साजा के ग्रामीण और नगरीय क्षेत्रों में अवैध प्लाटिंग की बाढ़ सी आ गई है, साजा क्षेत्र में सक्रिय दलालों ने रेरा के बनाए नियमों की धज्जियां उड़ा रही
साजा। साजा के ग्रामीण और नगरीय क्षेत्रों में अवैध प्लाटिंग की बाढ़ सी आ गई है, साजा क्षेत्र में सक्रिय दलालों ने रेरा के बनाए नियमों की धज्जियां उड़ा रही है, बड़े शहरों जैसे दुर्ग, भिलाई, रायपुर के हेतु बिग सिंडेकेट लोकल दलालों के मार्पत से मनचाहे दामों में जमीन बेच कर चांदी काट रहे है।
साजा शहर में कालोनी बसाने का खेल साजा नगर में कालोनी बसाने के नाम पर अवैध प्लॉट कटिंग करके बेचा जा रहा है, ये जमीन किसानों की कृषि भूमि थी, जिसे कोलोनाइजर द्वारा खरीद कर लोकल दलालों के माध्यम सक्रिय दलाल समूह बनाकर जमीन खरीदने ग्राहक तलाशते हैं लेकिन ये दलाल इस बात से बेखबर है, कि वे ग्राम एवं नगर निवेश विभाग से कालोनी डिवेलपमेंट हेतु
अनुमति के बिना ही दलाली करने में जुटे है, इन्हे शायद इस बात का भी खबर नहीं कि उक्त मामले में प्रमाणित लाइसेंस की जरूरत होती है।
ग्राम एवं नगर निवेश, रेरा के नियमों को ताक में रख कर रहे अवैध काम साजा नगरीय निकाय क्षेत्र में मास्टर प्लान और ग्रीन जोन भूमि पर नगर पंचायत में पंजीयन के बिना ही किसानों की खेती भूमि को एकड़ कीमत में खरीदकर पीट कीमत के साथ अवैध रूप से प्लाटिंग कर बेची जा रही है उक्त कार्यों में रेरा के नियमों को दरकिनार किया गया है, मामले में पटवारियों के साथ राजस्व अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध है। इसके अलावा हर मामले में रुपयों की मांग करने वाले साजा क्षेत्र के पटवारियों की कार्यप्रणाली भी चर्चा का केंद्र है।
कच्चा नक्शा बनाकर लूटने की साजिश : कच्चा नक्शा बनाकर भूमि को दलालों द्वारा बिक्री करने का खेल भी चरम पर है इस मामले में पटवारियों को दलालों से मोटी रकम मिल जाती है, इसके अलावा नक्शा में जो रास्ता छोड़कर दिखाया जाता है, उसे बाद में दूसरी पार्टी को फिर से बेच दिया जाता है, नियमानुसार नक्शे में नाली निकासी का प्रारूप होना चाहिए जबकि इसकी अनदेखी की जाती है, बिना डायवर्शन कृषि भूमि को 5 से 7 वर्षों से पड़त भूमि बताकर जबकि वह भूमि कृषि भूमि रहती है, जिसे प्लाटिंग कर अवैध बिक्री की जाती है। पूरे क्षेत्र में ऐसे भूमि को कई टुकड़ों में बांटकर प्लॉटिंग करने का खेल भू माफियाओ द्वारा खेला जा रहा है।
बड़ी कार्यवाही की जरूरत: ऐसे भू
माफियाओं पर राजस्व अधिकारियों की नजर नही पड़ रही या फिर और कुछ यह कहना जल्दबाजी होगी लेकिन इतना तो तय है, कि सरकारी संरक्षण के बिना उक्त कार्य संभव ही नहीं है। लेकिन बड़ा प्रश्न है, कि क्या ये खेल यूं ही चलता रहेगा या फिर उक्त अवैध कार्यों पर कार्यवाही की उम्मीद की जा सकती है।