छत्तीसगढ़

मेडिकल फर्जीवाड़ा मामले में, डॉ प्रभात चन्द्र प्रभाकर के खिलाफ अन्यत्र ट्रांसफर की कार्यवाही। सीएमएचओ डॉ राज की भूमिका सवालों के घेरे में।

मेडिकल फर्जीवाड़ा मामले में, डॉ प्रभात चन्द्र प्रभाकर के खिलाफ अन्यत्र ट्रांसफर की कार्यवाही। सीएमएचओ डॉ राज की भूमिका सवालों के घेरे में।

वर्धा :- सीएमएचओ डॉ बी एल राज ने मेडिकल फर्जीवाड़ा मामले में डॉ प्रभात चंद्र प्रभाकर और शाखा प्रभारी लिपिक दीपक सिंह ठाकुर के विरुद्ध अन्यत्र ट्रांसफर की कार्यवाही किया है । मेडिकल फर्जीवाड़ा में डॉ प्रभाकर के खिलाफ कार्यवाही होने से पूरे मामले में सीएमएचओ डॉ बी एल राज की भूमिका पर उंगलियां उठ रही है।
बता दें कि जिला अस्पताल का सिविल सर्जन मेडिकल बोर्ड का अध्यक्ष होता है। अध्यक्ष के हस्ताक्षर बाद प्रमाण पत्र जारी होता है। शिकायत के अनुसार मनीष जॉय ने नव आरक्षकों के अनफिट होने की सूचना सिविल सर्जन को दिया था। सवाल खड़े होता है कि सिविल सर्जन जानकारी होने के बावजूद अनफिट आरक्षकों के फिट प्रमाण पत्र में हस्ताक्षर किया ही क्यों ? डॉ बी एल राज ने मेडिकल फर्जीवाड़ा प्रकरण का प्रारंभिक जांच किया। इन्होंने अपने जांच में डॉ प्रभांत चन्द्र प्रभाकर को दोषी ठहराया ही नही है तो उनके खिलाफ अन्यत्र ट्रांसफर की कार्यवाही क्यों ? ऐसे क्याश लगाए जा रहे है कि डॉ बी एल राज को जांच के दौरान डॉ प्रभात चंद्र प्रभाकर के विरुद्ध जरूर कुछ सुराग हाथ लगा तभी ट्रांसफर किया गया है। वही मनीष जॉय की माने तो झुठी नेत्र जांच रिपोर्ट की लिखावट और फर्जी हस्ताक्षर डॉ प्रभात चन्द्र प्रभाकर की है, हैंडराइटिंग का एक्स्पर्ट से जांच कराने अभ्यावेदन भी दिया है।

यहाँ ये जानना जरूरी है कि डॉ राज ने अपने जांच में सिविल सर्जन डॉ सुरेश कुमार तिवारी का बयान लेना तक जरूरी नही समझा। बर्खास्त आरक्षक डेविड लहरे व खेमराज का भी बयान नही लिया। जांच शिकायत के केंद्र बिंदु झुठी जांच रिपोर्ट लिखकर फर्जी हस्ताक्षर करने वाले तक पहुंचा ही नही। डॉ राज ने मनीष जॉय जिसका फर्जी हस्ताक्षर हुआ है जो शिकायतकर्ता है उसे दोषी करार देते हुए अपना जांच प्रतिवेदन सौप दिया।

विभागीय सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक मेडिकल फर्जीवाड़ा जब हुआ तब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी। उस दौर में कद्दावर मंत्री के करीबियों का स्वास्थ्य विभाग में दखल और डॉ बी एल राज का डॉक्टर प्रेम सर चढ़कर बोलता था। बस क्या था शरू हुआ जांच जांच का खेला, लीपापोती करके वास्तविक दोषियों का नामोनिशान मिट गया।
बहरहाल सत्ता परिवर्तन के बाद वातावरण बदला कार्यवाही शुरू हुआ अब पूरे मामले में निष्पक्ष जांच की दरकार है।

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