सफेद-लाल से बेहतर है काला आलू, यूपी में पहली बार की गई खेती, जानें इसकी खासियत
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दरअसल, यूपी के बहराइच जिले के मोहल्ला शेख दाहिर के रहने वाले किसान जियाउल हक पिछले कई सालों से सफेद आलू की खेती कर रहे हैं. लेकिन इसमें उनको कुछ खास मुनाफा नहीं हो रहा था. फिर उन्होंने सफेद आलू के साथ काले आलू की खेती भी शुरू कर दी है, जिसमें उन्हें अच्छा मुनाफा हो रहा है.किसान जिआउल हक ने Local18 को बताया कि काला आलू खाने में सफेद आलू की तरह ही स्वादिष्ट है. इसकी डिमांड भी मार्केट में अब खूब हो रही है. उन्होंने कहा कि काले आलू की ऊपरी सतह काली और आंतरिक भाग गहरे बैंगनी रंग का होता है. इसमें एंथोसायनिन की मात्रा ज्यादा होती है, जो इसे गहरा बैंगनी रंग देता है.इसके अलावा काले आलू में सामान्य सफेद आलू की तुलना में दो से तीन गुना अधिक एंटी-ऑक्सीडेंट होते हैं. इसलिए ये खाने में भी स्वादिष्ट लगताआलू की खेती के लिए सही बीज का चयन करना बहुत जरूरी है. कई प्रजातियों के साथ मुख्य रूप से कुफरी नीलकंठ (काला आलू) की खेती कर रहे हैं.आगे बताते हुए कहा कि इस आलू का बीज उन्होंने कृषि विज्ञान केंद्र बहराइच से प्राप्त किया है. इस आलू की बुआई 15 अक्टूबर से 15 नवंबर के बीच करने का सही समय है.खेत तैयार करने के लिए गोबर की खाद डालना बेस्ट है. खेत के एरिया के हिसाब से चूने का पाउडर और नीम का पाउडर डालकर मिट्टी को उपचारित करना भी जरूरी होता है.बुआई 8-8 इंच दूरी और 2-2 इंच गहराई में करनी चाहिए. हर दस दिन में फसल की सिंचाई करें. इसके लिए ड्रिप सिंचाई या पारंपरिक सिंचाई की विधियों का इस्तेमाल कर सकते हैं. 75 से 90 दिनों में फसल पककर तैयार हो जाएगी.