सरकार मना चुकी अमृत काल फिर भी कांकेर केअंदरूनी क्षेत्रों में बदहाली
अंतागढ़ विकासखण्ड के ग्राम पंचायत उसेली के आश्रित पंचायतो की स्थिति दयनीय, सड़क पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं से अनजान
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कांकेर । जिले के अन्तागढ़ विकासखण्ड के ग्राम पंचायत उसेली के आश्रित ग्राम पुसागांव नीलेगोंदी, मरमा, खड़का जो कि जिला मुख्यालय से महज 20 से 25 किमी की दूरी पर है जहां के ग्रामीण आज भी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे है । जहाँ सरकार की महत्वपूर्ण योजनाओं का लाभ लेना अब ग्रामीणों के लिए एक सपना साबित हो रहा है, लाखो करोड़ो खर्च के बाद नल जल योजना को अब तक विभाग धरातल में नहीं ला पाई है, जिसके चलते ग्रामीणों को झरिया का पानी पीना पड़ रहा है। वहीं सड़कों के लिए भी ग्रामीण कई बार फरियाद कर चुके है,।
विदित होकि केंद्र व राज्य सरकार के मंत्री व नेता हमेशा से एक डायलॉग को रट्टा मार रखे है कि गांव के अंतिम छोर तक विकास पहुंचाना है, किंतु आज इसका दूसरा पहलू या फिर ये कहा सकते है कि यहाँ की जो हकीकत है उसको सबका संदेश की टीम आपके पास पहुंचाना व दिखाना चाहती है, जहां आज भी कई अंदरूनी क्षेत्रों में विकास की गंगा उल्टा बहती दिख रही है।
जहाँ आजादी के 77 वर्ष बाद भी बिजली पानी, शौचालय आदि की समस्या से ग्रामीण जूझ रहे है । इसका जीता जागता उदाहरण अन्तागढ़ ब्लॉक के कुछ गांवों में देखने को मिला जहाँ गांव में खेत के झरिया के पानी पर ग्रामीण निर्भर नजर आ रहे है।
सांसद-विधायक इसी विकासखण्ड से फिर भी समस्या जस की तस
बता दें कि भाजपा की केंद्र व राज्य में डबल इंजन की सरकार है गौर करने वाली बात यह है कि अंतागढ़ विकासखण्ड से ही विधायक विक्रम उसेंडी व सांसद भोजराज चुनकर आये है । फिर भी ऐसी बदहाली का सामना विकासखण्ड के ग्रामीणों करना पड़ रहा है।
ग्रामीणों व युवाओं में दिखी नाराजगी आंदोलन की दी चेतावनी
अन्तागढ़ विकासखण्ड के ग्राम पंचायत उसेली के आश्रित ग्राम
पुसागांव, नीलेगोंदी व आसपास के गांवों में जब सबका संदेश की टीम पहुँची तो वहां के ग्रामीणों व खासकर युवाओं में मूलभूत सुविधाओं लेकर खासी नाराजगी देखने को मिली, जहाँ युवाओं का कहना था विकास की बातें केवल और केवल पन्नों में दिख रहा है धरातल में यहाँ मूलभूत सुविधाओं का टोटा पड़ा हुआ है । जिस ओर जनप्रतिनिधियों को ध्यान देने की आवश्यकता है। हम आज अमृतकाल महोत्सव मना रहे है लेकिन यहाँ शुद्ध पेयजल व पक्की सड़क के लिए ग्रामीणों जद्दोजहद करना पड़ रहा है।
आखिर जनप्रतिनिधि जितने के बाद क्यो हो जाते है गायब
इस सबन्ध में स्थानीय ग्रामीण युवा मनकू नरेटी ने कहा कि विकास के दावे करने वाले जनप्रतिनिध आखिर चुनाव जीतने के बाद अपने मुद्दों से कहां गायब हो जाते है और जिन मुद्दों को लेकर वे चुनावी मैदान में उतरते है उसके बाद ये सभी मुद्दे कैसे गायब हो जाते है यह भी एक बड़ा सवाल है जिसे गांव के ग्रामीणों, युवाओं को सोचने की आवश्यकता है।
मेरे पास आज इस सबन्ध में बात करने का समय नहीं है -भोयर
जल जीवन मिशन को संचालित करने वाला विभाग लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी के कार्य पालन अभियंता बीएन भोयर से जल जीवन मिशन अंतर्गत इन पंचायतों के सबन्ध में समाचार सबंधी चर्चा करने पर उन्होंने तुरंत कहा कि मेरे पास समय नहीं है। इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है, कि अधिकारी के पास समस्या सुनने का भी समय नहीं है ।
अब देखना होगा की केंद्र में बैठी मोदी जी की सरकार और छत्तीसगढ़ में बैठी विष्णुदेव साय जी की सरकार इन सुदूरवर्ती इलाकों में किस तरह से ग्रामीणों की सुध लेती है, या फिर हमेशा की तरह पूर्व की सरकारों की तरफ नक्सलवाद प्रभावित क्षेत्र मानकर इन मुलभुत सुविधाओं के लिए तरसने ग्रामीणों को उनके हाल पर छोड़ देगी ।