Bilaspur Latest News Hindi: जहाँ स्वीकृति नहीं वहां बना दिया उप स्वास्थ्य केंद्र भवन.. 17 सालो से बंद पड़ा है हेल्थ सेंटर का दरवाजा

Case of administrative negligence exposed in Bilaspur: बिलासपुर: छत्तीसगढ़ में प्रशासनिक लापरवाही के कई मामले सामने आते रहे हैं, लेकिन बिलासपुर में एक ऐसा अनोखा मामला सामने आया है, जो सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में बरती जाने वाली अनदेखी को उजागर करता है।
गलत स्थान पर बना दिया गया उप स्वास्थ्य केंद्र
वर्ष 2007-08 में तखतपुर विकासखंड के सावाडबरा के आश्रित ग्राम पोड़ी में एक उप स्वास्थ्य केंद्र के निर्माण की स्वीकृति मिली थी। लेकिन निर्माण कार्य शुरू होने के बाद ठेकेदार और प्रशासन की लापरवाही के कारण यह भवन तखतपुर ब्लॉक के ही देवरी पोड़ी गांव में बना दिया गया, जहां इसकी कोई स्वीकृति नहीं थी।
निर्माण कार्य पूरा होने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने इस पर आपत्ति भी जताई थी, क्योंकि देवरी पोड़ी गांव के लिए उप स्वास्थ्य केंद्र की कोई स्वीकृति नहीं थी। नतीजा यह हुआ कि भवन तो बन गया, लेकिन स्वास्थ्य सेवाओं की शुरुआत नहीं हो सकी।
17 वर्षों से बेकार पड़ा सरकारी भवन
Case of administrative negligence exposed in Bilaspur : भवन के निर्माण के 17 साल बाद भी यह उपयोग में नहीं आ सका। अब यह जर्जर अवस्था में पहुंच चुका है, खिड़कियां और दरवाजे टूट चुके हैं। स्थानीय लोग इस भवन का उपयोग मवेशी बांधने और असामाजिक गतिविधियों के लिए कर रहे हैं।
पूर्व सरपंच के अनुसार, जब गांव में अस्पताल भवन का निर्माण शुरू हुआ, तो लोगों को लगा कि यह उनके ही गांव के लिए बन रहा है। ग्राम पंचायत ने इसके लिए जमीन भी उपलब्ध कराई थी, लेकिन बाद में पता चला कि यह भवन गलत स्थान पर बनाया गया है।
स्थानीय स्तर पर समाधान की मांग
स्थानीय जनप्रतिनिधि अब भी इस भवन को स्वास्थ्य केंद्र के रूप में उपयोग में लाने की मांग कर रहे हैं। लेकिन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि स्वास्थ्य केंद्रों का सेटअप क्षेत्र की जनसंख्या के आधार पर तैयार किया जाता है, और इस पर अंतिम निर्णय शासन स्तर पर ही लिया जा सकता है। अब अधिकारी इस भवन को एक्सपायर घोषित कर रहे हैं, जिससे इसके उपयोग को लेकर और अनिश्चितता बढ़ गई है।
प्रशासनिक लापरवाही का उदाहरण
Case of administrative negligence exposed in Bilaspur : यह मामला सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में अनदेखी और लापरवाही का स्पष्ट उदाहरण है। यह दर्शाता है कि कैसे ठेकेदारों, अधिकारियों और कर्मचारियों की मनमानी से सरकारी धन का दुरुपयोग होता है, और आम जनता को मूलभूत सुविधाओं से वंचित रहना पड़ता है।