छत्तीसगढ़

जनसुनवाई का करेंगे मिलकर विरोध, किसानों को पॉवर प्लान्ट दे रहा धोखा।

जनसुनवाई का करेंगे मिलकर विरोध,
किसानों को पॉवर प्लान्ट दे रहा धोखा।

भूपेंद्र साहू
ब्यूरो चीफ बिलासपुर,
बिलासपुर/सकरी
नेवरा में प्रस्तावित सीपीसीबीएल स्टील एण्ड पॉवर खिलाफ बैठक कर प्रभावित गांव के सरपंचों ने विरोध का फैसला किया है। सरपंचों ने बताया कि प्लान्ट स्थापित होने से गांव का ना केवल दैनिक जन जीवन नरक बन जाएगा। बल्कि कई प्रकार की बड़ी समस्याओं से भी जूझना पड़ेगा। भविष्य में आने वाली तमाम समस्याओं को देखते हुए प्लान्ट को किसी भी सूरत में स्थापित नहीं होने दिया जाएगा।
28 को होने वाली जनसुनवाई का भी विरोध किया जाएगा।
एक दिन पहले बैठक कर नेवरा में प्रस्तावित सीपीसीबीएल स्टील एण्ड पॉवर प्लान्ट जनसुनवाई का सरपंचों ने विरोध करने का फैसला किया है।
सरपंचों ने बताया कि सीपीसीबीएल पॉवर प्लान्ट को किसी भी सूर्त में नेवरा में स्थापित नहीं होने दिया जाएगा। सरपंचों की अगुवाई कर रहे सामाजिक कार्यकर्ता दिलीप अग्रवाल ने बताया कि मामले में एक आवेदन हाईकोर्ट चीफ जस्टिस को भी दिया गया है।
मुख्यन्यायाधीश को लिखित शिकायत में बताया गया कि प्लान्ट स्थापना को लेकर गाइड लाइन का पालन नहीं किया गया है। सरपंचों ने भी बैठक में फैसला किया है कि प्लान्ट को लेकर होने वाली जनसुनवाई में भरपूर विरोध किया जाएगा।नेवरा में भी पैसों के दम पर अधिकारियों की चुप्पी समझ से परे है। यहां भी ईआईए रिपोर्ट में वस्तुस्थिति को छिपाया गया है।
जबकि अधिकारियों को भी वस्तुस्थिति की सारी जानकारी है। बावजूद इसके ईआईए रिपोर्ट गलत तैयार किया गया है। एक दिन पहले बैठक के बाद दिलीप अग्रवाल समेत सरपंचों ने बताया कि सीपीसीबीएल संचालकों ने ईआईए रिपोर्ट में कई जानकारियों को जानबूझ कर उल्लेख नहीं किया है। प्रस्तावित प्लान्ट से करीब 3 किलोमीटर दायरे में गांव का उप स्वास्थ्य केन्द्र और गनियारी अस्पताल भी है। यहां दूर दराज से लोग इलाज कराने आते है। लेकिन रिपोर्ट में कही भी अस्पताल का जिक्र नहीं है। प्लान्ट से चन्द मीटर दूर नेवरा और गनियारी में हायर सेकेन्डरी स्कूल है। शासन से संचालित आदिवासी छात्रावास भी है। लेकिन संचालकों ने इसे भी ईआईए रिपोर्ट में छिपाया है। जबकि ऐसा किया जाना अपराध है।

दिलीप अग्रवाल ने बताया कि प्रस्तावित प्लान्ट से चन्द कदम दूर गनियारी उप तहसील भी है। यह जानते हुए भी कि यह शासकीय संस्थान है। भारी प्रदूषण से यहां काम करना नामुमकिन है। बावजूद इसके प्लान्ट स्थापित करने के लिए जनसुनवाई रखी जा रही है।
सरपंचों ने प्रस्तावित प्लान्ट के सामने ही मनोरंजन का केन्द्र राधिका वाटर पार्क है। पार्क का आनन्द लेने लोगों का हमेशा आना जाना रहता है। ऐसा लगता है कि अब जानबूझकर राधिका वाटर प्लान्ट को बन्द करने का मन बना लिया गया है।

प्रभावित गांव के साथ धोखा, जलस्रोत का कोई जिक्र नहीं।
स्थानीय सरपंचों ने बताया कि प्लान्ट स्थापित होने से करीब 21 ग्राम पंचायत प्रभावित होंगे। लेकिन विवादों से बचने के लिए अधिकारियों से मिली भगत कर प्लान्ट संचालक ने सिर्फ 11 ग्राम पंचायतों को ही शामिल किया है। बताया तो यह भी जा रहा है कि सभी लोगों को संतुष्ट भी कर दिया गया है। सरपंचों ने यह भी बताया कि ईआईए रिपोर्ट में जलस्रोत का जिक्र नहीं है। जानकारी के अनुसार अरपा से जल का दोहन किया जाएगा। यह जानते हुए भी पर्यावरण विभाग की चुप्पी समझ से परे है।

सरकारी जमीन पर किया कब्जा।
बैठक के दौरान सरपंचों ने बताया कि पॉवर प्लान्ट मालिक ने 92 एकड़ जमीन अधिग्रहण किया है। सभी जमीन को रिपोर्ट में पड़ती बताया गया है। संचालक ने जमीन खेती के नाम पर खरीदा है। अब पावर प्लान्ट स्थापित करने की बात सामने आ रही है। जबकि ऐसा किया जाना किसानों के साथ धोखा है। प्रस्तावित प्लान्ट के दोनो तरफ बांध है। बांध के लिए तत्कालीन समय शासन ने किसानों से जमीन अधिग्रहण किया था। किसानो की खाली जमीन को भी संचालक ने घेर लिया है। हमारी मांग है कि यदि शासन को जमीन की जरूरत नही है तो उसे किसानों को लौटाया जाए।

मिली भगत को करेंगे उजागर।
सरपंच समेत बैठक में उपस्थित सभी लोगों ने बताया कि जनसुनवाई नियम विरूद्ध हो रही है। पावर प्लान्ट की तरफ से 12 अगस्त को आवेदन दिया गया था। नियमानुसार जनसुनवाई 45 दिनों के भीतर होना चाहिए। लेकिन जनसुनवाई का कार्यक्रम 28 को होना है। ऐसा किया जाना गाइड लाइन के खिलाफ है। हमने फैसला किया है कि जमीन को बंजर होने से बचाने के लिए जनसुनवाई का पुरजोर विरोध किया जाएगा। मामलें में हाईकोर्ट का दरवाजा भी खटखटाएंगे। शासन और उद्योगपतियों की मिलीभगत को उजागर करेंगे।

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