CG Ki Baat: 2028 की लड़ाई.. महाराज करेंगे अगुवाई, नेता प्रतिपक्ष महंत का बयान, मचा सियासी घमासान
रायपुर: CG Politics: 11 फरवरी को प्रदेश की जनता नगर सरकार बनाने के लिए वोट करने जा रही है। बीजेपी ने सोमवार को अपना मेनिफेस्टो जारी कर दिया। बीजेपी पूरी ताकत से प्रचार में जुटी है, दूसरी तरफ कांग्रेस के मेनिफेस्टो का इंतजार अब भी है। कांग्रेस का दावा है कि, घोषणा पत्र तैयार है, बुधवार को पार्टी का मेनिफेस्टो जारी होगा। प्रचार के लिए PCC चीफ दीपक बैज मोर्चा संभालते नजर आ रहे हैं, लेकिन इसी बीच कांग्रेस के भीतर की कलह, फिर सतह पर आ गई है। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डॉ चरणदास महंत ने, कांग्रेस के भीतर नेतृत्व को लेकर बार-बार उठते सवाल पर फिर कुछ ऐसा कह दिया है। जिससे सवाल उठा कि क्या दिग्गज कांग्रेसियों ने पूर्व CM भूपेश बघेल को नेतृत्व को सिरे से खारिज कर दिया है, क्या उन्हें पार्टी की दुर्दशा का जिम्मेदार मानकर नेता उनसे किनारा कर रहे हैं। क्या वाकई छत्तीसगढ़ कांग्रेस, अगला विधानसभा चुनाव पूर्व डिप्टी CM टीएस सिंहदेव की अगुआई में लड़ेगी।
डॉ महंत साफ-साफ कह रहे हैं, पार्टी में जो कुछ हुआ वो सरगुजा के नेतृत्व में हुआ, अगला चुनाव महाराज की अगुआई में लड़ा जाएगा। बाबा साहब यानि TS सिंहदेव CM रहेंगे। हालांकि डॉ महंत बेहद वरिष्ठ नेता हैं, सो उन्होंने बात को संभालते हुए सामूहिक नेतृत्व और साथ मिलकर रहने, चुनाव लड़ने की बात भी कही। लेकिन इस बयान से कांग्रेस के भीतर जबरदस्त हलचल शुरू हो गई कि क्या कांग्रेस में नेतृत्व को लेकर सबकुछ ठीक है। मुद्दे पर बीजेपी ने फौरन कांग्रेस को घेरना शुरू कर दिया, छत्तीसगढ़ बीजेपी अध्यक्ष किरण सिंहदेव ने ट्वीट कर कांग्रेस पर निशाना साधा।
CG Politics: बीजेपी ने कहा कि यही है कांग्रेस का असल चेहरा, गुटों में बंटी हुई, आपस में लड़ती हुई कांग्रेस प्रदेश या देश कैसे संभालेगी। बहस बढ़ी तो कांग्रेसी नेताओं ने इस पर सफाई देकर डेमेज कंट्रोल भी शुरू कर दिया।
वैसे ये पहला मौका नहीं है जब कांग्रेस के भीतर, नेतृत्व को लेकर, CM कौन बनेगा इसे लेकर, गुटों और टिकटों को लेकर पब्लिक डोमेन में नेताओं के बयान ने पार्टी को मुश्किल में डाला हो। सबको पता है कि 2023 में सरकार में बैठी कांग्रेस को पार्टी के भीतर ढाई-ढाई साल की CM पद की रेस ले डूबी, आपसी फूट-गुटबाजी और शक्ति प्रदर्शन से मजबूत स्थिती के बावजूद प्रदेश सत्ता गंवाने के बावजूद क्या कांग्रेस ने सबक सीखा है। क्या अब सीनियर नेता ठान चुके हैं कि उन्हें किसके नेतृत्व में आगे चुनाव लड़ना है, गाहे-बगाहे दिए जाने वाले बयान वो भी ऐस चुनावी दौर में दिए जाने वाले बयान क्या महज संयोग है या फिर पार्टी आलाकमान के लिए संदेश है?