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एनआरसी,सीए के विरोध में निकली संविधान बचाओं रैली में उमड़ा जनसैलाब

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दोनो एक्ट को बताया काला कानून

इन दोनेा एक्ट के विरोध में निकलने वाली रैली कार्यक्रम में शामिल हुए सीएम

भिलाई।  केन्द्र की भाजपा सरकार द्वारा दोनों सदनों में बिल एनआरसी,सीएए पास कराने के बाद देश भर में इस कानून को लागू करने का प्रयास किया जा रहा है जिसके विरोध में अब गैर सरकारी संगंठन के लोग भी खड़ेे हो रहे हैं। इस बिल के विरोध में आज  संविधान बचाओ रैली का आयोजन किया गया यह रैली सेेक्टर -7 से शांतिपूर्वक निकलकर बेरोजगार चौक सिविक सेंटर पहुंची और यहां एक बड़ी आमसभा का आयोजन किया गया। इसमें प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू, कृषिमंत्री रविन्द्र चौबे, परिवनह मंत्री मो. अकबर, रायपुर विधायक सत्यनारायण शर्मा, भिलाई विधायक देवेन्द्र यादव, रायपुर महापौर प्रमोद दुबे, एनएसयूआई के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एजाज ढेबर, एमआईसी मेंबर लक्ष्मीपति राजू, श्रीमती सुभद्रा सिंह, धर्मेन्द्र यादव, संदीप निरंकारी,बौद्ध समाज के अनिल मेश्राम, ब्राईट ऐसासिएशन के प्रदेश के अध्यक्ष बालेश्वर चौरे, मो. शाहिद, अयूब खान, इरफान खान, सुमित पवार, आदित्य सिंह सहित बड़ी संख्या में कांग्रेसी एवं दूर दराज से आये बड़ी तादाद में ग्रामीण शामिल होकर इस इस संविधान बचाओं कार्यक्रम में भाग लेकर एनआरसी और सीएए का पूरजोर विरोध किया।

रैली के पूर्व प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बड़ी संख्या में इस कार्यक्रम में शामिल होने आये लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा देश के करोडों लोगों के विरोध के बावजूद भी एनआरसी और सीएए को लोगों पर जबरिया थोपने का काम कर रही है। यह दोनो एक्ट सभ्यता के उपर आक्रमण है। देश के ये दोनो कर्णधार जनता को नही जानते और जनता की जरूरतों को नही जानते। एनआरसी के दस्तावेज मांग रहे हैं, ये सब क्या है? उन्होंने स्वामी विवेकानंद का उदाहरण देते हुए कहा कि जब वे शिकागों में भाषण देने गये थे, देश से सताये हुए जाति धर्म को संरक्षण मिला, मैं उस भारत देश से आया हूं। 1906 में एशिया में एआरसी लागू हुआ। दक्षिण अफ्रिका में अंग्रेजों ने उसे लागू किया जिसको 1907 में महात्मा गांधी ने ठुकरा दिया कि मैं अपना फिंगर प्रिंट नही दूंगा। 1951 में एक आदेश आया कि सब भारतीय है। वहीं 1971 में भी सब भारतीय है, वहीं असम में बांग्लादेश के लोग घुस गये। 10 वर्षों से एनआरसी पर कार्य हो रहा है। 52 हजार कर्मी काम कर रहे हैं। लेकिन पूर्व राष्ट्रपति के लोग भी भारत के नागरिक नही है, वहंी एक भाजपा के एक विधायक है, उनका परिवार भी भारतीय नही है,ये असम के मुख्यमंत्री बोल रहे है, हमसे गलती हुई है, 40 लाख लोग भारत के नही है। कभी ये बोलते हैं कि यहां 19 लाख लोग नही है कभी बोलते है कि 5 लाख मुसलमान है, 14 लाख हिंदू है, एक करोड़ लोग किसी भी देश के नागरिक नही है। असम की आग पूरे देश में फैलाना चाहते हैं। पीएम नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह पूरे देश की जनता से झूठ बोल रहे हैं, एक तरफ प्रधानमंत्री बोलते हैं कि एनआरसी व सीएए का अध्यादेश केबिनेट में नही आया है। वहीें अमित शाह पूरे देश में घूम घूम कर बोल रहे हैं कि भारत के लोगों को अपनी नागरिकता बतानी होगी। आज जब हमारे पास राशनकार्ड है,पासपोर्ट, जन्मप्रमाण पत्र और तो और भारत सरकार द्वारा दिया गया आधार कार्ड हैं, तो फिर किस तरह का अब भारतीय नगारिक होने का प्रमाण दें। अब तो हमें यह भी बताना होगा कि हमारे मां बाप का जन्म स्थल कहां है, भिलाई चूंकि मिनी भारत है, यहां सभी प्रांत के लोग रहते हैं। 50 वर्ष का जो वे रिकार्ड मांग रहें हैं, कोई पंजाब से, तो कोई बिहार, यूपी सहित अन्य प्रदेश से वह कहां से बता पायेंगे। छग की 40 प्रतिशत जनता बीपीएल जीवन यापन कर रही है। उन्होंने तो पढाई लिखाई तक नही की है, वह कहां से और कैसे प्रमाणित करेंगे। हम सब भारतीय है, देश के नागरिक को चिंता अब नही करना है। केन्द्र सरकार ने 10 साल में इस मामले को लेकर 1600 करोड रूपये अबतक खर्च कर चुके हैं। यदि पूरे देश में सर्वे करेंगे तो ऐसे में धनराशि भी अधिक लगेगी और कर्मचारी भी लगेंंगे फिर भी यह पूरा नही हो पायेगा। घुसपैठियों को पकड़ों, ये जो एनआरसी और सीएए एक्ट है यह काला कानून है, केन्द्र की सरकार देश को बांटने का कार्य कर रही है। वहीं सीएए और एनआरसी दोनो एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। पीएम और गृहमंत्री इस मामले में झूठ बोल रहे हैं और देश में आग लगाने का कार्य कर रह है, ये लोग कांग्रेस पर गलत आरोप लगा रहे है, इससे कांग्रेस को कोई लेना देना नही हैं। पीएम बताये दो करोड़ लोगों को रोजगार कब देंगे, मंदी कब दूर करेंगे। वहीं भूखमरी और गरीबी कब दूर करेंगे आज प्याज 120 रूपये किलो बिक रहा है, देश की बाकी अन्य प्रमुख समस्याओं से ध्यान हटाने के लिए यह कानून बना हैं।

इसके अलावा सिविक सेंटर की आमसभा में राजेन्द्र परगनिहा, विनयशील, शैलैन्द्र कुमार, मनमोहन अग्रवाल, डॉ. गुप्ता सहित अन्य वक्ताओं ने भी खुलकर इस एक्ट का विरोध करते हुए इससे देश के होने वाले नुकसान को विस्त़त रूप से लोगों को बताया।

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