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बालाघाट का 200 साल पुराना जलाशय, अंग्रेजों द्वारा बनवाया गया, आज भी 24 गांवों की जिंदगी संवार रहा है!

बालाघाट: मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले के बारे में जब बात की जाती है, तो आपके मन क्या आता है? शायद नक्सलवाद, गरीबी, पिछड़ापन…अगर आपके मन में भी यही सब आता है तो हम आपको बालाघाट के दूसरे पहलू के बारे में बताएंगे. दरअसल, बालाघाट में छुपी है प्रकृतिक सुंदरता, जिसके बारे बहुत कम लोग जानते हैं. ऐसी ही एक जगह के बारे में हम आपको बताएंगे. दरअसल, मलाजखंड से लगभग 15 किलोमीटर दूर एक जलाशय है, जो प्रकृति की गोद में है. इसका नाम जगला जलाशय है, जो लगभग 200 साल पुराना है. पढ़िए इसकी पूरी कहानी…200 साल पुराने जगला जलाशय को अंग्रेजों ने बनाया थादेवरी मेटा गांव के पास स्थित जगला जलाशय काम सुनने में जितना पुराना लगता है. इससे भी पुराना इसका इतिहास हैं. इस तालाब को साल 1818 में अंग्रेजों ने बनाया था. इसको बनाने के लिए लागत भी बहुत कम आई थी. दरअसल, वह जलाशय दो पहाड़ियों को जोड़ कर बनाया गया है. इसके निर्माण के लिए इसी तालाब की मिट्टी का इस्तेमाल किया गया था. मलाजखंड कॉपर प्रोजेक्ट के लिए सप्लाई होता था यहां का पानीमलाजखंड कॉपर प्रोजेक्ट के लिए जब पानी की जरुरत पड़ी तब अंग्रेजों ने इस तालाब का निर्माण कराया था. वहीं, इसी तालाब के पानी से तांबे के शुद्धिकरण का काम होता था. लम्बे समय तक यहां का पानी मलाजखंड कॉपर प्रोजेक्ट के लिए सप्लाई होता रहा.कई गांवों के लिए वरदान है जगला जलाशयग्रामीण बताते हैं कि इस जलाशय के पानी से लगभग 24 गांवों में खेती होती हैं. इस जलाशय पर पूरी रबी की फसल निर्भर हैं. वहीं, यहां के किसान साल में दो बार धान फसल ले पाते हैं, लेकिन बीते कई सालों से नहर की सफाई न होने के कारण कई गांवों तक अब पानी नहीं पहुंच पा रहा है. यह तालाब लगभग 100 एकड़ में फैला है.जलाशय को इको टूरिज्म में डेवलप करने के लिए कई दफ्तरों के चक्कर लगाए, लेकिन किसी ने इसपर ध्यान नहीं दिया. इतना खूबसूरत होने के यह अस्तित्व में नहीं आ पाया

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