छत्तीसगढ़

जनसूचना अधिकारी प्राप्त आवेदनों को स्वयं पढ़े और सकारात्मक सोच से कार्य करें- राज्य सूचना आयुक्त श्री पवार सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत आवेदक को समय-सीमा के भीतर जानकारी दें

जनसूचना अधिकारी प्राप्त आवेदनों को स्वयं पढ़े और सकारात्मक सोच से कार्य करें- राज्य सूचना आयुक्त श्री पवार
सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत आवेदक को समय-सीमा के भीतर जानकारी दें

रायपुर, सबका संदेस न्यूज़ छत्तीसगढ़- ठाकुर प्यारेलाल पंचायत एवं ग्रामीण विकास संस्थान, निमोरा में आज दूसरे बैच में नवनिर्वाचित पंचायत प्रतिनिधियों को प्रशिक्षण देने मास्टर ट्रेनर्स के 5 दिवसीय प्रशिक्षण के समापन अवसर पर राज्य सूचना आयुक्त श्री मोहन राव पवार ने कहा कि सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत जनसूचना अधिकारी प्राप्त आवेदनों को स्वयं पढ़े और सकारात्मक सोच से कार्य करें, इससे गलती की संभावना कम होगी। आवेदक से निर्धारित शुल्क जमा कराने के पश्चात समय सीमा में जानकारी देना सुनिश्चित करें ।

ठाकुर प्यारेलाल पंचायत एवं ग्रामीण विकास संस्थान, निमोरा में कोरिया, सूरजपुर, बलरामपुर, सरगुजा और कोरबा जिले के पंचायतों के 37 मास्टर ट्रेनर्स भाग ले रहे हैं । राज्य सूचना आयुक्त श्री पवार ने इन मास्टर ट्रेनर्स से कहा कि सूचना का अधिकार अधिनियम आम जनता की भलाई के लिए बनाया गया है। नागरिकों के द्वारा शासकीय योजनाओं, कार्यक्रमों और कार्यों की जानकारी मांगने पर निर्धारित समय सीमा में आवेदक को जानकारी उपलब्ध कराने का दायित्व हमारा है। शासकीय कार्यों, दस्तावेजों और कार्यक्रमों को विभागीय वेबसाईट में प्रदर्शित करें, ताकि आम नागरिक को सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत आवेदन लगाने की जरूरत ही ना पड़े।
राज्य सूचना आयुक्त श्री पवार ने कहा कि सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत आवेदक को समय-सीमा के भीतर जानकारी दें अन्यथा निर्धारित समय-सीमा 30 दिन के बाद आवेदक को नि:शुल्क जानकारी देनी होगी। श्री पवार ने कहा कि जनसूचना अधिकारी इसकी महत्वपूर्ण कडी है, किन्तु जनसूचना अधिकारी द्वारा जानबूझकर आवेदक को जानकारी नहीं देने पर अथवा गलती करने पर जनसूचना अधिकारी को दंडित करना जरूरी हो जाता है। ऐसी स्थिति से जनसूचना अधिकारी को बचना चाहिए।
राज्य के सूचना आयुक्त श्री पवार ने कहा कि सूचना मांगना हर नागरिक का मौलिक अधिकार और आवेदक को जानकारी देना जनसूचना अधिकारी का दायित्व है। उन्होंने कहा कि सूचना का अधिकार का मूल उद्देश्य प्रशासन को पारदर्शी और जवाबदेही है। उन्होंने कहा कि हर नागरिक को सरकारी गतिविधियों को जानने का मौलिक अधिकार है। विभिन्न विषयों की जानकारी मांगने पर केवल एक ही बिन्दु की जानकारी दी जाएगी अथवा विशिष्टता का उल्लेख करने कहें, जिससे जानकारी समय सीमा में दी सके।आज
राज्य सूचना आयुक्त श्री पवार ने कहा कि पहली कड़ी जनसूचना अधिकारी हैं, ये अधिकारी सूचना का अधिकार अधिनियम के मेरूदण्ड हैं।
जनसूचना अधिकारी इसका विशेष ध्यान रखें कि शुल्क के रुप में संलग्न स्टाम्प छत्तीसगढ़ राज्य का है तभी स्वीकार करें अन्य राज्य के होने पर स्वीकार नहीं करते हुए आवेदक को सूचित करें । नान ज्युडिशियल स्टाम्प किस प्रयोजन के लिए खरीदा गया इसको ध्यान से देखकर स्टाम्प सूचना का अधिकार से संबंधित आवेदन के लिए नहीं है, तो अमान्य करते हुए वापस कर दें।
राज्य सूचना आयोग के संयुक्त संचालक श्री धनंजय राठौर ने जनसूचना अधिकारियों से कहा कि जब आवेदक सूचना का अधिकार के तहत आवेदन प्रस्तुत करता है, तो आवेदन पत्र को ध्यान से पढ़े, आवेदन सुस्पष्ट और सुवाच्य हो ।आवेदन पत्र में एक से अधिक विषय की जानकारी चाही गई है, तो केवल एक विषय की जानकारी आवेदक को दी जा सकती है। इसी तरह सशुल्क जानकारी देने की स्थिति पर शुल्क की गणना भी आवेदक को दी जाए और आवेदक द्वारा शुल्क जमा करने के पश्चात् ही वांछित जानकारी की फोटोकॉपी उपलब्ध कराई जाए।
सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत शुल्क के रूप में नगद राशि बैंक चालान, भारतीय पोस्टर आर्डर, बैकर्स चेक, बैंक ड्राफ्ट और छत्तीसगढ़ राज्य का नान ज्युडिशियल स्टाम्प पेपर जमा किया जा सकता है । उन्होंने स्पष्ट किया कि सूचना का अधिकार के तहत कार्यालय में उपलब्ध दस्तावेजों की छायाप्रति निर्भीक होकर आवेदक को जानकारी उपलब्ध कराएं।
श्री राठौर ने कहा कि आवेदक को जानकारी देते समय जनसूचना अधिकारी का नाम, पदनाम का भी स्पष्ट उल्लेख किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि आवेदक द्वारा चाही गई जानकारी आपके कार्यालय से संबंधित नहीं है, तो संबंधित कार्यालय को 5 दिवस के भीतर आवेदन पत्र को अंतरित किया जाए। उन्होंने कहा कि शासन और प्रशासन को पारदर्शी बनाने के लिए ही सूचना का अधिकार अधिनियम बनाया गया है। आयोग के पत्रों का जवाब अवश्य दें और आयोग के निर्णय का पालन करें । जन सूचना अधिकारी अधिनियम के नियमों और उनकी बारीकियों को समझ सकें, इसलिए इस तरह का आयोजन किया जाता है।
राज्य सूचना आयुक्त श्री मोहन पवार और सूचना आयोग में संयुक्त संचालक श्री धनंजय राठौर ने सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के विभिन्न प्रावधानों की जानकारी दी।
ठाकुर प्यारेलाल पंचायत एवं ग्रामीण विकास संस्थान, निमोरा में नवनिर्वाचित पंचायत प्रतिनिधियों को प्रशिक्षण देने मास्टर ट्रेनर्स के साथ ही पंचायत एवं ग्रामीण विकास संस्थान द्वारा अधिकारियों और विषय विशेषज्ञों ने मास्टर ट्रेनर्स को प्रशिक्षण दिया।

 

 

 

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