अल्जाइमर की दवा बनाने पर भिलाई की मुक्ता ने की देशभर में हो रही सराहना

हल्दी और काली मिर्च में दिखी इनको संभावनाए
भिलाई। देशी नुस्खों से बीमारियों का इलाज करने के बारे में तो आपने सुना ही होगा, लेकिन रसोई में रखी हल्दी और काली मिर्च का उपयोग कर विज्ञान भी अब अल्जाइमर का इलाज खोजने में जुट गया है। हल्दी से प्रचूर मात्रा में मिलने वाले करक्यूमिन और कालीमिर्च से मिले पाइपरीन का यूज कर संतोष रूंगटा कॉलेज ऑफ फार्मास्यूटिकल साइंस एंड रिचर्स की शोधार्थी मुक्ता अग्रवाल खास तरह के अल्जाइमर हर्बल ड्रग पर काम कर रही हैं, जिसको सोसाइटी फॉर फार्मास्यूटिकल डिजॉलेशन साइंस (एसपीडीएस) ने सराहा है। सोसाइटी ने हाल ही में आइडिया शेयरिंग समिट बुलाई, जिसमें मुक्ता की ओर से अल्जाइमर के लिए बनाए जा रहे नैनो लिपिड कैरीयर को देश-दुनिया के 115 पार्टिसिपेंट के बीच प्रथम पुरस्कार मिला है। नेशनल लेवल के इस प्रोग्राम में प्रतिभागियों को चार जोन में बांटा गया था। हर जोन को अपना बेहतर आइडिया देना था, जिसमें मुक्ता ने ओवरऑल पहला मुकाम हासिल कर लिया। मुक्ता अपना शोध डॉ. अमित अलेक्जेंडर और डॉ. एजाजुद्दीन के सुपरवीजन में कर रही हैं।
खून में नहीं, सीधे मस्तिष्क में पहुंचेगी दवा
मुक्ता ने बताया कि करक्यूमिन और पाइपरीन का उपयोग कर ऐसा नैनो लिपिट कैरीयर बना रहे हैं, जिससे अल्जामइर की दवाई का डोज ब्लड से मस्तिष्क तक पहुंचाने के बजाए सीधे मस्तिष्क तक पहुंचा दिया जाए। यानी जो दवा खिलाई जाएगी, वह खून में घुलकर मस्तिष्क तक नहीं पहुंचेगी। बल्कि नाक के जरिए डोज मस्तिष्क सेल्स तक पहुंचा दिया जाएगा। फिलहाल, अल्जाइमर का इलाज उपलब्ध नहीं है, अभी सिर्फ इसकी रफ्तार को कम किया जा सकता है। यह ड्रग पूरी तरह से हर्बल होगा, इसलिए साइड इफेक्ट का भी खतरा नहीं रहेगा। नेजल रूम से दी जा रही डोज की मात्रा कम होगी, जिससे इलाज का खर्च भी कम आएगा।
हर्बल ड्रग से बदलेगी तस्वीर
मुक्ता ने बताया कि छत्तीसगढ़ दशकों ने अपनी खास तरह की जड़ी-बूटियों के लिए प्रसिद्ध है। इनसे कई बीमारियों का इलाज भी संभव हो पाता है। प्रदेश हर्बल ड्रग्स के नजरिए से काफी धनी है। इसलिए अब विज्ञान भी इस दिशा में अपना रुझान दिखाकर वैज्ञानिक ढंग से इनका उपयोग करने की तरफ बढ़ रहा है। मुक्ता की इस कामयाबी पर संस्थान के चेयरमैन संतोष रूंगटा और डायरेक्टर सोनल रूंगटा ने हर्ष व्यक्त किया।
जानिए क्या होता है अल्जाइमर?
अल्जाइमर एक ऐसी बीमारी है जो मेमोरी को नष्ट कर देती है। शुरुआती तौर पर अल्जाइमर से ग्रसित व्यक्ति को बातें याद रखने में कठिनाई हो सकती है और फिर धीरे-धीरे व्यक्ति अपने जीवन में महत्वपूर्ण लोगों को भी भूल जाता है। अल्जाइमर रोग में, मस्तिष्क की कोशिकाएं कमजोर होकर नष्ट हो जाती हैं, जिससे स्मृति और मानसिक कार्यों में लगातार गिरावट आती है। वर्तमान समय में अल्जाइमर रोग के लक्षणों को दवाओं और मैनेजमेंट स्ट्रेटेजी के द्वारा अस्थायी रूप से सुधारा जा सकता है। इससे अल्जाइमर रोग से ग्रस्त इंसान को कभी-कभी थोड़ी मदद मिलती है लेकिन, क्योंकि अल्जाइमर रोग का कोई इलाज नहीं है। इसलिए दुनियाभर में इसकी पुखता दवाई इजाद करने के लिए शोध जारी है।