पानी पावउच तैयार करने वाले कारखानों पर प्रतिबन्ध लगाने में नगरीय निकाय प्रशासन नाकाम –
दुर्ग – गांधी जयंती पर केंद्र सरकार ने पर्यावरण के बढ़ते प्रदुषण के ताज़ा आंकड़ों पर चिंता जताते हुए पॉलीथिन को पूरी तरह से प्रतिबंधित किये जाने हेतु समस्त राज्यों को आदेशित किया था की बढ़ते प्रदुषण एवं पर्यावरण सरक्षण को लेकर सख्त कानून के प्रावधानों के तहत पॉलीथिन मुक्त भारत बनाने का संकल्प लिया, तथा यह आदेश जारी किया | पॉलीथिन से जहा देश के अन्दर की उपजाऊ भूमि को नुकशान पहुच रहा है वही पॉलीथिन का सेवन कर मवेशी बड़ी संख्या मर रहे है, वही दूसरी तरफ पर्यावरण को लेकर गंभीर संकट देश के सामने खड़ा हो गया है, वही दूसरी तरफ आम मानव जीवन पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता दिखाई दे रहा है जिसके कारण आमजन मानस के स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव के साथ गंभीर बिमारियों का भी सामना करना पड़ता है, जिसके कारण देश के लाखों करोड़ों मानव इससे प्रभावित होते है, इस बात को मद्देनजर रखते हुए केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं पर्यावरण मंत्रालय के साथ ही सुप्रीमकोर्ट के भी निर्देश के बावजूद नगरीय निकाय क्षेत्र में पॉलीथिन को मुक्त करने हेतु स्तानीय प्रशासन गंभीर दिखाई नहीं देता है, विडम्बना यह है की स्थानीय प्रशासन जहा अपने निकाय क्षेत्रों में छोटे छोटे दुकानदारों पर कड़ाई से नियमों का पालन कराने का दम भरते है, वही पानी पावउच एवं पानी की बोतलों का उत्पादन उद्योग धडल्ले से संचालित है, मगर स्थानीय निकाय प्रशासन हो या जिला स्वास्थ्य विभाग की खुम्भकरणीय निद्रा इनकी इन उद्योगों के संचालन में भागीदारी होना जैसा प्रतीत होता है, इस मामले में कई बार आमजन मानस व समाजसेवी व स्थानीय जनप्रतिनिधि के शिकायत करने के बावजूद भी इस ओर ध्यान ना देना बड़े भ्रष्टाचार की तरफ इशारा करता है | साथ ही आमजन मानस के स्वास्थ्य के प्रति लापरवाह अधिकारी को तनिक भी अपने कर्तब्य की चिंता दिखाई नहीं देती है, जिसके कारण निकट भविष्य में किसी गंभीर संक्रामक बीमारियों से शहर को दो चार होना पड़ सकता है |