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#SarkarOnIBC24 : ‘आपको उत्प्रेरक बनना चाहिए, अवरोधक नहीं’.. सुप्रीम कोर्ट ने यहां के राज्यपाल को लगाई फटकार, जानें क्या है पूरा मामला

चेन्नईः Supreme Court reprimanded the Governor भाषा विवाद और रुपए के सिंबल बदलने को लेकर तमिलनाडु काफी चर्चा में रहा। इन मुद्दों को लेकर स्टालिन सरकार की काफी किरकिरी भी हुई। तमाम विवादों के बीच तमिलनाडु सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के राज्यपाल को फटकार लगाई और दस विधेयकों पर सहमति रोकने के फैसले को अवैध बताया, जिसके बाद मुख्यमंत्री स्टालिन ने इसे अपने जीत बताया।

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Supreme Court reprimanded the Governor तमिलनाडु में सत्तारूढ़ DMK सरकार और राज्यपाल के बीच गतिरोध नई बात नहीं है। 2021 में सत्ता संभालने के बाद से ही दोनों के बीच रिश्ते खऱाब रहे हैं। इस बीच स्टालिन सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली। कोर्ट ने सरकार के 10 जरूरी बिलों को राज्यपाल की ओर से रोके जाने को अवैध और मनमाना कदम बताया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्यपाल को एक दोस्त, दार्शनिक और राह दिखाने वाले की तरह होना चाहिए। आप संविधान की शपथ लेते हैं। आपको किसी राजनीतिक दल की तरफ से संचालित नहीं होना चाहिए। आपको उत्प्रेरक बनना चाहिए, अवरोधक नहीं। राज्यपाल को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि कोई बाधा पैदा न हो। सुप्रीम कोर्ट ने ये भी साफ किया कि राज्यपाल की शक्तियों को कमजोर नहीं कर रहा, लेकिन राज्यपाल की सारी कार्रवाई संसदीय लोकतंत्र के सिद्धांतों के अनुसार होनी चाहिए।

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दरअसल संविधान का आर्टिकल 200 कहता है कि जब विधानसभा कोई विधेयक राज्यपाल को भेजा जाता है, तो राज्यपाल के पास 4 विकल्प होते हैं।पहला वो उसे मंजूरी दे सकते हैं। दूसरा मंजूरी रोक सकते हैं। तीसरा विधेयक को राष्ट्रपति के पास भेज सकते हैं और चौथा पुनर्विचार के लिए विधानसभा को भेज सकते हैं। लेकिन अगर विधानसभा बिल को दोबारा पास कर देती है, तो फिर राज्यपाल मंजूरी नहीं रोक सकते। हालांकि, अगर राज्यपाल को लगता है कि बिल संविधान, राज्य नीति के निदेशक सिद्धांतों या राष्ट्रीय महत्व से जुड़ा है, तो वह उसे राष्ट्रपति के पास भेज सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को स्टालिन सरकार ने इस फैसले को सिर्फ तमिलनाडु की ही नहीं, बल्कि भारत की सभी राज्य सरकारों की जीत बताया।

 

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