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Holika Dahan 2025 Shubh Muhurat: कितने बजे जलाई जाएगी होलिका? यहां देखें शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

Holika Dahan 2025 Shubh Muhurat | Photo Credit: Pexels

Holika Dahan 2025 Shubh Muhurat: रंगों का त्योहार होली का हर किसी को बेसर्बी से इंतजार होता है। बता दें कि, हिंदू धर्म में हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन होली का त्योहार मनाया जाता है। होली के त्योहार को बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के तौर पर मनाया जाता है। वहीं, होली के एक दिन पहले होलिका दहन मनाया जाता है। मान्यता है कि होलिका दहन के दिन कुछ खास उपाय करने से जीवन में आ रही परेशानियां दूर होती है। इसके अलावा यदि किसी के विवाह में भी कोई बाधा आ रही है तो वो परेशानियों से भी मुक्ति मिलती है।

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आज होलिका दहन

Holika Dahan 2025 Shubh Muhurat : पंचांग के मुताबिक, इस साल फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 13 मार्च 2025 को सुबह 10 बजकर 35 मिनट पर होगी और अगले दिन 14 मार्च 2025 को दोपहर 12 बजकर 35 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में उदयातिथि के अनुसार, 14 मार्च को होली मनाई जाएगी और 13 मार्च की रात्रि को होलिका दहन किया जाएगा। इस साल होलिका दहन के दिन भद्रा का भी साया रहेगा।

होलिका दहन का शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, 13 मार्च को देर रात 11:27 से लेकर 14 मार्च को 12:30 तक लगभग 01 घंटा 40 मिनट तक होलिका दहन का शुभ मुहूर्त है।

क्यों मनाया जाता है होलिका दहन का पर्व?

होलिका दहन का पर्व बुराई पर अच्छाई के जीत के तौर पर मनाया जाता है और हर वर्ष यह पर्व फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। कहा जाता है कि विधि पूर्वक और नियमों के साथ होलिका दहन किया जाए तो सभी चिंता व परेशानियां भी उसी अग्नि में स्वाहा हो जाती हैं और परिवार में सुख-शांति का वास होता है। इस पर्व का सभी बेसब्री से इंतजार करते हैं और दूर दूर से अपने घरों में जाते हैं। इस शुभ दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के साथ चंद्र देव की भी पूजा की जाती है। मान्यता है कि ऐसा करने से मानसिक शांति मिलती है और धन धान्य की कभी कमी नही होती।

होलिका दहन की विधि

होलिका दहन की पूजा करने के लिए होलिका के चारों और कच्चे सूत को परिक्रमा करते हुए लपेटा जाता है। इसके बाद होलिका पर रोली, चावल और तिलक के साथ ही घी और मिष्ठान चढ़ाए जाते हैं। अब लोटे में शुद्ध जल भरकर होलिका की परिक्रमा की जाती है। इसके बाद होलिका को जलाया जाता है और आहुति में नारियल, भुट्टे और फसल चढ़ाई जाती है। होलिका की अग्नि में गुलाल, पुष्प, गेंहू की बालियां और बताशे भी डाले जाते हैं।

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