लेकिन उनकी समस्या खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। 6 हजार की आबादी वाले गांव ने अब फैसला किया है कि उनके सामने अब कलेक्टर का दरवाजा खटखटाने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है। यदि कलेक्टर ने भी नहीं सुना तो उनकी मौत निश्चित है। बहरहाल पशुधन को बचाने के लिए धान की खड़ी फसल को जानवरों के हवाले कर दिया है।

तखतपुर ब्लाक का छोटा सा गांव चनाडोंगरी अपनी तमाम विशेषताओं के लिए जाना जाता है। लेकिन इन दिनों गांव के लोग पहाड़ जैसी समस्या से जूझ रहे हैं। और समस्या है कि खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही है। पिछले सप्ताह प्रशासन ने सुशासन तिहार पर्व मनाया। ग्रामीणों को उम्मीद थी कि उनकी पेयजल समस्या खत्म हो जाएगी।

लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं। पंच सरपंच से लेकर सभी ग्रामीणों ने अधिकारियों से पेयजल समस्या का दुखड़ा रोया l एक सप्ताह बीत जाने के बाद भी दुख तो कम नहीं हुआ लेकिन दुखों का पहाड़ बड़ा जरूर हो गया है। दुखी किसानों ने खड़ी धान की फसल को जानवारों के हवाले कर दिया है।

गांव की आबादी और पेयजल समस्या

चनाडोंगरी गांव की कुल आबादी 6 हजार से अधिक है। गांव के कुछ रसूखदारों के घर में कुंआ है कुछ ने बोर करवाया है। ज्यादातर आबादी सार्वजनिक पेयजल पर आश्रित है। गांव मे एक पानी टंकी है पानी टंकी से हजारो लीटर पानी की आपूर्ति दो बोर से किया जाता है। लेकिन दोनो बोर पिछले 15 दिनो बन्द है। लोगों ने बताया कि पानी का जलस्तर बहुत नीचे चला गया है। जिसके चलते पानी टंकी में जल का भराव नहीं हो रहा है। मतलब पिछले पन्द्रह दिनों से गांव की जनता पानी के लिए त्राहि त्राहि कर रही है। आवेदन प्रतिवेदन के बाद भी शासन प्रशासन कान में रूई और आंख पर पट्टी बांधकर बैठा है।

जलाशय और नदी से पानी गायब

ग्रामीण समेत गांव के सरपंच और पंचो ने बताया कि पिछले पन्द्रह दिनों से उनका जीना मुश्किल हो गया है। हमने कई बार शासन प्रशासन को पानी की किल्लत दूर करने फरियाद किया। सुशासन तिहार में भी अपनी समस्या को रखा l लेकिन किसी ने हमारी समस्या को गंभीरता से नहीं लिया है। जिसके चलते आज हमें पानी की प्यास बुझान के लिए दर दर भटकना पड़ रहा है। गांव से लगे घोघा जलाशय भी सूख गया है। निस्तारी के लिए हमने कोरी डैम से पानी छोड़ने का निवेदन भी किया l लेकिन हमारा सुनता भी कौन है।

खड़ी फसन जानवरों के हवाले

किसान और ग्रामीणों ने बताया कि जलाशय और नदी में पानी नहीं है। सभी ग्रामीण अल सुबह दूसरों के घर से अथवा आस पास के गांव से पानी लाते हैं। जानवरों के लिए पानी नहीं है। हमने निवेदन किया है कि निस्तारी के लिए कोरी जलाशय से घोंघा जलाशय में पानी डाला जाए। आज तक पानी की व्यवस्था नहीं हुई है। जानवर भूख से बेहाल है। इसलिए खड़ी धान की फसल को जानवरों के हवाले कर दिया है।

पहले नहीं थी ऐसी समस्या

ग्राम पंचायत के 17 पंच और सरपंच ने बताया इसके पहली गांव में पानी को लेकर इतनी बड़ी समस्या का सामना कभी नहीं करना पड़ा। गांव में दो बोर से पानी टंकी भरा जाता है। इसके बाद पानी घर घर पहुंचता है। इस बार बोर सूख गए हैं। जब टंकी में पानी नहीं है तो पेयजल समस्या होगी ही। कुछ साल पहले गांव में गर्मी में धान की पसल नहीं ली जाती थी। लगातार गर्मी में धान की फसल लेने से पानी की समस्या बढ गयी है। पंच सरपंच ने बताया कि सोमवार को कलेक्टर के सामने अपनी समस्या रखेंगे। यदि पानी की समस्या दूर नहीं होती है तो हमें पलायन के लिए मजबूर होना पडेगा। करेंगे।

नहीं सुन रहे अधिकारी

गांव के सरपंच ने बताया कि हमने पानी की समस्या को लेकर पीएचई और सीईओ से लिखित निवेदन किया। लेकिन किसी ने हमारी समस्या को गंभीरता से नहीं लिया है। अधिकारी या तो आवेदन को रखकर भूल जाते हैं। अथवा फटकार कर भगा देते हैं। अब कलेक्टर से ही उम्मीद है कि हमारी पेयजल और निस्तारी की समस्या को दूर करें।

5 दिनों से बोर सूखा/टंकी में पानी नहीं/पलायन को मजबूर चनाडोंगरी के ग्रामीण /सरपंच ने बताया सुशासन तिहार के बाद भी नहीं आया पानी/
ग्रामीणों ने खड़ी फसल को किया जानवरों के हवाले l

