Ujjain Simhastha : सिंहस्थ 2028 की तैयारी में जुटी मोहन सरकार.. इस दिन उज्जैन में होगी बड़ी बैठक, प्रयागराज महाकुंभ के आधार पर तैयार होगा ब्लू प्रिंट

भोपाल। Ujjain Simhastha : प्रयागराज में महाकुंभ का आगाज होने वाला है। जिसकी तैयारियां जोरशोर से चल रही हैं। प्रयागराज में 13 जनवरी से 26 फरवरी 2025 तक महाकुंभ मेला 2025 का आयोजन होगा। इसके बाद साल 2028 में मध्यप्रदेश के उज्जैन में भी सिंहस्थ का आयोजन किया जाना है। जिसको लेकर मोहन सरकार तैयारियों में जुट गई है। 26 फरवरी के बाद उज्जैन में बड़ी बैठक होने वाली है।
बता दें कि इस बैठक में प्रयागराज में काम करने वाली संस्थाओं के प्रमुख शामिल होंगे। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के साथ संस्थाओं के प्रमुखों की बैठक हो सकती है। प्रयागराज महाकुंभ के अनुभव के आधार पर सिंहस्थ का ब्लू प्रिंट तैयार किया जाएगा। साथ ही 2028 में लगने वाले सिंहस्थ का काम भी साल 2025 में इन संस्थाओं को सौंपा जा सकता है।
सिंहस्थ क्या है?
सिंहस्थ उज्जैन का महान स्नान पर्व है। बारह वर्षों के अंतराल से यह पर्व तब मनाया जाता है जब बृहस्पति सिंह राशि पर स्थित रहता है। पवित्र क्षिप्रा नदी में पुण्य स्नान की विधियां चैत्र मास की पूर्णिमा से प्रारंभ होती हैं और पूरे मास में वैशाख पूर्णिमा के अंतिम स्नान तक भिन्न-भिन्न तिथियों में सम्पन्न होती है। उज्जैन के महापर्व के लिए पारम्परिक रूप से दस योग महत्वपूर्ण माने गए हैं।
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FAQ Section:
1. सिंहस्थ उज्जैन में कब आयोजित होता है?
सिंहस्थ उज्जैन का महान स्नान पर्व हर 12 वर्षों के अंतराल पर तब मनाया जाता है जब बृहस्पति सिंह राशि में स्थित होता है।
2. सिंहस्थ का आयोजन कब होगा?
सिंहस्थ मेला 2028 में उज्जैन में आयोजित होगा, जिसकी तैयारियां 2025 से शुरू हो सकती हैं।
3. सिंहस्थ के दौरान किस नदी में स्नान किया जाता है?
सिंहस्थ के दौरान पवित्र क्षिप्रा नदी में पुण्य स्नान किया जाता है।
4. प्रयागराज महाकुंभ और सिंहस्थ के बीच क्या अंतर है?
प्रयागराज महाकुंभ और सिंहस्थ दोनों ही पवित्र मेले हैं, लेकिन महाकुंभ प्रयागराज में होता है जबकि सिंहस्थ उज्जैन में आयोजित होता है। दोनों के आयोजन का समय और स्थान अलग होते हैं।
5. सिंहस्थ में स्नान की क्या विधियां होती हैं?
सिंहस्थ के दौरान स्नान की विधियां चैत्र मास की पूर्णिमा से प्रारंभ होती हैं और वैशाख पूर्णिमा तक विभिन्न तिथियों में सम्पन्न होती हैं, जिसमें दस योगों का महत्व होता है।