
बिलासपुर- सरवन देवरी में कश्यप परिवार में भागवत कथा का आयोजन एक पवित्र और धार्मिक कार्यक्रम है। कथा वाचक पंडित प्रदीप कुमार मिश्रा की विद्वता और भक्तिभाव से यह आयोजन और भी गरिमामय हो गया है।
कथा का पांचवां दिन एक महत्वपूर्ण पड़ाव रूखमणी विवाह है, जिसमें भगवान कृष्ण और रूखमणी के प्रेम और विवाह की कथा सुनाई जाती है। यह कथा प्रेम, समर्पण और आध्यात्मिक ज्ञान की एक सुंदर कहानी है।
भागवत कथा में रुक्मणि विवाह की कथा सुनाने के दौरान श्रोता भाव विभोर हो गए। कथा व्यास आचार्य प्रदीप महाराज जी ने कहा कि जहां समर्पण की भावना श्रेष्ठ होती है, वहां प्रभु का वास होता है और रुक्मिणी कृष्ण को समर्पित मन से अपना पति मान चुकी थी ¹।
इस कथा में बताया गया है कि रुक्मिणी का बड़ा भाई रुक्मी श्रीकृष्ण से शत्रुता रखता था और अपनी बहन का विवाह राजा दमघोष के पुत्र शिशुपाल से कराना चाहता था। लेकिन रुक्मिणी ने मन ही मन श्रीकृष्ण से विवाह करने का फैसला कर लिया था ¹।
कथा के अनुसार, श्रीकृष्ण ने रुक्मिणी का हरण कर लिया और उसके बाद श्रीकृष्ण और शिशुपाल के बीच भयंकर युद्ध हुआ। इस युद्ध में श्रीकृष्ण विजयी हुए और इसके बाद श्रीकृष्ण ने रुक्मिणी को द्वारका ले जाकर उनका विधिपूर्वक विवाह किया
कथा श्रावण कुमार के गांव में सोमनाथ कश्यप के घर मे हो रहे संगीत मय भागवत कथा सुनने के लिए पूरे परिवार के साथ कथा सुन रहे है और पूरा गांव भक्ति में झूम रहे है ।