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टिकट के नहीं थे पैसे, एसी कोच के नीचे चक्कों के पास लेटकर किया 250 किलोमीटर का सफर

जबलपुर में कोच की जांच के दौरान एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है. यहां पुणे-दानापुर एक्सप्रेस 12149 के एसी-4 कोच के नीचे लगी ट्रॉली से एक युवक को निकाला गया जो इटारसी से जबलपुर तक कोच के नीचे चक्कों के समीप लेटकर सफर कर चुका था. ट्रेन जबलपुर स्टेशन पर पहुंची और रेलवे कर्मी उसकी जांच कर रहे थे, तभी उनकी नजर ट्रॉली में छुपे युवक पर पड़ी. तब तक वह उसी हालत में 250 किमी का सफर कर चुका था. उसे तत्काल बाहर निकाला गया.जबलपुर में रेल कर्मचारियों ने युवक को आरपीएफ के हवाले कर दिया है. आरपीएफ युवक से पूछताछ कर रही है. युवक ने बताया कि उसके पास टिकट खरीदने के पैसे नहीं थे, इसलिए उसने यह उपाय लगाया था. उससे आगे की पूछताछ की जा रही है. यह मामला सोशल मीडिया पर वायरल है और लोग यह जानने का प्रयास कर रहे है कि जान जोखिम में डालकर युवक ने यात्रा करने की यह तरकीब कैसे दिमाग में लायी ? मालूम हो कि सामान्य एक्सप्रेस ट्रेनें भी आम तौर पर अधिकतम 120 से 130 किलोमीटर की रफ्तार से चलती हैं.जबलपुर में कैरिज एंड वैगन विभाग के कर्मचारियों रोलिंग और अंडर गियर जांच कर रहे थे तभी उन्होंने युवक को रेलिंग पर लेटे देखा. इसके बाद कर्मचारियों वायरलेस के जरिए लोको पायलट को सूचना दी और ट्रेन को रुकवाया. तब ट्रॉली में छिपे युवक को बाहर निकाला गया. भीषण सर्दी में ट्रेन के चक्कों के पास जान जोखिम में डालकर यात्रा करने वाले युवक से आगे की पूछताछ की जा रही है. उसे हिरासत में ले लिया गया है. युवक ये यह पता लगाया जा रहा है कि उसे यह कैसे पता चला कि उक्त स्थान पर वह सुरक्षित लेट सकता हैपश्चिम मध्य रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी हर्षित श्रीवास्तव ने मीडिया को बताया कि “यह घटना रेलवे की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर गंभीर सवाल खड़े करती है. रेलवे सुरक्षा बल मामले की जांच कर रही है और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए अतिरिक्त कदम उठाए जाएंगे. उन्होंने यात्रियों से अपील की है कि वे सुरक्षित और वैध तरीके से यात्रा करें. इस तरह के खतरनाक प्रयास न केवल अपनी जान जोखिम में डालते हैं, बल्कि रेलवे संचालन को भी बाधित कर सकते हैं.” पश्चिम मध्य रेलवे के सीपीआरओ हर्षित श्रीवास्तव ने कहा कि युवक की पहचान अभी स्प्ष्ट नहीं हो सकी है.

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