बिलासपुर—तखतपुर विधानसभा/ग्राम पंचायत चनाडोंगरी / सुशासन तिहार बीत गया प्रशासन के सामने रिकार्ड तोड़ आवेदन का पहाड़ खड़ा हो गया। लेकिन तखतपुर ब्लाक के गांव चनाडोंगरी की पहाड़ बन चुकी पेयजल समस्या आज भी यथावत है। पिछले पन्द्रह दिनों से बन्द गांव का दो बोर अभी तक चालू नहीं हुआ है। गांव का पानी टंकी पिछले 15 दिनों से पानी की एक एक बूंद को तरस रहा है। गांव वाले तहां-तहां लिखा पढ़ी कर थक चुके हैं। लेकिन उनकी समस्या खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। 6 हजार की आबादी वाले गांव ने अब फैसला किया है कि उनके सामने अब कलेक्टर का दरवाजा खटखटाने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है। यदि कलेक्टर ने भी नहीं सुना तो उनकी मौत निश्चित है। बहरहाल पशुधन को बचाने के लिए धान की खड़ी फसल को जानवरों के हवाले कर दिया है।

तखतपुर ब्लाक का छोटा सा गांव चनाडोंगरी अपनी तमाम विशेषताओं के लिए जाना जाता है। लेकिन इन दिनों गांव के लोग पहाड़ जैसी समस्या से जूझ रहे हैं। और समस्या है कि खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही है। पिछले सप्ताह प्रशासन ने सुशासन तिहार पर्व मनाया। ग्रामीणों को उम्मीद थी कि उनकी पेयजल समस्या खत्म हो जाएगी।

लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं। पंच सरपंच से लेकर सभी ग्रामीणों ने अधिकारियों से पेयजल समस्या का दुखड़ा रोया l एक सप्ताह बीत जाने के बाद भी दुख तो कम नहीं हुआ लेकिन दुखों का पहाड़ बड़ा जरूर हो गया है। दुखी किसानों ने खड़ी धान की फसल को जानवारों के हवाले कर दिया है।

गांव की आबादी और पेयजल समस्या

चनाडोंगरी गांव की कुल आबादी 6 हजार से अधिक है। गांव के कुछ रसूखदारों के घर में कुंआ है कुछ ने बोर करवाया है। ज्यादातर आबादी सार्वजनिक पेयजल पर आश्रित है। गांव मे एक पानी टंकी है पानी टंकी से हजारो लीटर पानी की आपूर्ति दो बोर से किया जाता है। लेकिन दोनो बोर पिछले 15 दिनो बन्द है। लोगों ने बताया कि पानी का जलस्तर बहुत नीचे चला गया है। जिसके चलते पानी टंकी में जल का भराव नहीं हो रहा है। मतलब पिछले पन्द्रह दिनों से गांव की जनता पानी के लिए त्राहि त्राहि कर रही है। आवेदन प्रतिवेदन के बाद भी शासन प्रशासन कान में रूई और आंख पर पट्टी बांधकर बैठा है।

जलाशय और नदी से पानी गायब

ग्रामीण समेत गांव के सरपंच और पंचो ने बताया कि पिछले पन्द्रह दिनों से उनका जीना मुश्किल हो गया है। हमने कई बार शासन प्रशासन को पानी की किल्लत दूर करने फरियाद किया। सुशासन तिहार में भी अपनी समस्या को रखा l लेकिन किसी ने हमारी समस्या को गंभीरता से नहीं लिया है। जिसके चलते आज हमें पानी की प्यास बुझान के लिए दर दर भटकना पड़ रहा है। गांव से लगे घोघा जलाशय भी सूख गया है। निस्तारी के लिए हमने कोरी डैम से पानी छोड़ने का निवेदन भी किया l लेकिन हमारा सुनता भी कौन है।

खड़ी फसन जानवरों के हवाले

किसान और ग्रामीणों ने बताया कि जलाशय और नदी में पानी नहीं है। सभी ग्रामीण अल सुबह दूसरों के घर से अथवा आस पास के गांव से पानी लाते हैं। जानवरों के लिए पानी नहीं है। हमने निवेदन किया है कि निस्तारी के लिए कोरी जलाशय से घोंघा जलाशय में पानी डाला जाए। आज तक पानी की व्यवस्था नहीं हुई है। जानवर भूख से बेहाल है। इसलिए खड़ी धान की फसल को जानवरों के हवाले कर दिया है।

पहले नहीं थी ऐसी समस्या

ग्राम पंचायत के 17 पंच और सरपंच ने बताया इसके पहली गांव में पानी को लेकर इतनी बड़ी समस्या का सामना कभी नहीं करना पड़ा। गांव में दो बोर से पानी टंकी भरा जाता है। इसके बाद पानी घर घर पहुंचता है। इस बार बोर सूख गए हैं। जब टंकी में पानी नहीं है तो पेयजल समस्या होगी ही। कुछ साल पहले गांव में गर्मी में धान की पसल नहीं ली जाती थी। लगातार गर्मी में धान की फसल लेने से पानी की समस्या बढ गयी है। पंच सरपंच ने बताया कि सोमवार को कलेक्टर के सामने अपनी समस्या रखेंगे। यदि पानी की समस्या दूर नहीं होती है तो हमें पलायन के लिए मजबूर होना पडेगा। करेंगे।

नहीं सुन रहे अधिकारी

गांव के सरपंच ने बताया कि हमने पानी की समस्या को लेकर पीएचई और सीईओ से लिखित निवेदन किया। लेकिन किसी ने हमारी समस्या को गंभीरता से नहीं लिया है। अधिकारी या तो आवेदन को रखकर भूल जाते हैं। अथवा फटकार कर भगा देते हैं। अब कलेक्टर से ही उम्मीद है कि हमारी पेयजल और निस्तारी की समस्या को दूर करें।

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